पूर्व सीएम हरीश रावत ने सजाई रसीले पहाड़ी माल्टा की दावत
अविकल थपलियाल
देहरादून । उत्तराखण्ड के मौसम में ठंड घुलती जा रही है। लेकिन राजनीति का तापमान भी उतमी ही तेजी से चढ़ता जा रहा है।
हरक सिंह रावत के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत व सांसद अजय भट्ट को गर्मागर्म परांठे की वर्षों पुरानी खुशबू की याद दिलाने और पूर्व सीएम निशंक व तीरथ सिंह रावत की शैक्षणिक सफर पर सवाल उठाने के बाद अब पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी अपनी पुरानी परम्परा को एक कदम और आगे बढ़ा दिया है।
पूर्व सीएम ने एक बार फिर पहाड़ी माल्टा, नींबू व संतरे की दावत का न्योता भेजा है। 2027 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हाईकमान ने बेशक हरीश रावत को फ्रंट मोर्चे पर तैनात नहीं किया है। लेकिन प्रदेश की राजनीति में स्वंय की मौजूदगी का बारम्बार अहसास दिलाने वाले हरदा ने भी अपनी चुनावी तोप की नाल की सफाई शुरू कर दी है।
पूर्व सीएम हरीश रावत काफल,भुट्टे,आम, खीरा-ककड़ी पहाड़ी रायते की शानदार दावत कर पीएम मोदी व भाजपा को अपने वोकल फार लोकल का सन्देश देते रहे हैं। हरीश रावत की यह महफ़िल बरसों से सजती रही है।
2025 के आखिरी महीने दिसम्बर की धूप में पहाड़ी माल्टा की इस दावत में राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र के प्रमुख लोगों को न्योता भेजा गया है। माल्टा की यह दावत हरिद्वार बायपास रोड पर स्थित नीरजा ग्रीन में दोपहर 2 बजे रखी गयी है।
पहाड़ी रसीले माल्टा के साथ पहाड़ी पिसे हुए नमक का स्वाद बरबस मुंह में पानी ला देगा। ऐसा दावा भी किया गया है।
हरीश रावत का कहना है कि माल्टा उत्पादकों को उम्मीद के मुताबिक सरकारी संरक्षण नहीं मिल पाया।
उन्होंने भी अपने कार्यकाल में कीवी आदि पहाड़ी फलों के प्रोत्साहन के लिए फैसले लिए थे। लेकिन माल्टा को लेकर थोड़ा चूक गए।
25 साल के उत्तराखण्ड में प्रदेश के पर्वतीय जिलों में माल्टा के भारी उत्पादन के बाद काश्तकार को वाजिब दाम न मिलना भी कई सवाल खड़े करता है।
बहरहाल, शनिवार की माल्टा पार्टी में कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं का जमावड़ा भी लगेगा। विपक्ष के नेताओं के भी आने की।उम्मीद है। पूर्व में हरीश रावत व त्रिवेंद्र रावत एक दूसरे की भुट्टा, आम व रायता पार्टी में शिरकत करते रहे हैं।

इस बार हरीश रावत 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी और विपक्ष को अपने वजूद का अहसास कराएंगे। इसी साल गर्मियों में हरदा की काफल पार्टी में भारी हुजूम उमड़ा था। पार्टी में पहाड़ से तोड़कर लाए गए काफल की बहुतायत भी चर्चा का विषय बनी ।
इस बार रसीले पहाड़ी माल्टा पार्टी के साथ ही प्रदेश की राजनीति का पारा कुछ डिग्री उछाल तो मारेगा ही…

