खोज ..पुनर्वास और  रोजी रोटी की व्यवस्था बनी मुख्य चुनौती

..जिंदगी में पसरे अंधेरे को कौन दूर करेगा

मशीनों की कानफोड़ू आवाज के बीच धराली में गूंजे नारे

अविकल थपलियाल

उत्तरकाशी। आपदा ग्रस्त थराली में बड़ी बड़ी मशीनों की घरघराहट का शोर भी है तो पीड़ितों की दर्द भरी चीख भी…

हर्षिल-धराली आपदा के पांचवे दिन भी मलबे में दबे लोगों का पता नहीं चल सका। डॉग्स व अन्य उपकरणों की मदद भी ली गयी। लेकिन 25-30 फ़ीट मलबे के नीचे कितने लोग दबे हैं। कहीं कुछ नहीं पता चल सका।
शनिवार को तीन चार मशीनों के जरिये धराली के मलबे में आये बड़े बड़े पत्थर हटाने का काम चला।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक धराली में 6 लोगों की मौत व 16 लोग लापता हुए हैं। वास्तविक संख्या का अभी तक कोई आंकलन नहीं किया गया।

पीड़ा की गूंज

अलबत्ता डबरानी/गंगनानी के पास चिंचगाड में क्षतिग्रस्त वैली ब्रिज कड़ी मशक्कत के बाद लगभग तैयार हो गया। अब इस पुल से आवागमन शुरू हो जाएगा।

यही नहीं, 5 अगस्त के बाद हर्षिल और धराली में छाया अंधेरा शनिवार ली देर रात छंट गया। यहां यूपीसीएल ने बिजली बहाल कर दी।

फंसे लोगों को निकालने का सिलसिला शनिवार को भी जारी रहा। कुल 1226 लोग निकाले जा चुके हैं।

लेकिन धराली के मलबे के ऊपर बैठे पीड़ितों जोरदार नारेबाजी भी हलचल मचा गयी।
क्षुब्ध ग्रामीणों ने 5 हजार का चेक लौटाते हुए सरकार, केंद्र और स्थानीय विधायक के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। उनका कहना था कि उन्हें दिखावे की मदद नहीं, बल्कि वास्तविक पुनर्वास और पर्याप्त सहायता चाहिए।

दरअसल, पीड़ितों को फौरी तौर पर दी जाने वाली मामूली 5-5 हजार की आर्थिक सहायता को लेकर पीड़ितों के सब्र का बांध टूट गया था।

पुल निर्माण

इस नारेबाजी से चेती मशीनरी ने पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त मकान म्सलिकों को 5-5 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। यही नहीं आपदा प्रभावितों को छह महीने तक राशन देने का भी फैसला लिया।

पौड़ी के सैंजी और बांकुड़ा गांव में भी जिन लोगों के घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें भी राज्य सरकार के स्तर से ₹ 5 लाख तक भी सहायता राशि दी जाएगी।

..बिजली बहाल

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और ऑडियो में स्थानीय लोगों का आरोप है कि  धराली की स्थिति बेहद गंभीर है। एक सप्ताह बाद भी कई परिवार तंबुओं और अस्थायी आश्रयों में रह रहे हैं।

इस बीच, शनिवार को सरकार ने पुनर्वास आदि मामलों के लिए शासन के तीन सदस्यीय कमेटी का भी गठन भी कर दिया।

इस समिति में आईएएस सुरेन्द्र नारायण पाण्डेय,  आशीष कुमार चौहान, मुख्य कार्यकारी अधिकारी व  हिमांशु खुराना को जगह दी गयी है।

यह समिति दैवीय आपदा से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास, उनकी आजीविका को सुदृढ़ एवं स्थिर बनाने आदि के उद्देश्य से काम करेगी।

शनिवार को कुल 480 लोगों को हर्षिल तथा नेलांग से लाकर जौलीग्रांट, मातली तथा चिन्यालीसौंड से उनके गंतव्य के लिए रवाना किया गया। 6 अगस्त से 9 अगस्त के मध्य चार दिनों में 1126 लोगों का सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है।

इस बीच, बेतिया, बिहार के एक व्यक्ति का पैदल चलते हुए वीडियो भी वॉयरल हो रहा है। इसमें वह व्यक्ति लगभग 45 बिहारी मजदूरों के धराली में होने की बात कह रहा है। इसके अलावा कई नेपाली मजदूरों के भी 5 अगस्त को धराली में होने की बात कही जा रही है।

धराली में कितने लोगों की मौत हुई। यह आंकड़ा मलबे की खुदाई के बाद ही सामने आएगा। हर्षिल के आर्मी कैम्प से लापता नौ सैनिकों का भी पांचवे दिन कुछ पता नहीं लगा।
इसी सच को लोग जानने के लिए पैदल ही धराली कूच कर रहे हैं।
स्वास्थ्य सचिव राजेश कुमार भी शनिवार को धराली पहुंचे। जबकि कई वरिष्ठ अधिकारी दून के आपदा परिचालन केंद्र में बैठकर आपदाग्रस्त इलाके पर नजर रखे हुए हैं। सीएम धामी ने भी राज्यपाल को आपदा कार्यों को जानकारी दी।

जिंदगी का भयानक मोड़

तमाम सरकारी कोशिशों के बाद धराली-हर्षिल के लापता लोगों की खोज व पुनर्वास ही मुख्य मुद्दा बनी हुई। इस आपदा से जान माल के वास्तविक आंकड़े सामने आने के बाद ही पीड़ितों के लिए ठोस पुनर्वास नीति बनाना भी बड़ा काम होगा।

पांच दिन तक अंधेरे में रातें गुजार रहे हर्षिल-थराली के पीड़ितों को शनिवार को बिजली मुहैया करा दी गयी। लेकिन उनके जीवन में अचानक पसरे व्यापक अंधेरे को किसी भी प्रकार का पैकेज दूर कर पायेगा ?.. पिक्चर अभी बाकी है…

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