परिवहन निगम के अधिकारी की  विजिलेंस जांच पर हाईकोर्ट सख्त

हाईकोर्ट के विजिलेंस जांच की तय समय सीमा ने बढ़ाई हलचल

घोटाला- पत्नी और संतानों के बैंक खाते में जमा करवा दी लाखों की नगदी

मई 2023 में सीएम से की थी शिकायत

अविकल थपलियाल

देहरादून। विजिलेंस जांच का सामना कर रहे उत्तराखण्ड परिवहन निगम के उप महाप्रबन्धक भूपेंद्र कुमार एक बार फिर चर्चा में हैं। हाईकोर्ट ने भ्र्ष्टाचार व आय से अधिक संपत्ति के मामले को गम्भीर मानते हुए विजिलेंस जांच की समय सीमा तय कर दी है।

नैनीताल हाईकोर्ट ने जांच एजेंसी  को कहा है कि परिवहन निगम के उप महाप्रबन्धक भूपेंद्र कुमार पर चल रही भ्र्ष्टाचार के आरोपों की जॉच तीन महीने के अंदर पूरी करें।

इसके अलावा हाईकोर्ट ने भूपेंद्र कुमार की ओर से आईएसबीटी दिल्ली में किये गए ट्रांसफर को रद्द करने सम्बन्धी याचिका को भी निरस्त कर दिया है।

हाईकोर्ट की ओर से बीते दो साल से भ्र्ष्टाचार के मामले की विजिलेंस जांच की समय सीमा तय होने से भूपेंद्र कुमार व उनके आकाओं को गहरा झटका लगा है।

दूसरी ओर, राज्य निगम कर्मचारी-अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश ने भूपेंद्र कुमार के आईएसबीटी दिल्ली में हुए ट्रांसफर को निरस्त नहीं करने की मांग की है। इस बाबत गुसाईं ने परिवहन निगम की प्रबन्ध निदेशक को पत्र भी लिखा है। पत्र में कहा गया कि भूपेंद्र कुमार चिकित्सा अवकाश लेकर सचिवालय में घूमते देखे गए हैं।

गौरतलब है कि मई 2023 में राज्य निगम कर्मचारी-अधिकारी महासंघ ने सीएम धामी को भेजे शिकायती पत्र में डीजीएम वित्त भूपेंद्र कुमार पर तथ्यों के साथ भ्र्ष्टाचार के गम्भीर आरोप लगाए थे।

शिकायती पत्र में कहा गया कि निगम में अनुबंधित बस स्वामियों से पारवारिक सदस्यों के बैंक खातों में नगद, ATM व NEFT से लाखों रुपये जमा कराए गए। बरसों से पैसे जमा करवाये जा रहे थे। 

पत्र के साथ पारिवारिक सदस्यों के नाम,बैंक खातों का विस्तृत ब्यौरा भी दिया गया। साथ ही रुपए जमा करने वाले वाहन स्वामियों के नाम भी सरकार को उपलब्ध कराए गए।

इतना ही नहीं, निगम के रिटायर व कार्यरत कार्मिकों के भी विभिन्न भुगतान के एवज में नगद रुपए विभिन्न खातों में  जमा किये गए। इसके प्रमाणित साक्ष्य भी सीएम को दिए गए।  (देखें सूची)

सीएम धामी के निर्देश के बाद शासन स्तर पर गठित सचिव समिति ने परिवहन निगम के डीजीएम भूपेंद्र कुमार के खिलाफ विजिलेंस जांच की संस्तुति की थी। लेकिन दो साल बाद भी विजिलेंस जांच फाइनल नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।

इधर,  नैनीताल हाईकोर्ट ने उप महाप्रबंधक भूपेंद्र कुमार के मसले पर दिए निर्देशों के बाद विजिलेंस जॉच में तेजी आने की उम्मीद बंधी है।

