जनवरी 2018 के प्रावधानों के तहत अगस्त माह में जारी हो चुकी हैं दो ट्रांसफर लिस्ट
तबादलों के नियम और सुगम-दुर्गम की नीति का कितना हुआ पालन
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। हाल ही में आयुर्वेद विभाग के चिकित्सा अधिकारियों के बेमौसम तबादले चर्चा का विषय बने हुए हैं।
सरकारी कार्मिक के स्थानान्तरण के सम्बन्ध में सम्बंधित धारा एवं स्थानान्तरण प्रकिया का उल्लेख किया जाना आवश्यक है। साथ ही स्थानान्तरण आदेश निर्गत किए जाने पश्चात उसे उत्तराखंड की वेबसाइट पर भी प्रदर्शित किया जाना आवश्यक है।।लेकिन हालिया ट्रांसफर किस नियम या धारा के तहत किये गए,इसका कोई उल्लेख नहीं है।
अगर अनिवार्य ,अनुरोध या फिर धारा 27 के तहत ट्रांसफर किये गए तो तबादला आदेश में साफ उल्लेख होना चाहिए था। अलबत्ता, ट्रांसफर आदेश में यह अवश्य लिखा गया है कि 5 जनवरी 2018 के प्रावधानों के तहत ट्रांसफर किये गए हैं।
इसका उदाहरण है हाल ही में एक के बाद एक जारी आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों की दो स्थानांतरण आदेश। एक स्थानांतरण आदेश 3 अगस्त को जारी किया जाता है तो दूसरा स्थानांतरण आदेश 23 अगस्त 2023 को जारी किया जाता है (देखें सूची)।
पहले स्थानान्तरण आदेश में डॉ० सिद्धी मिश्रा( पूर्व आयुर्वेद निदेशक डॉ० पूजा भारद्वाज की पुत्रवधु) दुर्गम में तैनाती आदेश के बावजूद 31 अगस्त 2013 से 12 अप्रैल 2017 एवं 19 अप्रैल 2017 से 11 जनवरी 2023 तक सुगम इलाके में लगभग नौ साल तक अटैच्ड रहीं।
फिर सम्बद्धता समाप्त होने के बाद केवल कुछ माह ही अपनी मूल नियुक्ति पर गयी। उसके तुरंत बाद फिर सुगम में स्थानांतरित हो गयी। जबकि नियमानुसार न्यूनतम 3 वर्षों की अनिवार्य दुर्गम सेवा के बाद ही सुगम में स्थानान्तरण हो सकता है।
साथ ही नियमानुसार दुर्गम से सुगम में स्थानान्तरण हेतु पात्र कार्मिकों से 10 विकल्प मांगकर पात्र कार्मिकों की सूची एवं रिक्त पदों का विवरण वेबसाइट पर डालना आवश्यक है। लेकिन अपात्र कार्मिकों के स्थानान्तरण भी कर दिए गए।न
साथ ही दोनों ही स्थानान्तरण आदेशों में नियमित आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारियों के स्थानान्तरण मेडिकल आफिसर सामुदायिक स्वास्थ्य (MOCH) के पदों पर PHC/CHC छिद्दरवाला, नेहरूग्राम, मेहुवाला देहरादून आदि इत्यादि में कर दिए गए हैं। ऐसा ही अन्य जिलों में भी किया गया है। जबकि शासन द्वारा MOCH को मृत संवर्ग (Dead Cadre) घोषित किया जा चुका है और उसमें भी शासन द्वारा स्थानान्तरण कर दिए गए हैं।
जो पद ही समाप्त हो चुका उस पर भला कैसे स्थानांतरण किया जा सकता है, लेकिन आयुष विभाग में ऐसा हुआ है। के नौकरशाहों ने ये कारनामा भी कर दिखाया है, इससे बड़ा भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण ओर क्या हो सकता है। क्या इसी तरह से धामी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को नौकरशाह ऐसे ही मुख्यमंत्री की आंखों में धूल झोंककर चूना लगाते रहेंगे। क्या मुख्यमंत्री ऐसे बेलगाम हो चुके अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करेंगे।
देखें, ट्रांसफर एक्ट के मुख्य बिंदु
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