ऋषिकुल परिसर निदेशक ने डॉ जोशी को कार्यभार ग्रहण कराने से पहले शासन से लिया मार्गदर्शन
अविकल उत्तराखण्ड
हरिद्वार। काफी जद्दोजहद के बाद आयुर्वेद विवि से हटाए गये कुलपति डॉ सुनील जोशी ने गुरुवार की देर सांय प्रोफेसर पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया।
गुरुवार की दोपहर में डॉ जोशी को कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कार्यभार ग्रहण नहीं कराया गया था। और ऋषिकुल परिसर निदेशक डी सी सिंह ने इस बाबत शासन से राय मांगी।
काफी देर तक चले गतिरोध के बाद डॉ सुनील जोशी को प्रोफेसर पद पर कार्यभार ग्रहण कराया गया (देखें आदेश)।
गौरतलब है कि प्रो सुनील जोशी को हाई कोर्ट ने 5 जुलाई को कुलपति आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पद से हटाने के आदेश दिए .12 जुलाई को राजभवन ने कुलपति को पद से हटा दिया।गौरतलब है कि डॉ विनोद चौहान की हाईकोर्ट में पेश याचिका में डॉ सुनील जोशी की प्रोफेसर पद पर योग्यता पर भी सवाल उठाते हुए कुलपति की नियुक्ति को चुनौती दी गयी थी। दो साल तक हाईकोर्ट में सुनवाई चलने के बाद रिटायरमेंट से एक दिन पहले बर्खास्त किया गया।
इसी याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट ने 5 जुलाई को कुलपति पद से हटाने के आदेश दिए थे। ऐसे में डॉ जोशी को प्रोफेसर पद पर कार्यभार ग्रहण करने पर हलचल मची हुई है।
विवि से जुड़े सूत्रों का कहना है कि डी सी सिंह परिसर निदेशक ऋषिकुल ने जोशी को कार्यभार ग्रहण करा एक नये विवाद को जन्म दे दिया है।
यहां यह भी तर्क दिया जा रहा है कि भारत के संविधान एवम कार्मिक मंत्रालय के नियमावली के अनुसार बर्खास्त सरकारी कर्मचारी भविष्य में किसी भी सरकार के अधीन कोई भी पद पर नियुक्ति के लिए स्वताः अनुपयुक्त/अयोग्य हो जाता है।
डॉ जोशी के ताजे कार्यभार ग्रहण को भी चैलेंज करने की बात सुनी जा रही है।
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