मंगलौर में मतदान के दौरान हुई हिंसा के बाद तनाव पसरा

बदरीनाथ में 51 तो मंगलौर में 68 प्रतिशत से अधिक मतदान

पूर्व सीएम हरीश रावत हवालात में बंद, कांग्रेस ने दिया धरना

रास्ते बंद, पोलिंग पार्टी नहीं पहुंची मुख्यालय गोपेश्वर, वामदल ने प्रशासन को घेरा

13 जुलाई को मतगणना

अविकल थपलियाल

बदरीनाथ/मंगलौर। उत्तराखण्ड की मंगलौर सीट पर हिंसा के बीच 68 प्रतिशत से अधिक व सीमान्त बदरीनाथ सीट पर 51 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। मंगलौर की हिंसा के बाद प्रदर्शन कर रहे पूर्व सीएम हरीश रावत समर्थकों के साथ गिरफ्तार हुए।

इधर, बुधवार की रात लगभग नौ बजे दोनों सीटों पर मतदान के आंकड़े जारी किए गए। भाजपा व कांग्रेस की प्रतिष्ठा का सवाल बनी दोनों विधानसभाओं में हुए मतदान में 17 प्रतिशत का अंतर देखा गया।

रास्ते बंद होने की वजह से बदरीनाथ विधानसभा के दूरस्थ क्षेत्रों की पोलिंग पार्टियां 11 जुलाई को मुख्यालय पहुंचेंगी. उधर,वाम नेता मैखुरी ने गोपेश्वर के स्ट्रांग रूम में आज ईवीएम मशीन जमा नहीं होने पर प्रशासन पर सवाल उठाए।

2022 के मुकाबले इस उपचुनाव में बदरीनाथ में 14 व मंगलौर में 7 प्रतिशत मतदान गिरा। 2022 में बदरीनाथ में 65 व मंगलौर में 75 प्रतिशत मतदान हुआ था।

मंगलौर उपचुनाव में हुई हिंसा के बाद कांग्रेस उम्मीदवार काजी निजामुद्दीन का फफक फफक कर रोना दिन भर सुर्खियां बना रहा। कांग्रेस ने भाजपा पर तानाशाही का आरोप जड़ते हुए राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष विरोध दर्ज कराया। धस्माना ने हिंसाग्रस्त लिब्बरहेड़ी में पुनर्मतदान की मांग की। उधर,मंगलौर में पूर्व सीएम हरीश रावत व अन्य नेता हिंसा के विरोध में प्रदर्शन करते दिखे।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समर्थको के साथ हुए गिरफ्तार

मंगलौर उपचुनाव मे हिंसा होने के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया।  पुलिस ने लिब्बरहेड़ी कूच कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को हिरासत में ले लिया।

कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रीतम सिंह, यशपाल आर्य, करण माहरा सहित कई दिग्गज नेताओं ने लिब्बरहेड़ी कोतवाली में धरना दे रखा है.

इस दौरान हरीश रावत ने कहा कि मंगलौर उपचुनाव में भाजपा कार्यकर्ता गुड़ागर्डी पर उतारू है. इसके बाद भी पुलिस मूकदर्शक बनी है.

उन्होंने कहा मंगलौर उपचुनाव में पुलिस प्रशासन मतदाताओं को डराने में लगा है।

गौरतलब है कि बुधवार की सुबह मंगलौर विधानसभा सीट के लिब्बरहेड़ी गांव के बूथ नंबर 53-54 पर भाजपा व विपक्षी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई. दोनों ओर से जमकर लाठी डंडे चले. इस मारपीट में कई लोग घायल हुए हैं.

घटना की जानकारी मिलते ही कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व विधायक काजी निजामुद्दीन भी मौके पर पहुंचे. आरोप है कि लिब्बरहेड़ी गांव में कई राउंड फायरिंग भी की गई.

इस दौरान कांग्रेस ने इस घटना को लेकर बीजेपी को घेरा. कांग्रेस ने कहा मंगलौर विधानसभा जब शासन प्रशासन सरकार के दबाव में कार्य कर रहा।
इस घटना के बाद कांग्रेस के सभी नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है.