( इस मुद्दे पर परिवहन सचिव /आयुक्त बी के संत से बात करने की कोशिश की गई लेकिन मोबाइल नहीं उठा। इस मुद्दे पर डीजीएम भूपेंद्र कुमार का लिखित पक्ष मिलने पर प्रकाशित किया जाएगा। )

यह हैं भ्र्ष्टाचार के आरोप

अपने पद का दुरुप्रयोग करते हुये अनुबन्धित वाहन स्वामियों से मिलीभगत कर भ्रष्टाचार की धनराशि अपने पारिवारिक सदस्यों के बैंक खाते में जमा कराये जाने।

निगम के सेवानिवृत्त एवं कार्यरत कार्मिको से भी कार्य के बदले धनराशि वसूल किये जाने एवं अपने विभागीय सैलरी/अन्य बैंक खातो में अलग-अलग बार में लाखों रूपयो की धनराशि नगद में जमा कराये जाने के प्रमाणित साक्ष्य।

राज्य निगम कर्मचारी-अधिकारी महासंघ के शिकायती पत्र का अंश

श्री भूपेन्द्र कुमार, उत्तराखण्ड परिवहन निगम, मुख्यालय, यू०सी०एफ० सदन, दीपनगर रोड, विष्णु विहार, अजबपुर कला, देहरादून में वर्तमान में उप-महाप्रबन्धक (वित्त) के पद पर कार्यरत है। श्री भूपेन्द्र कुमार एक बहुत भी भ्रष्ट अधिकारी है उनके द्वारा निगम के कार्मिको से उनके देयको के भुगतान (जैसेः- ग्रेच्यूटी, नगदीकरण, चिकित्सा बिल, वेतन एरियर, ए०सी०पी० एरियर इत्यादि) एवज में पैसो की माँग की जाती है तथा जिनके द्वारा उनकी मॉग के अनुरूप पैसा दे दिया जाता है उनके द्वारा उसका सबसे पहले भुगतान करा दिया जाता है। इसके अतिरिक्त निगम की सेवा से सेवानिवृत्त हो गये कार्मिकों का भी देयक भुगतान कराने के लिये भूपेन्द्र कुमार द्वारा पैसा की भोंग की जाती है तथा जिस सेवानिवृत्त कार्मिके द्वारा उनके मॉग पूरी कर दी जाती है उसको अन्य से पहले भुगतान हो जाता है। इस कार्य के लिये उनके द्वारा निगम के कुछ कार्मिको के साथ एक रैकेट / समूह बनाया गया है जिसके माध्यम से वह उक्त भ्रष्टाचार के पैसे को लेते है।

श्रीमती रीना जोशी जी प्रबंध निदेशक उत्तराखण्ड परिवहन निगम, मुख्यालय, देहरादून।

विषयः- गंभीर भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने एवं उनके स्थानांतरण आदेश को किसी भी दशा में निरस्त न किए जाने के सम्बन्ध में।

महोदया,

उत्तराखण्ड परिवहन निगम में अनुशासन एवं प्रशासनिक स्वच्छता बनाए रखने हेतु आवश्यक है कि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाए। यह सर्वविदित है कि श्री भूपेंद्र कुमार, उप महाप्रबंधक (वित्त) परिवहन निगम, मुख्यालय के विरुद्ध गंभीर वित्तीय अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर माननीय मुख्यमत्री जी के निर्देशो के अनुरूप सर्तकता विभाग द्वारा खुली जांच गतिशील है।

इसके अतिरिक्त माननीय उच्च न्यायालय, नैनीताल की संयुक्त खण्डपीठ द्वारा वाद सख्या WPSB 47/2025 में अपने आदेश दिनॉक 05.03.2025 के अन्तर्गत उनके आई०एस०बी०टी० दिल्ली स्थानांतरण को वैध ठहराते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है। बावजूद इसके संबंधित अधिकारी चिकित्सा अवकाश का दुरुपयोग कर अपने स्थानांतरण आदेश को निष्प्रभावी करने का प्रयास कर रहे हैं तथा लगातार चिकित्सा अवकाश पर होने पर भी सचिवालय में घूमते पाये जा रहे है। महासंघ के संज्ञान में आया है कि वह शासन के उच्चाधिकारी से सिफारिश करवा रहे हैं ताकि उन्हें आई०एस०बी०टी० दिल्ली के स्थान पर किसी अन्य सुविधाजनक स्थान में तैनात कराया जा सके।

