पूर्व सीएम हरीश रावत बोले, चैंबर अदालत परिसर में ही मिलें
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। अपनी मांगों को लेकर शनिवार को दून में वकीलों ने रैली निकाली। इस दौरान वकीलों के धरना-प्रदर्शन से सड़कें जाम हो गई। वकीलों ने आज अदालत ही नहीं, सड़क भी बंद कर दी। अपनी मांगों के लिए सैकड़ों वकील सुबह प्रिंस चौक से दो कतारों में गांधी रोड, तहसील और दर्शन लाल चौक होते हुए घंटाघर पहुंचे।
यहां कुछ देर प्रदर्शन कर वापस हरिद्वार रोड पर अदालत के सामने धरनास्थल पर जमा हो गए।
यह मार्च दोपहर 12 बजे तक पूरा हुआ। इस दौरान आसपास के मार्गों पर ट्रैफिक जाम हो गया। बार एसोसिएशन के सचिव राजबीर बिष्ट ने बताया कि संघर्ष समिति ने सरकार के समक्ष वकीलों की मांगों का प्रस्ताव रखा हुआ है लेकिन उस पर ठोस आश्वासन मिलने का इंतजार बढ़ता जा रहा है।
इस बीच, सर्वसम्मति से तय हुआ है कि वकील अपने विरोध-प्रदर्शन की समय-सीमा बढ़ाएंगे, जिसके तहत आज धरना प्रदर्शन और रैली निकाली गई। प्रिंस चौक होते हुए घंटाघर पहुंचकर प्रदर्शन किया। इस दौरान अदालत और रजिस्ट्रार कार्यालय में सभी काम बंद रहे।
वहीं धरना-प्रदर्शन को एक बड़ा राजनीतिक समर्थन मिला।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत धरना स्थल पर पहुंचे और अधिवक्ताओं की मांगों को न्यायोचित बताते हुए सरकार से जल्द समाधान की अपील की।
रावत ने कहा कि सरकार द्वारा रेन बसेरा निर्माण के लिए प्रस्तावित भूमि को अधिवक्ताओं के चैंबरों के लिए दिए जाने पर विचार होना चाहिए, क्योंकि अदालत परिसर के आसपास ही चैंबरों का होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं की संख्या हर वर्ष बढ़ रही है, ऐसे में उनके लिए सुव्यवस्थित चैंबर की व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने धरने पर बैठे अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 20 दिनों से शांतिपूर्वक और अनुशासित तरीके से चल रहा यह आंदोलन सरकार के लिए एक स्पष्ट संदेश है।
उन्होंने कहा कि अधिवक्ता समाज न्याय व्यवस्था का प्रमुख स्तंभ है और उनकी उचित मांगों पर टालमटोल नहीं होना चाहिए। रावत ने कहा कि रेन बसेरा अपनी जगह आवश्यक है, लेकिन अधिवक्ताओं के चैंबर न्यायालय परिसर के नजदीक ही बनना अनिवार्य है। उन्होंने आश्वस्त किया कि यदि आवश्यकता पड़ी तो वह आगे भी इस आंदोलन में हिस्सा लेने आएंगे।

धरना स्थल पर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल, उपाध्यक्ष भानु प्रताप सिसोदिया, सचिव राजवीर सिंह भंडारी, सहसचिव कपिल अरोड़ा, बार काउंसिल सदस्य मनमोहन लंबा, वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी, संजय शर्मा, आलोक घिल्डियाल, नीलू कुकरेती, संग्राम सिंह पुंडीर, राकेश नेगी, अनिल कुकरेती, वीरेंद्र खुराना, आदित्य आदि उपस्थित रहे।
क्यों अटका चैंबरों का मामला?
अधिवक्ताओं के लिए नए चैंबरों के निर्माण को लेकर लंबे समय से भूमि चयन का विवाद चल रहा है। प्रशासन ने रेन बसेरा निर्माण के लिए जो भूमि प्रस्तावित की है, उसे अधिवक्ता चैंबरों के लिए उपयुक्त मान रहे हैं। अदालत परिसर के नजदीक दूसरी कोई भूमि उपलब्ध न होने का तर्क भी अधिवक्ताओं का मजबूत आधार है।
बीस दिनों से शांतिपूर्ण आंदोलन
अधिवक्ता समाज 10 नवंबर से रोजाना सड़क पर बैठकर शांतिपूर्ण धरना दे रहा है। अब तक धरने में किसी प्रकार की अव्यवस्था नहीं हुई है, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री ने भी सराहा और इसे अनुशासित आंदोलन बताया।
अधिवक्ताओं की मुख्य मांगें
- अदालत परिसर के निकट ही चैंबरों का निर्माण
- रेन बसेरा के लिए दूसरी स्थान पर भूमि व्यवस्था
- अधिवक्ताओं के बढ़ते दबाव और संख्या अनुसार पर्याप्त सुविधाएं
- सरकार से जल्द निर्णय लेकर निर्माण कार्य शुरू करने की मांग