इस बीच, भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने भी राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।

मंगलौर में दिन भर तनाव बना रहा। जबकि बदरीनाथ सीट पर कमोबेश शांति रही। हालांकि, बरसात से मार्ग टूटने पर कई मतदाता पोलिंग बूथ तक नहीं जा सके। मतगणना 13 जुलाई को होगी।

मंगलौर में कांग्रेस,भाजपा व बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। जबकि बदरीनाथ में भाजपा व कांग्रेस सीधी जंग में उलझी हैं।

रास्ते बंद, कई पोलिंग पार्टी पोलिंग बूथ पर फंसी
वामदल नेता मैखुरी ने उठाये सवाल

वामदल नेता इंद्रेश मैखुरी ने जोशीमठ में राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध होने से वोटिंग मशीन के गोपेश्वर स्थित स्ट्रांग रूम तक नहीं पहुंच पाने पर चिंता जताई है। मैखुरी ने कहा कि बहुत सारे मतदाता अपने पोलिंग बूथ पर सड़क बंद होने के चलते नहीं पहुंच सके. उनके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था प्रशासन ने नहीं की।

मैखुरी ने सोशल मीडिया पर लिखी पोस्ट में कहा कि कॉमरेड अतुल सती ने ऐसे इंतजाम करने के लिए कहा तो  जिलाधिकारी चमोली ने असमर्थता जता दी और उपजिलाधिकारी जोशीमठ ने तो फोन उठाने का कष्ट भी नहीं किया.

मतदान संपन्न हो चुका है. रात घिर आई है. सामान्य समयों में कायदा यह है कि पोलिंग पार्टियां वोटिंग मशीन सील करके स्ट्रांग रूम में जमा करती हैं. स्ट्रांग रूम  गोपेश्वर में है और गोपेश्वर जाने का रास्ता बंद है. तो इन वोटिंग मशीनों का क्या होगा? जब आज सड़क बंद होने का दूसरा दिन है तो इसका विकल्प सोचा जाना चाहिए था ! 

सबसे आसान तात्कालिक विकल्प यह था कि चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को विश्वास में लेकर जोशीमठ में अस्थायी स्ट्रांग रूम बनाया जाना चाहिए था. लेकिन ऐसा कोई इंतजाम नहीं किया गया.

अब प्रशासन की ओर से कहा जा रहा है कि जोशीमठ की पोलिंग पार्टियां अपने बूथों पर ही रहेंगी! प्रशासन के अनुसार पोलिंग एजेंट उनको देख सकते हैं. कायदे से पोलिंग एजेंट तभी तक है, जब तक मतदान हो रहा है. मतदान खत्म तो पोलिंग एजेंट के तौर पर उसकी वैधानिक हैसियत खत्म. और अगर ऐसी भी कोई व्यवस्था है तो वो मुंह जबानी तो नहीं चल सकती है, इसका विधिवत आदेश होना चाहिए और यह चुनाव लड़ने वालों को बताया भी जाना चाहिए. लेकिन  ऐसा भी कहीं कुछ नज़र नहीं आ रहा है.

फेसबुक पर जिलाधिकारी चमोली के आधिकारिक पेज पर लिखा है दूरस्थ क्षेत्रों की पोलिंग पार्टियां 11 जुलाई को पहुंचेंगी. इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग के बंद होने का कोई जिक्र नहीं है, ना इस बात का कि जो पोलिंग पार्टियां राष्ट्रीय राजमार्ग के बंद होने के चलते फंसी हैं, उनका और उनके पास मौजूद मशीनों की सुरक्षा का क्या इंतजाम है !

  वामदल नेता इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि  अगर वोटिंग के बाद ईवीएम स्ट्रांग रूम में नहीं है तो समझिये कि पूरा चुनाव ही संदेह के घेरे में है ।

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ब्रेकिंग- मंगलौर उपचुनाव में चली गोली व लाठी डंडे, कई लोग जख्मी

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