देखें, मुख्य वित्त अधिकारी अमित जैन का लंबा चौड़ा निलम्बन आदेश

शनिवार को बंद रहने वाले सचिवालय में अपर मुख्य सचिव का कार्यालय खोल निलम्बन आदेश टाइप किया गया

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। शासकीय आदेशों के उल्लंघन के आरोप में निलंबित किये गए मुख्य वित्त अधिकारी अमित जैन को लेकर सत्ता -शासन में भारी हलचल रही।

शनिवार को सचिवालय में निलम्बन आदेश टाइप किया गया। अपर मुख्य सचिव आंनद वर्द्धन की ओर से यह आदेश किया गया। जबकि शनिवार को सचिवालय बन्द रहता है।

तीन पेज के निलंबन आदेश में कहा गया कि मुख्य वित्त अधिकारी के विरूद्ध निर्गत आरोप पत्र एवं अनुपूरक आरोप पत्र के कम में गतिमान जांच एवं उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में चल रही सतर्कता जांच की प्रक्रिया को पारदर्शी एवं निष्पक्षतापूर्ण ढंग से सम्पादित किये जाने के उद्देश्य से जैन का निदेशालय, कोषागार, पेंशन एवं हकदारी में सम्बद्ध किया गया।

लेकिन मुख्य वित्त अधिकारी अमित जैन ने 26 जून के ट्रांसफर आदेश को धता बताते हुए आयुर्वेद विवि में चेक भगतान समेत अन्य कार्य जारी रखे। शुक्रवार को यह केस ‘अविकल उत्तराखण्ड’ ने छाप कर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था।

निलम्बन आदेश

श्री अमित जैन, मुख्य वित्त अधिकारी के विरूद्ध निर्गत आरोप पत्र एवं अनुपूरक आरोप पत्र के कम में गतिमान जांच एवं उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में चल रही सतर्कता जांच की प्रक्रिया को पारदर्शी एवं निष्पक्षतापूर्ण ढंग से सम्पादित किये जाने के उद्देश्य से श्री जैन को वित्त अनुभाग-06 उत्तराखण्ड शासन के कार्यालय आदेश संख्या -133467/ ई- 57826 / 2023, दिनांक 28 जून, 2023 द्वारा निदेशालय, कोषागार, पेंशन एवं हकदारी में सम्बद्ध किया गया किन्तु श्री जैन द्वारा शासकीय आदेशों की अवहेलना करते हुए निदेशालय, पेंशन एवं हकदारी, देहरादून में आतिथि योगदान नहीं किया गया है। साथ ही श्री जैन द्वारा पूर्व में भी निम्नानुसार अंकित प्रकरणों पर शासकीय आदेशों की निरन्तर अवहेलना की जा रही है:-

(i) वित्त विभाग, उत्तरखण्ड शासन के पत्र संख्या- 102608, दिनांक 28 फरवरी, 2023 द्वारा विभागों में आहरण वितरण अधिकारी घोषित किये जाने के सम्बन्ध में वित्तीय हस्त पुस्तिका (लेखा नियम) खण्ड 05 भाग 01 के नियम 400 – सी एवं विद्यमान शासनादेशों के अनुसार वित्त सेवा के अधिकारियों को आहरण वितरण के रूप में कार्य किये जाने पर प्रतिबन्ध लगाया गया है केवल विशेष परिस्थितियों में ही शासन के वित्त विभाग की अनुमति के पश्चात ही वित्त अधिकारी के द्वारा आहरण वितरण का कार्य सम्पादित किये जाने के सम्बन्ध में विद्यमान नियमों के अक्षरशः अनुपालन के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश निर्गत किए गये। इसी के अनुक्रम में आयुष एवं आयुश शिक्षा अनुभाग के पत्र संख्या-309, दिनांक 17 मार्च, 2023 द्वारा कुलपति / कुलसचिव, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, देहरादून को सम्बोधित पत्र के माध्यम से आहरण वितरण अधिकारी के दायित्वों एवं कर्त्तव्यों के निर्वहन हेतु शासन के उक्त सन्दर्भित पत्र दिनांक 28 फरवरी 2023 एवं उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, परिनियमावली, 2015 में किये गये प्राविधानों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश प्रदान किए गये, लेकिन श्री जैन द्वारा उक्त आदेशों एवं वित्तीय हस्त पुस्तिका ( लेखा नियम) खण्ड – 05 भाग 01 के नियम 400-सी में वर्णित व्यवस्था का उल्लंघन करते हुए आहरण वितरण का कार्य किया जा रहा है।

(ii) श्री जैन के वर्तमान में मूल तैनाती विभाग- आयुष एवं आयुश शिक्षा के अन्तर्गत संचालित उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के सम्बन्ध में शासन स्तर से निरन्तर प्रदत्त निर्देशों यथा- महालेखाकार संबंधी महत्त्वपूर्ण लेखा परीक्षा के निरीक्षण प्रतिवेदन की अनुपालन आख्या का प्रेषण, डॉ० राजेश कुमार, चिकित्साधिकारी की विश्वविद्यालय से सम्बद्धता समाप्त किये जाने के उपरान्त भी वेतन आहरित किया जाना शासन स्तर पर निर्धारित महत्वपूर्ण बैठक में प्रतिभाग न करना आदि शासकीय निर्देशों की निरन्तर अवहेलना का द्योतक है।

