पद्म भूषण राम बहादुर राय को “लेखक गांव सृजन सम्मान”

मीडिया काउंसिल’ का गठन समय की आवश्यकता – रामबहादुर

‘हर सरकार मीडिया को इस्तेमाल करती रही’

सोशल मीडिया की अराजकता पर अंकुश लगे

हिंदी पत्रकारिता के 200 वर्ष पर लेखक गांव में हुआ भव्य कार्यक्रम

अविकल उत्तराखण्ड

लेखक गांव, थानो। हिंदी पत्रकारिता दो सौ वर्ष पूर्ण होने पर लेखक गाँव के नालंदा पुस्तकालय परिसर में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष, विचारक एवं वरिष्ठ पत्रकार पद्मभूषण राम बहादुर राय ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।
उन्होंने  पत्रकारिता जीवन  के अनुभव साझा करते हुए कहा कि हिंदी पत्रकारिता के माध्यम से उन्होंने कईं आयाम छूए, आज हिंदी को अनेकों देश में पढ़ाया जा रहा है, इसका निरंतर विस्तार हो रहा है।
मीडिया में आए बदलाव, प्रतिस्पर्धा एवं व्यवसायिक पहलुओं पर उन्होंने चिंता जताई, उन्होंने सरकार से ‘मीडिया काउंसिल’ के गठन की आवश्यकता पर भी विचार करने को कहा।

उन्होंने विभिन्न कालखंड की पत्रकारिता का सम्पूर्ण विवरण देते हुए कहा कि हर सरकार मीडिया को इस्तेमाल करती रही है। हिंदी पत्रकारिता एवरेस्ट की ऊंचाई से फिसल कर रसातल में पहुंचती जा रही है।

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने अराजकता को बढ़ावा दिया है। अब तो नियम बनाये जाने की बात सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दी है।

लेखक गांव के  स्थापना की उन्होंने सराहना की, उन्होंने कहा लेखक गांव स्वाधीन भारत का अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र बनेगा।
लेखक गांव के संरक्षक पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा की हिंदी पत्रकारिता राष्ट्र की चेतना के साथ ही सांस्कृतिक धरोहरों एवं राष्ट्रीय आंदोलनों का भी संवाहक है।

स्वाधीनता से पूर्व और स्वाधीन भारत के निर्माण में, उसके सांस्कृतिक विकास में तथा विस्तार में हिंदी पत्रकारिता का अहम योगदान रहा है। हे.न.ब गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर श्री प्रकाश सिंह ने कहा कि कागज और कलम में बड़ी ताकत होती है, उन्होंने शोध छात्रों से आह्वान किया कि जो भी शोध आलेख लिखें वह आंकड़ों से युक्त हो, विश्वसनीय हो और सटीक हो।
मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा कि मानव सभ्यता के विकास में पाषाण काल से मंगल ग्रह तक की यात्रा में मीडिया की अहम भूमिका रही है। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने कहा कि आज गौरव का क्षण है, हिंदी पत्रकारिता के बिना राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती है। लेखक गांव से जो ज्योत डॉ. निशंक जी ने जलाई है वह निरंतर जलनी चाहिए।
इस अवसर पर डॉ. डी. आर पुरोहित, डॉ. वेद प्रकाश, डॉ सविता मोहन सहित अनेक विद्वत जनों ने अपने विचार व्यक्त किये। लेखक गांव की निदेशक विदुषी निशंक ने स्वागत भाषण दिया तथा लेखक गांव के विजन एवं मिशन को विस्तार से बताया, कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुशील उपाध्याय ने किया।


कार्यक्रम में पद्मश्री प्रीतम भरतवाण, पद्मश्री डॉ माधुरी बर्थवाल, पद्मश्री प्रेमचंद शर्मा,राकेश डोभाल,  अरुण शर्मा, जेपी पंवार, स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय के कुलपति जी.एस रज्वार, प्रोवीसी आर. के सुन्द्रियाल सहित अनेक वरिष्ठ पत्रकार, विद्वतजन एवं शोध छात्र उपस्थित रहे।

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