महोदया इस सम्बन्ध में महासंघ स्पष्ट चेतावनी देता है कि श्री भूपेंद्र कुमार के विरुद्ध विजिलेंस जांच पूरी होने तक स्थानांतरण आदेश को किसी भी स्थिति में निरस्त न किया जाए और उनके विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। यदि उनके स्थानांतरण आदेश को शासन स्तर पर प्रभावी सिफारिशों के माध्यम से रद्द किया जाता है तो महासंघ इसे भ्रष्टाचार को खुला संरक्षण देने का संकेत मानेगा।

यह अत्यंत आपत्तिजनक है कि संबंधित अधिकारी अपने शासन स्तर के उच्चाधिकारियों से अच्छे एवं पारिवारिक संबंधों का खुलेआम हवाला देते हुए यह दावा कर रहे हैं कि उनका कुछ नहीं होगा और कोई उनका कुछ नहीं कर सकता। महोदया यदि ऐसा किसी भी स्तर पर सिद्ध होता है तो यह न केवल निगम की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाएगा, बल्कि इससे निगम के अन्य कर्मियों में भी अनुशासनहीनता को बढ़ावा मिलेगा।

महासंघ इस विषय को अतिशीघ्र माननीय मुख्यमंत्री जी के समक्ष भी प्रस्तुत करेगा। साथ ही महासंघ न केवल भ्रष्ट अधिकारी के विरुद्ध, बल्कि ऐसे भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने वाले अधिकारियों के विरुद्ध भी मोर्चा खोलने से पीछे नहीं हटेगा।

अतः आपसे आग्रह है कि अनुशासनहीन, भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारी को किसी भी प्रकार की राहत प्रदान न करें। अन्यथा महासंघ अपने सदस्यों के साथ मिलकर कठोर कदम उठाने के लिए बाध्य होगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी निगम प्रशासन की होगी।

देखें, नैनीताल हाईकोर्ट ने मार्च 2025 में भूपेंद्र कुमार की ट्रांसफर याचिका को खारिज किया। और विजिलेंस जांच की समय सीमा तय की

देखें, दो साल पहले परिवहन निगम के उप महाप्रबंधक भूपेंद्र कुमार पर लगे आरोपों का साक्ष्य समेत विस्तृत ब्यौरा

