एम्स प्रशासन के सुझाए रास्ते से पुलिस वाहन को ले जाया गया था मनोचिकित्सा वार्ड तक


एम्स ऋषिकेश की चौथी मंजिल में वाहन ले जाने की घटना का एसएसपी ने किया विश्लेषण

एम्स छेड़छाड़ प्रकरण- मोब लिंचिंग की संभावना के मद्देनजर आरोपी नर्सिंग ऑफिसर को सुरक्षित निकालने के लिए लिया गया था निर्णय

क्षेत्राधिकारी ऋषिकेश के नेतृत्व में एसआईटी गठित


आरोपी को वापस लाते समय पुलिस वाहन नहीं गुजरा था किसी भी इमरजेंसी वार्ड से, जांच में तथ्य आये सामने

अविकल उत्तराखंड

ऋषिकेश। AIIMS ऋषिकेश में पुलिस वाहन को चौथी मंजिल पर ले जाने की घटना के संबंध में एसएसपी अजय सिंह ने एम्स ऋषिकेश जाकर एम्स प्रशासन के साथ वार्तालाप कर घटना के सभी पहलुओं की स्वयं बारीकी से जांच की। 

जांच के दौरान प्रकाश में आया कि 19 मई को एम्स के ट्रॉमा सेंटर की OT में नर्सिंग ऑफिसर सतीश कुमार द्वारा महिला चिकित्सक के साथ छेड़छाड़ की गई थी।  इस संबंध में महिला चिकित्सकों ने एम्स प्रशासन को रात्रि के समय ही अवगत करा दिया था। 
इस प्रकरण में एम्स प्रशासन ने इंटरनल कमेटी गठित करते हुए दिनांक 21 मई को आरोपी नर्सिंग ऑफिसर सतीश कुमार को निलंबित किया गया था तथा इसकी सूचना पुलिस स्टेशन ऋषिकेश को दी गई थी, जिस पर तत्काल कोतवाली ऋषिकेश में संबंधित धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया गया था।

  घटना के बाद 20 मई को आरोपी नर्सिंग ऑफिसर सतीश कुमार मनोचिकित्सक वार्ड में भर्ती हो गया था। 21 मई को एम्स ऋषिकेश के चिकित्सको व एमबीबीएस छात्रों द्वारा घटना के संबंध में मनोचिकित्सा विभाग  के बाहर एकत्रित होकर उग्र प्रदर्शन किया । इसकी सूचना एम्स प्रशासन द्वारा पुलिस को दी गई थी। 

पुलिस द्वारा मौके पर पहुंचकर परिस्थितियों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया परंतु मौके पर कई चिकित्सकों एवं एमबीबीएस छात्रों द्वारा मनोचिकित्सक विभाग में भर्ती सतीश कुमार को उनके हवाले करने के लिए उग्र प्रदर्शन व नारेबाजी करते हुए मनोचिकित्सा विभाग के कक्ष में घुसने का प्रयास किया जा रहा था।

मौके पर पुलिस तथा AIIMS  प्रशासन द्वारा उन्हें समझाने का काफी प्रयास किया गया परंतु अत्यधिक उग्र होकर सुरक्षाकर्मियों/ पुलिस बल के साथ धक्का मुक्की की गई।

मौके पर बनी परिस्थितियों में आरोपी की सुरक्षा/ मोब लिंचिंग की घटना की संभावना तथा नर्सिंग स्टाफ एवं डॉक्टर के मध्य आपस में टकराव की स्थिति से बचाव के दृष्टिगत एम्स प्रशासन तथा पुलिस द्वारा त्वरित निर्णय लेते हुए एम्स प्रशासन द्वारा सुझाए गए वैकल्पिक इमरजेंसी मार्ग से पुलिस के सरकारी वाहन के माध्यम से आरोपी को मौके से बाहर निकाला गया।

अभियुक्त को बाहर निकालने के दौरान उपस्थित भीड़ द्वारा लगातार वाहन का पीछा कर अभियुक्त को वाहन से खींचने का प्रयास किया गया।  इस दौरान एम्स प्रशासन द्वारा बताए गए triaga एरिया से वाहन को बाहर निकाला गया, वाहन को किसी भी इमरजेंसी वार्ड के जरिए बाहर नहीं लाया गया था।

इसके अतिरिक्त एवं ऋषिकेश में लगे हुए सीसीटीवी कैमरा में घटना की फुटेज को सुरक्षित रखा गया है,  साथ ही पीड़ित महिला चिकित्सक के प्रार्थना पत्र के आधार पर कोतवाली ऋषिकेश में दर्ज अभियोग की विवेचना हेतु क्षेत्राधिकारी ऋषिकेश के पर्यवेक्षण में SIT टीम का गठन किया गया है, जिसमें दो महिला उप निरीक्षको के अतिरिक्त अन्य कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है।

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