बोल चैतू
अविकल थपलियाल
…समय चक्र किसी के लिए नहीं रुकता। समय-समय पर प्रकृति अपना खेल दिखाती रहती है। मौसम कैसा भी हो लेकिन राजनीति की चालें भी कभी नहीं थमती।
उत्तरकाशी की धराली-हर्षिल व पौड़ी जिले में हुई मौतों के रुदन के बीच राजनीति की जोड़ तोड़ भी चलती रही।
इस आपदा में दफन हो गए लोगों के परिजन पांच अगस्त से धराली के मलबे के ऊपर बैठे हैं। हर्षिल के आर्मी के कैम्प में सेना के नौ जवान भी सैलाब में बह गए । उनकी तलाश भी पूरी नहीं हुई।

चार दिन बीतने के बाद तक धराली के मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालने की रणनीति बनती रही। रास्ते भी टूट गए। धराली जाने का कोई रास्ता नहीं बचा। लेकिन नेताओं के दूसरे दल में जाने का एक गलियारा 24 घण्टे खुला रहा। चिनूक भी लोगों ने देखा।
इसी गलियारे से होकर आपदा प्रभावित उत्तरकाशी जिले की राजनीति ने करवट ली।
और आठ अगस्त को कांग्रेस के टिकट पर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ चुके निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण भाजपा में शामिल हो गए। उनके साथ उत्तरकाशी के नौ व चमोली के दो जिला पंचायत सदस्य भी शामिल हुए।

राजनीति के समय चक्र का यह पहिया उस समय तेजी से घूमा जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा पैदल ही आपदा प्रभावित धराली की ओर कूच कर रहे थे।
उत्तराखंड के 12 जिला पंचायत अध्यक्ष व 89 ब्लाक प्रमुख के पदों का चुनाव 14 अगस्त को होना है। जिला पंचायत की चुनावी सरगर्मी जोरों पर थी। इसी बीच, प्रकृति के खौफनाक अट्टहास के बीच खीर गंगा के अपना रास्ता बदलने के बीच राजनीति ने भी हौले से अपना पुराना रास्ता बदला।

हालांकि,भाजपा के स्थानीय नेताओं ने उत्तरकाशी जिले के भाजपा विधायक व जिला संगठन ने दीपक बिजल्वाण के पुराने भ्र्ष्टाचार को उठाते हुए सीएम व प्रदेश अध्यक्ष को पत्र भी लिखा। उत्तरकाशी की भाजपा टीम कांग्रेसी रहे दीपक बिजल्वाण गड़बडियों को उठा कर उन्हें रोकने की कोशिश भी करती रही। लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। और मुखर विरोधी रहे बिजल्वाण को भाजपा में शामिल करा लिया गया। यह सब कुछ आठ अगस्त को हुआ।
पांच अगस्त को आई आपदा के बाद सीएम धामी लगातार तीन दिन तक उत्तरकाशी में डटे रहे। पीड़ितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाता रहा। लेकिन इस बीच उत्तरकाशी की राजनीति को उलटने पलटने का खेल भी चलता रहा।

आपदा के मलबे में दबे लोगों के पार्थिव शरीर देर सबेर निकल ही जायेंगे। चिनूक हेलीकॉप्टर की गड़गड़ाहट कुछ दिन और उत्तरकाशी के आकाश में सुनाई देती रहेगी। कुछ भारी मशीनों से एक बार फिर मलबे से पटी धराली का सीना चीरा जाएगा। अभागे लोगों के मृत शरीर निकलेंगे। अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। रुदन का सिलसिला भी चलता रहेगा।

अपना सब कुछ गंवा चुके लोग दिल में भारी बोझ लिए नये सिरे से जिंदगी को पटरी पर लाने की जुगत में भी जुटेंगे।
लेकिन खत्म हो चुकी धराली का वो पुराना नैसर्गिक सौंदर्य फिर कभी नहीं लौटेगा..समय की मार के बीच जिंदगी की जद्दोजहद चलती रहेगी…समय चक्र चलता रहेगा…चलता रहेगा..
Pls clik-आपदा व राजनीति से जुड़ी खबरें
राखी, राहत और रिश्ता: आपदा के बीच भावुक क्षण
चालीस किमी पैदल रास्ता नाप कर धराली पहुंचे कांग्रेस नेता करन
निवर्तमान जिपं अध्यक्ष के भाजपा में आने की ‘खबर’ से मचा घमासान
भाजपा ने जिपं अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों की घोषणा की

