सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार के एक साल पूरे
अविकल थपलियाल
...राजनीति में अक्सर चमत्कार हो जाया करते हैं। सत्ता के खेल की यही खासियत है। उत्तराखण्ड भी इससे अछूता नहीं रहा। यह चमत्कार भाजपा के युवा नेता व मौजूदा सीएम पुष्कर सिंह धामी से जुड़े है। पहला चमत्कार जुलाई 2021में हुआ जब पार्टी के महारथियों को पीछे धकेल पुष्कर सिंह धामी पल भर में तीरथ सिंह रावत के बाद उत्तराखण्ड के सीएम बन गए। मोदी-शाह का यह फैसला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया। युवा धामी कभी मंत्री नहीं बने सीधे सीएम बने।
चूंकि, इससे पूर्व 2017 में दूसरी बार भाजपा के टिकट पर खटीमा से चुनाव जीते विधायक धामी को उम्मीद थी कि उन्हें त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। त्रिवेंद्र सिंह रावत के मार्च 2021 में सीएम की कुर्सी से हटने के बाद फिर उम्मीद जगी कि तीरथ कैबिनेट में जगह मिल जाएगी। तमाम कोशिश के बाद राजनीति व सत्ता के अबूझ खेल में धामी के हिस्से में फिर निराशा हाथ आयी।
लेकिन इसी निराशा के बीच भाग्य धामी पर मुस्कराने भी लगा था। चार महीने बाद तीरथ सिंह रावत को सीएम पद से हटना पड़ा। और मोदी-शाह ने कद्दावर दावेदारों पर लग रहे कयासों को दरकिनार करते हुए पुष्कर सिंह धामी को जुलाई 2021 में मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी।
प्रदेश की राजनीति और जनता के लिए यह एक चौंकाने वाली खबर थी। भाजपा के कई दिग्गजों के लिए पार्टी हाईकमान का यह फैसला किसी बड़े झटके से कम नहीं रहा। तात्कालिक तौर सतपाल महाराज, यशपाल आर्य, हरक सिंह समेत कुछ अन्य नेताओं की नाराजगी की खबर सामने भी आयी। लेकिन नये सीएम धामी ने स्वंय इन नेताओं के घर जाकर मना लिया।
सीएम बनते ही युवा पुष्कर सिंह धामी के सामने पार्टी के सीनियर नेताओं की ‘ईगो’ को शांत करते हुए 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन को लेकर भारी दबाव था। अपनी विनम्रता व सभी कार्यकर्ताओं को आदर देने के मंत्र पर चलते हुए युवा पुष्कर धामी ने पार्टी के अंदर और बाहर पॉजिटिव माहौल बना दिया। यही नहीं, विपक्षी कांग्रेस खेमे में भी हलचल पैदा कर दी ( पूर्व सीएम हरीश रावत के सीएम धामी के पक्ष में लगातार आ रहे सकारात्मक बयानों को इस हलचल का जीता जागता उदाहरण माना जा सकता है। )
इस पहली छह महीने की पारी में विभिन्न नाराज सेक्टर के पक्ष में फैसले लिए। हर सेक्टर के लिए कुछ न कुछ घोषणाएं की गयी। नतीजतन, 2022 के चुनावी शोर के बीच एक और चमत्कार की कहानी अंगड़ाई लेने लगी थी। कांग्रेस, केजरीवाल,उक्रांद, बसपा व भाजपा विधानसभा के सत्ता संग्राम में उलझी। उत्तराखण्ड में पहली बार भाजपा ने 46 सीट जीतकर इतिहास बनाया। एक बार फिर भाजपा की सरकार बनने का रास्ता साफ हुआ। लेकिन सीएम धामी खटीमा से चुनाव हार गए। धामी के चुनाव हारने के बाद सीएम की कुर्सी को लेकर फिर बिसात बिछाई जाने लगी। कई पुराने दावेदार दिग्गजों के चेहरे की रंगत लौटने लगी। चर्चाओं का केंद्र बिंदु यही था कि हार के बाद पार्टी हाईकमान पुष्कर धामी को दूसरा चांस नहीं देगा। लेकिन राजनीति के खेल में अभी दूसरा चमत्कार भी होना शेष था।
