वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन लक्ष्य पर मंथन

हरित उत्तराखंड की दिशा में पहल: कार्बन क्रेडिट पर कार्यशाला आयोजित

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। उत्तराखंड में हरित विकास और शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को लेकर गुरुवार को सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड गुड गवर्नेंस (CPPGG), नियोजन विभाग द्वारा “कार्बन क्रेडिट: पोटेंशियल अपॉर्चुनिटी फॉर उत्तराखंड” विषयक कार्यशाला का आयोजन राजपुर रोड स्थित एक होटल में किया गया।

कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए प्रमुख सचिव, नियोजन, डॉ. आर. मीनाक्षी सुन्दरम् ने कहा कि कार्बन क्रेडिट तंत्र की बेहतर समझ और क्रियान्वयन से राज्य के वित्तीय संसाधनों में वृद्धि के साथ-साथ पर्यावरणीय लक्ष्यों को भी प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 50% तक की कमी और 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, नवीकरणीय ऊर्जा नीति और संस्थागत उपायों की आवश्यकता पर बल दिया।

उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सुबुद्धि ने कार्बन बाजारों से जुड़ी संभावनाओं, चुनौतियों और लाभों को रेखांकित करते हुए स्वैच्छिक कार्बन विपणन के लिए विशेषज्ञों की मदद लेने और इस हेतु स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPV) गठित करने का सुझाव दिया।

CPPGG के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. मनोज कुमार पंत ने राज्य में कार्बन क्रेडिट की व्यापक संभावनाओं को रेखांकित करते हुए प्राथमिकता के आधार पर वन आवरण, नवीकरणीय ऊर्जा, जैविक कृषि और विभागीय क्षमता विकास पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही। उन्होंने ईको सिस्टम सेवाओं से संबंधित विश्वसनीय डेटा संग्रह की भी आवश्यकता जताई।

कार्यशाला के तकनीकी सत्रों में कार्बन मार्केट के लिए नीति और संस्थागत ढांचे का विकास, स्वैच्छिक कार्बन मार्केट हेतु रणनीति, वानिकी, एग्रो फॉरेस्ट्री, ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन जैसे विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा पैनल डिस्कशन और केस स्टडी प्रस्तुत की गईं।

इस अवसर पर टोनी ब्लेयर इंस्टीट्यूट, CEEW, GIZ, ONGC, BIS, SUVIDHA, TERI, कॉर्बन बिजनेस, देसाई एसोसिएट समेत कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के विशेषज्ञों और उत्तराखंड के विभिन्न विभागों—जैसे वन, परिवहन, शहरी विकास, ग्राम्य विकास, उद्यान, पशुपालन आदि—के अधिकारियों ने सहभागिता की।

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