सेवा में,
श्री पुष्कर सिह धामी जी
आपुनट (परिवहन) (सोशिय पत्र)
माननीय मुख्यमंत्री
उत्तराखण्ड सरकार
एवं सतर्कता
(जगवीर (चन्द्र कोण्डपाल)
देहरादून विषयः-श्री भूपेन्द्र कुमार, उपमहाप्रबन्धक (वित्त) उत्तराखण्ड परिव्हेकर निभिन्न के गंभीर भ्रष्टाचार प्रकरण में लिप्त रहने, अपने पद का दुरुप्रयोग करते हुये अनुबन्धित वहां स्वामियों से मिलीभगत कर भ्रष्टाचार की धनराशि अपने पारिवारिक सदस्यों के बैंक खाती परत जाये जाने, निगम के सेवानिवृत्त एवं कार्यरत कार्मिको से भी कार्य के बदले धनराशि वसूल किये जाने एवं अपने विभागीय सैलरी/अन्य बैंक खातो में अलग-अलग बार में लाखो रूपयो की धनराशि नगद में जमा कराये जाने के प्रमाणित साक्ष्यो सहित ऐसे भ्रष्ट अफसर को निगम सेवा से बर्खाख्त कर सतर्कता जाँच कराये जाने के सम्बन्ध में।
महोदय,
उपरोक्त विषयक आपके संज्ञान में लाना है कि श्री भूपेन्द्र कुमार, उत्तराखण्ड परिवहन निगम, मुख्यालय, यू०सी०एफ० सदन, दीपनगर रोड, विष्णु विहार, अजबपुर कला, देहरादून में वर्तमान में उप-महाप्रबन्धक (वित्त) के पद पर कार्यरत है। श्री भूपेन्द्र कुमार एक बहुत भी भ्रष्ट अधिकारी है उनके द्वारा निगम के कार्मिको से उनके देयको के भुगतान (जैसे:- ग्रेच्यूटी, नगदीकरण, चिकित्सा बिल, वेतन एरियर, ए०सी०पी० एरियर इत्यादि) एवज में पैसो की मॉग की जाती है तथा जिनके द्वारा उनकी माँग के अनुरूप पैसा दे दिया जाता है उनके द्वारा उसका सबसे पहले भुगतान करा दिया जाता है। इसके अतिरिक्त निगम की सेवा से सेवानिवृत्त हो गये कार्मिको का भी देयक भुगतान कराने के लिये भूपेन्द्र कुमार द्वारा पैसा की भोंग की जाती है तथा जिस सेवानिवृत्त कार्मिके द्वारा उनके मॉग पूरी कर दी जाती है उसको अन्य से पहले भुगतान हो जाता है। इस कार्य के लिये उनके द्वारा निगम के कुछ कार्मिको के साथ एक रैकेट / समूह बनाया गया है जिसके माध्यम से वह उक्त भ्रष्टाचार के पैसे को लेते है।
इसके अतिरिक्त आपके संज्ञान में लाना है कि उत्तराखण्ड परिवहन निगम में कई अनुबन्धित वाहने अनुबन्ध के माध्यम से संचालित हो रही है। श्री भूपेन्द्र कुमार, उप-महाप्रबन्धक (वित्त) मुख्यालय, द्वारा निगम में अनुबन्ध में लगाई गई बसों के मालिको के साथ सोंठ-गाँठ/ मिलीभगत कर उनके कि०मी० बिलो एवं उनकी प्रोत्साहन राशि के भुगतान के बदले पैसो का लेन-देन किया जाता है। अनुबन्धित बस मालिक भी उनके साथ मिलीभगत कर उनको पैसे देते है तथा अपने काम/पेमेन्ट करवा लेते है। इस सम्बन्ध में परिवहन निगम के लगभग सभी अधिकारियों को उनके क्रिया-कलापो के बारे में पता है लेकिन उनके खिलाफ कुछ कार्यवाही नही हो पाती है। इस सम्बन्ध में अनेको बार सम्बन्धित अधिकारी की मौखिक शिकायतें करने के पश्चात भी कोई ठोस गवाह तथा शिकायतकर्ता के आगे न आने/अभाव के कारण उक्त भ्रष्ट अधिकारी के विरूद्ध कोई कार्यवाही नही होती है तथा उसका मनोबल दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है।
महोदय सम्बन्धित अधिकारी के विरुद्ध गंभीर भ्रष्टाचार में लिप्त रहने के प्रमाणित साक्य निगम के पीडित कार्मिको द्वारा इस आशा के साथ अधोहस्ताक्षरी को उपलब्ध कराये गये कि प्रार्थी के स्तर से इस बात को सरकार/शासन के मध्य उठाया जा सके तथा इस प्रकार के भ्रष्ट अधिकारी के

