परिवहन निगम के डीजीएम भूपेंद्र पर अब चलेगा भ्रष्टाचार का मुकदमा

सीएम धामी बोले, बड़े मगरमच्छ छोड़े नहीं जाएंगे

विजिलेंस जांच में खुलासे के बाद सीएम ने मुकदमे की मंजूरी दी

देखें, “अविकल उत्तराखंड” ने अप्रैल 2025 में छापी थी विस्तृत खबर

अविकल थपलियाल

देहरादून। लंबी जांच के बाद डीजीएम भूपेंद्र के कारनामे सामने आ ही गए। सीएम धामी ने विजिलेंस को कड़ी कार्रवाई के लिए फ्री हैंड कर दिया। सीएम ने कहा कि,बड़े मगरमच्छव बढ़ी मछलियां बख्शे नहीं जाएंगे।

उत्तराखंड परिवहन निगम के डीजीएम (डिप्टी जनरल मैनेजर) भूपेंद्र सिंह पर  आय से अधिक सम्पत्ति, अनियमितताओं और अवैध वसूली का मामले में अब विजिलेंसभ्र्ष्टाचार का मुकदमा चलाएगी। करीब दो साल तक चली विजिलेंस जांच के बाद मुख्यमंत्री ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति दे दी है। अब विजिलेंस जल्द ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करेगी।

गौरतलब है कि ‘अविकल उत्तराखण्ड” ने अप्रैल माह में डीजीएम भूपेंद्र के भ्र्ष्टाचार के खिलाफ विस्तृत रिपोर्ट छापी थी।

दो साल चली जांच, मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद मुकदमा

परिवहन निगम के बस अड्डों और परिसरों में दुकानों के आवंटन और संचालन में अनियमितताओं की शिकायतें लंबे समय से मिल रही थीं। विजिलेंस ने जून 2023 में इस मामले की खुली जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि भूपेंद्र सिंह ने पांच वर्षों के भीतर निगम को करीब 50 लाख रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाया।

उन्होंने दुकानों और स्टॉल्स के आवंटन में नियमों को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से आवंटन किया और उनसे नियमित किराया लेने के बजाय व्यक्तिगत लाभ के लिए ऊपरी रकम वसूली। इस वजह से निगम को भारी राजस्व नुकसान हुआ।

दुकानदारों से अवैध वसूली और धमकियां

जांच में कई दुकानदारों ने गवाही दी कि डीजीएम उनसे तय किराए के अलावा भी हर महीने पैसे मांगते थे। दुकानदारों ने आरोप लगाया कि अगर वे यह अतिरिक्त रकम देने से मना करते, तो उनका कारोबार बंद करा देने की धमकी दी जाती थी।
विजिलेंस के मुताबिक, डीजीएम के दबाव में दुकानदारों को अतिरिक्त पैसे देने पड़ते थे ताकि उनका स्टॉल या दुकान बनी रहे।

परिवार के खातों में जमा की गई रकम

जांच में यह भी पता चला कि डीजीएम ने यह अवैध पैसा अपने परिवार के खातों में जमा कराया। उनके बेटे और बेटी के बैंक खातों में लाखों रुपये जमा हुए, जिनका कोई वैध स्रोत नहीं मिला।

निगम को करोड़ों का नुकसान

विजिलेंस रिपोर्ट के अनुसार, डीजीएम द्वारा गलत तरीके से आवंटन और वसूली की वजह से निगम को न केवल करोड़ों का संभावित राजस्व नुकसान हुआ, बल्कि बाजार दर से बहुत कम किराए पर परिसंपत्तियां आवंटित की गईं। इससे निगम को वैध आय से भी वंचित रहना पड़ा।

विजिलेंस की रिपोर्ट में ये तथ्य सामने आए:

पांच वर्षों में निगम को लगभग 50 लाख रुपये से ज्यादा का नुकसान।

दुकानों और स्टॉल्स का गलत तरीके से आवंटन।

तय किराए के अलावा दुकानदारों से जबरन वसूली।

पैसा न देने वालों को कारोबार बंद करने की धमकी।

परिवार के खातों में लाखों रुपये की संदिग्ध जमा।

अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी दबाव की पुष्टि की।

अब आगे क्या?

मुख्यमंत्री द्वारा मुकदमा दर्ज करने की मंजूरी के बाद अब विजिलेंस भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत डीजीएम भूपेंद्र सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करेगी। इसके बाद गिरफ्तारी और अन्य कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होगी।

यह हैं आरोप

डीजीएम भूपेंद्र सिंह पर गंभीर आरोप हैं कि उन्होंने न केवल निगम की संपत्तियों के आवंटन में हेराफेरी की, बल्कि निगम की आय को भी नुकसान पहुंचाया और व्यक्तिगत लाभ के लिए दुकानदारों से जबरन वसूली की। विजिलेंस की जांच में यह मामला पूरी तरह उजागर हो चुका है और अब कानूनी कार्रवाई की बारी है।

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