(iii) वित्त अनुभाग – 6, उत्तराखण्ड शासन के कार्यालय आदेश संख्या-133467, दिनांक 28 जून, 2023 द्वारा श्री जैन का सम्बद्धीकरण सम्प्रति धारित समस्त पदभारों से अवमुक्त करते हुए निदेशालय, कोषागार, पेंशन एवं हकदारी में किया गया। लेकिन श्री जैन द्वारा आतिथि निदेशालय में योगदान नहीं किया गया। जबकि उक्त सम्बद्धीकरण की सूचना उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय की आधिकारिक ई-मेल पर दिनांक 28.06.2023 को प्रेषित कर दी गयी थी तथा श्री जैन को वॉटसऐप के माध्यम से भी उक्त सन्दर्भित कार्यालय आदेश प्रेषित कर दिया गया था, जो कि उनके द्वारा अवलोकित भी कर लिया गया था। इसके उपरान्त भी शासकीय आदेश का अनुपालन श्री जैन द्वारा अतिथि नहीं किया गया है।

(iv) वित्त विभाग, उत्तराखण्ड शासन के पत्र संख्या – 12964, दिनांक 13 मई, 2023 द्वारा श्री जैन को अनुपूरक आरोप-पत्र निर्गत किया था। आरोप-पत्र के प्रत्युत्तर देने के सम्बन्ध में पत्र में निर्धारित समयावधि व्यतीत होने के उपरान्त भी श्री जैन का प्रत्युत्तर शासन को आतिथि प्राप्त नहीं हुआ है।

सम्प्रति उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में सतर्कता जांच की प्रक्रिया गतिमान है। उपरोक्त से स्पष्ट है कि सतर्कता जांच एवं उनके विरूद्ध प्रचलित विभागीय जांच को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने के Malafide intention से श्री जैन द्वारा बार-बार शासकीय आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है।

व्यापक राजकीय हित एवं राज्य के वित्तीय अनुशासन को बनाये रखने हेतु राज्य में वित्त सेवा सवंर्ग के ढाँचे का गठन करते हुए विभिन्न विभागों में अधिकारियों की तैनाती की जाती है। वित्त सेवा के अधिकारी द्वारा इस प्रकार वित्तीय हस्त पुस्तिका एवं विद्यमान वित्तीय नियमों का उल्लंघन किया जाना शासकीय हित में उचित नहीं है। यह आचरण उनके राजकीय कार्मिक विशेषकर वित्त सेवा के अधिकारी के रूप में कार्य करने की अयोग्यता को दर्शाता है। श्री जैन का यहआचरण, कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 के नियम – 3 ( 1 ) एवं 3 ( 2 ) का स्पष्ट उल्लंघन है ।

उक्त के दृष्टिगत श्री जैन द्वारा कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन करने तथा उनको प्रदान किये गये आरोप-पत्र एवं अनुपूरक आरोप-पत्र में उल्लिखित आरोपों की प्रकृति की गम्भीरता के दृष्टिगत उक्त आरोप में विभागीय कार्यवाही होने तथा उसमें इसके स्थापित होने की दशा में श्री जैन पर उत्तराखण्ड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 2003 के नियम – 3 (ख) में उल्लिखित दीर्घ शास्तियां अधिरोपित की जा सकती हैं। अतः उपरोक्त के दृष्टिगत श्री अमित जैन को दिनांक 08.07.2023 से निलम्बित करते हुए निदेशालय, कोषागार, पेंशन एवं हकदारी, देहरादून में सम्बद्ध किया जाता है। 2. निलम्बन की अवधि में श्री जैन को वित्तीय नियम संग्रह खण्ड -2, भाग 2 से 4 के मूल नियम 53 के प्राविधानों के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि अर्द्धवेतन पर देय अवकाश वेतन की राशि के बराबर देय होगी तथा उन्हें जीवन निर्वाह के साथ कोई महंगाई भत्ता देय नहीं होगा, जिन्हें निलम्बन पूर्व प्राप्त वेतन के साथ महंगाई भत्ता अथवा महंगाई भत्ते का उपांतिक समायोजन प्राप्त नहीं था ।

निलम्बन के दिनांक को प्राप्त वेतन के आधार पर अन्य प्रतिकर भत्ते भी निलम्बन की अवधि में इस शर्त पर देय होंगे, जब इसका समाधान हो जाय कि उनके द्वारा उस मद में व्यय वास्तव किया जा रहा है, जिसके लिए उक्त प्रतिकर भत्ते अनुमन्य है ।

उपर्युक्त प्रस्तर 2 में उल्लिखित मदों का भुगतान तभी किया जायेगा, जबकि श्री अमित जैन इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करें कि वह किसी अन्य सेवायोजन, व्यापार, वृत्ति व्यवसाय में नहीं लगे हैं।

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