विरूद्ध कठोर कार्यवाही कराते हुये निगम सेवा से वर्खास्त किया जाये। अत महोदय सम्बन्धित अधिकारी के विरूद्ध प्राप्त प्रमाणित साक्ष्य इस आशय से महोदय को प्रस्तुत किये जा रहे है कि शासन स्तर से इस प्रकार के भ्रष्ट अधिकारी के विरूद्ध कठोर कार्यवाही अमल में लाते हुये सरकार / शासन की भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टालरेंस की नीति का पालन हो सके तथा इस प्रकार निगम तथा उसके कार्मिको से लूट खसूट तथा संसाधानो का दुरुप्रयोग कर रहे भ्रष्ट अधिकारियो के मध्य कडा संदेश जा सके। श्री भूपेन्द्र कुमार द्वारा की जा रहे भ्रष्टाचार से सम्बन्धित विवरण निम्नवत महोदय के अवलोकनार्थ सादर प्रस्तुत हैः:-

यह कि श्री भूपेन्द्र कुमार, उप-महाप्रबन्धक वित्त, उत्तराखण्ड परिवहन निगम, मुख्यालय, देहरादून के पारिवारिक सदस्यों का विवरण निम्न प्रकार से हैः-

महोदय उपरोक्त उल्लेखित तथ्यों से यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रतिमाह एक नियत तनख्वाह पाने वाला व्यक्ति इतनी अधिक सख्या में भ्रष्ट माध्यम से धनराशि एकत्रित कर अपने एवं अपने पारिवारिक सदस्यो के बैंक खातों में जमा कर रहा है तथा अपने विभागीय पद का दुरुप्रयोग करते हुये ऐसा कर रहा है। इसके अतिरिक्त सम्बन्धित अधिकारी के खाते की गहनता से जाँच करेंगे तो पायेगे उसके द्वारा निगम में पूर्व में अधिकृत किये गये चार्टड एकाउन्टेन्ट, फर्मों इत्यादियों से भी लेन-देन किया गया है तथा प्रत्येक टेण्डर फर्मों इत्यादि से भी पैसा वसूल किया जाता होगा। जिसका विवरण उपरोक्त मे भी दर्शाया गया है।
महोदय सम्बन्धित अधिकारी के विरुद्ध अनेको वार शिकायतें निगम प्रबन्धन के पास करने के पश्चात भी कोई ठोस साक्ष्य अथवा किसी के भी सामाने न आने के कारण उका भ्राट अधिकारी के पद के प्रभाव के कारण उसका कुछ नहीं बिगडता है। महोदय सम्बन्धित भ्रष्ट अधिकारी द्वारा आपजे कार्यग्रहण करने के पश्चात से ही इस प्रकार की गतिविधियों को लगातार किया जा रहा है तथा निगम में भर्ती के समय से लगभग सभी को ज्ञात है कि यह भ्रष्ट तरीके से ही निगम में भर्ती हुआ है। जिसकी भी जाँच कराया जाना अति आवश्यक है।
अन्त में महोदय सम्बन्धित अधिकारी के विरुद्ध एकत्र किये गये साक्ष्यों की प्रति संलग्न कर इस आशय के साथ आपको प्रेषित की जा रही है कि आप ऐसे भ्रष्ट अधिकारी के विरुद्ध पद के दुरुप्रयोग, भ्रष्टाचार में संलिप्त रहने तथा आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित किये जाने की सतर्कता विभाग से गोपनीय जाँच कराते हुये सम्बन्धित अधिकारी को परिवहन निगम की सेवा से बर्खास्त कराने की महत्ति कृपा करेंगे, ताकि भविष्य में परिवहन निगम के कार्मिको को इस प्रकार के भ्रष्ट अधिकारी के शोषण तथा उत्पीडन से बचाया जा सके तथा जिसका सही संदेश परिवहन निगम एवं प्रदेश के आम जनमानस के मध्य मी जा सकें। संलग्नः यथोपरि।
भवदीय
(दिनेश ) राज्य निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ, उत्तराखण्ड घर का पता-01 बन्दलोक कालोनी, नियर थाना-ओल्ड राजपुर जनपद-देहरादून, उत्तराखण्ड

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