..तो जमीनों के ‘खेल’ में खिसकी एडीएम की कुर्सी
शासन ने कहा, मिल रही थी व्यवहार की शिकायतें
चाय बागान की सीलिंग जमीन समेत कई हजार एकड़ भूमि की खरीद फरोख्त पर लग चुकी है रोक
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। चाय बागान समेत अन्य जमीनों के फर्जीवाड़े की जांच से सुर्खियों में आये एडीएम प्रशासन शिव कुमार बरनवाल को शासन ने हटा दिया है । 4 अगस्त के सचिव कार्मिक शैलेश बगौली की ओर से जारी आदेश के तहत बरनवाल को राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया गया।
शासन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बरनवाल के व्यवहार की शिकायतें मिल रही थी। आगंतुकों से उनके व्यवहार पर भी सवाल उठ रहे थे। कुछ दिन पहले कुछ लोगों से बरनवाल की गर्मागर्मी का एक वीडियो भी वॉयरल हुआ था।
एडीएम ने बीते जून/ जुलाई में चाय बागान की सीलिंग की जमीन के खरीद फरोख्त के मामले में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल समेत कुछ अन्य खरीदारों को भी नोटिस दिया था। इससे पार्टी की काफी किरकिरी भी हुई थी।
चाय बागान की सीलिंग की जमीन को पार्टी कार्यालय के लिए पूर्व सीएम निशंक के कार्यकाल में खरीदा गया था। उस समय चुफाल अध्यक्ष व मौजूदा मंत्री धनसिंह रावत संगठन महामंत्री थे। भाजपा नेता अनिल गोयल ने चाय बागान की सीलिंग की जमीन खरीदने में मुख्य भूमिका निभाई थी।
जांच के बाद करोड़ों रुपए की भाजपा की जमीन अवैध घोषित कर दी गयी। पार्टी के अंदर यह बात भी उठ रही है कि आखिर सीलिंग की जमीन खरीदने में क्यों करोड़ों रुपए खर्च किये गए। यह मसला अंदर ही अंदर सुलग रहा है।
एडीएम बरनवाल ने ही चुफाल को नोटिस भेज जवाब मांगा था। चुफाल ने मध्य जुलाई में स्वंय एडीएम कार्यालय जाकर अपना जवाब लिखित में दिया था।
चुफाल का यह कदम मीडिया की सुर्खियां बना था। अब भाजपा कार्यालय के लिए नई जमीन की तलाश कर रही है।
चाय बागान की जमीन के मामले के बाद जिला प्रशासन ने देहरादून जिले की कई हजार एकड़ जमीन की खरीद फरोख्त पर भी रोक लगा दी थी। इस फैसले के बाद भू माफिया में हड़कंप मच गया था। दून में जारी जमीनों के ‘खेल’ में एडीएम का ट्रांसफर विशेष चर्चा का मुद्दा बना हुआ है।
सचिव कार्मिक के आदेश अनुसार तत्काल प्रभाव से शिव कुमार बरनवाल, पी० सी० एस० , अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) देहरादून को वर्तमान पदभार से अवमुक्त करते हुए राजस्व परिषद, देहरादून में सम्बद्ध किया जाता है।
2- श्री शिव कुमार बरनवाल, पी०सी०एस० को निर्देशित किया जाता है कि उक्त पदभार से अवमुक्त होते हुए उसकी सूचना कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग-1, उत्तराखण्ड शासन को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
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