टिकट कटने के बाद पूर्व सीएम निशंक ने तोड़ी खामोशी.. कविता में झलका दर्द

सोशल मीडिया में पोस्ट की कविता…उन्होंने किया खूब षड्यंत्र मिलकर, मेरे साथ हँस-हँस कुटिल खेल खेला

समझते रहे हम तो अपनों में उनको, कुचलेंगे वे ही, पता क्या था हमको

अविकल थपलियाल

देहरादून। 1991 के बाद पहली बार चुनावी राजनीति से बेदखल किये गए पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक एक बार फिर अपनी दर्दभरी कविताओं को लेकर चर्चाओं में हैं।

हालिया पोस्ट की गई कविताओं में उनके साथ षड्यंत्र व कुटिल चालों का इशारा किया गया है। वे लिखते हैं..खामोश रहकर भी मैं लड़ता रहा…

मेरे कविता संग्रह “कोई मुश्किल नहीं” से एक कविता की कुछ पंक्तियां शीर्षक है “मार डाला”

समझते रहे हम तो अपनों में उनको, कुचलेंगे वे ही, पता क्या था हमको। उन्होंने ही छिपकर दिए घाव गहरे, जिनके लिए दुःख में डाला स्वयं को। हमें कब थी अपनी सभी जानते हैं, अपना सभी को सदा मानते हैं। अर्पित जिन्हें की सुखद फूल माला, उनके लिए निज को है दुःख में डाला।

देखिये ,पूर्व सीएम की एक और कविता

मेरे कविता संग्रह “कोई मुश्किल नहीं” से एक कविता की कुछ पंक्तियां शीर्षक है “खामोश रहकर”

चलता रहा मैं शालीन होकर, कदम हर कदम पर बड़ा दंश झेला। उन्होंने किया खूब षडियन्त्र मिलकर, मेरे साथ हँस-हँस कुटिल खेल खेला।

कंटीली ड़गर पर बढ़ा मैं अकेला, स्वयं के ही मन से झगड़ता रहा मैं। हर दुःख उठाया न हिम्मत थी हारी, खामोश रहकर भी लड़ता रहा मैं।

दरअसल, लगभग 35 साल बाद निशंक चुनावी जंग लड़ते दिखाई नहीं दिए। हरिद्वार से सांसद रहे निशंक का टिकट पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की दावेदारी से कट गया।

1991 की रामलहर के बाद दिग्गज कांग्रेस नेता डॉ शिवानन्द नौटियाल को तीन विधानसभा चुनाव में शिकस्त देने के बाद निशंक भाजपा के सक्रिय युवा नेताओं की पांत में खड़े हो गए थे।

इस बीच,मोदी कैबिनेट में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रहे डॉ निशंक को हटा दिया गया था। उनको हटाने के पीछे कई मुद्दे मीडिया में उछले थे। कुछ करीबियों की कारगुजारी भी उजागर हुई थी।

इसके बाद, 2024 के लोकसभा चुनाव में निशंक को हरिद्वार से टिकट नहीं दिया। फिलहाल, प्रदेश के चुनाव में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के बाद निशंक दिल्ली में दीदी सुषमा स्वराज की बेटी के चुनाव प्रचार में दिल्ली में हैं।

पूर्व सीएम निशंक राजभवन में पत्रकार अविकल थपलियाल के साथ.

विंडो पिक – 2010 -11 में तत्कालीन सीएम निशंक राष्ट्रीय दैनिक हिंदुस्तान अखबार के तत्कालीन ब्यूरो चीफ अविकल थपलियाल के साथ होली खेलते हुए.

बहरहाल, लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच पूर्व सीएम निशंक की के कविता संग्रह “कोई मुश्किल नहीं” कि याद ताजा करने से राजनीतिक गलियारों में उनके टिकट कटने को लेकर नये सिरे से चर्चा शुरू हो गयी है..उत्तराखण्ड में भाजपा की राजनीति में नयी बहस ने जन्म ले लिया है।

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