फैसले की घड़ी करीब आने लगी। प्रदेश की राजनीति के दूसरे चमत्कार की कहानी भी साथ-साथ लिखी जाने लगी। और मोदी-शाह ने अपना चुनाव हारे लेकिन भाजपा को जिताने वाले योद्धा युवा पुष्कर का राजतिलक कर दिया। यह फैसला भी दिग्गजों को सन्न कर देने वाला था। 23 मार्च 2022 को पुष्कर धामी ने दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली।
नाराजगी की छिटपुट अंदरूनी राजनीति को दिल्ली के सहयोग से सीएम धामी ने शांत करव दिया। और फिर 2022 के चुनावी वादे के तहत धर्मानंतरण कानून को लागू करने के लिए समिति का गठन कर देश और प्रदेश में नयी बहस को जन्म भी दे दिया।
अब सीएम धामी के सामने खुला आकाश था। मोदी-शाह-नड्डा का जबरदस्त आशीर्वाद। और प्रदेश के विकास की एक बड़ी चुनौती। लेकिन सत्ता के सफर में अभी कई तीखे मोड़ आने बाकी थे। खतरनाक मोड़ पर सबसे युवा सीएम का एकसाथ कई बड़े संकट इंतजार कर रहे थे।
चुनौतियों में गुजरा एक साल
मार्च में सत्ता संभालने के चार महीने बाद अंकिता भंडारी हत्याकांड के अलावा, विधानसभा, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, लोक सेवा आयोग व अन्य भर्ती एजेंसियों से जुड़े घोटाले ने तापमान बढ़ाये रखा। भर्ती घोटाले में पूर्व आईएफएस आरबीएस रावत,हाकम सिंह ज़मेट लगभग 60 अभियुक्त जेल में बंद हैं। बेरोजगारों पर लाठीचार्ज व जोशीमठ आपदा की चुनौती भी किसी हिमालयी समस्या से कम नहीं आंकी जा रही है। अंकिता भंडारी हत्याकांड में वीआईपी की पहचान व अभियुक्तों के नार्को टेस्ट का जनता को बेसब्री से इंतजार है।
उपलब्धियों की फेहरिस्त भी जुड़ी
सीएम धामी ने एक साल में कुछ उपलब्धियों की ओर भी कदम बढ़ाए हैं। महिला व आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में आरक्षण, चुनावी वादे के मुताबिक धर्मानंतरण कानून के ड्राफ्ट पर मंथन, नकल विरोधी कानून, एक आईएएस 2 आईएफएस व 1 RTO के खिलाफ कार्रवाई, भर्ती घोटाले में पूर्व आईएफएस समेत कई को जेल,वृद्धावस्था पेंशन में इजाफा, गरीबों को 3 मुफ्त गैस सिलिंडर को विशेष उपलब्धियों में गिना जा रहा है। इसके अलावा स्वरोजगार, मिशन एप्पल, मिशन कीवी,होम स्टे, मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी, स्टेट मिलेट मिशन, लखपति दीदी योजना, पर्यटन नीति में 100 प्रतिशत सब्सिडी व पॉली हाउस के 200 करोड़ के बजट को भाजपा खास उपलब्धियों में गिना रही है।
यही नहीं, बीते एक साल में सीएम धामी का गांव प्रवास व सुबह सुबह आम जनता से मिलने की कवायद पर कांग्रेस नेता व पूर्व सीएम हरीश रावत की पॉजिटिव टिप्पणी को लेकर भी राजनीति में जबरदस्त हलचल देखी जा रही है।
सीएम धामी का कहना है कि 2025 तक उत्तराखण्ड को देश का अग्रणी राज्य बनाएंगे। उधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण मेहरा का कहना है कि भाजपा सरकार का एक साल का कार्यकाल निराशाजनक रहा है।
आरोप-प्रत्यारोप की इस जुबानी जंग के बीच सीएम धामी को जनता की कसौटी पर खरा उतरने के अलावा मंत्रिमंडल विस्तार व दायित्व बंटवारे की एक और चुनोती से भी पार पाना अभी बाकी है…
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