भाजपा-कांग्रेस की जंग – रोडमैप से कई बार भटकी विशेष चर्चा
भाजपा ने उपलब्धियों और कांग्रेस ने कमियों का बांधा पुलिंदा
..और खल गयी उक्रांद की ‘गैरहाजिरी’
अविकल थपलियाल
देहरादून। गए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास.. उत्तराखण्ड स्थापना के 25 साल पर राज्य विधानसभा में प्रदेश के विकास के रोड मैप पर कई घण्टे सिर जोड़कर बैठे जनप्रतिनिधि कोई सुस्पष्ट खाका व ठोस विजन पेश नहीं कर पाए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आत्म समीक्षा सम्बन्धी नसीहत के बाद भी सदन में कई बार जंग का नजारा नजर आया। भाजपा व कांग्रेस के अधिकांश समय एक दूसरे पर हमलावर रुख व कुंडली खंगालने से चर्चा का जायका कई बार बिगड़ा।

तीन नवंबर से शुरू हुए विशेष विधानसभा सत्र में प्रदेश के 25 साल के रोडमैप को लेकर चर्चा होनी थी। लेकिन सदन का एक बड़ा हिस्सा तेरे-मेरे के शोर में डूब गया। कई पुराने अहम नेताओं की तारीफ भी हुई और इशारों ही इशारों में अंदर की बात कहकर कपड़े भी फाड़े गए।
5 नवंबर को भी कई घण्टे की चर्चा के बाद सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। ढांचागत सुविधाएं, पलायन,मूल निवास, भू कानून, गैरसैंण,बदलती डेमोग्राफी, पहाड़-मैदान, परिसीमन, मूल भूत सुविधाओं आदि मुद्दे खूब उठे। लेकिन सत्र के अंतिम दिन विकास के रोडमैप से जुड़ा सामूहिक संकल्प कहीं नजर नहीं आया।

इस तीन दिनी विशेष सत्र का लब्बोलुआब सिर्फ एक लाइन से बखूबी समझा जा सकता है। ..नौ दिन चले अढ़ाई कोस…
सत्ता पक्ष के सभी विधायक व मंत्री धामी सरकार की उपलब्धियों का ब्यौरा पेश करते नजर आए। भाजपा के इन जनप्रतिनिधियों ने अपनी अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हुए अलग अलग विभागों की उपलब्धियों का बढ़ चढ़ कर बखान किया। और युवा सीएम धामी की नीतियों की बढ़ चढ़कर सराहना की।
सत्र के अंतिम दिन संसदीय कार्यमंत्री सुबोध उनियाल ने राज्य गठन के समय और मौजूदा समय में राज्य के ढांचागत सुविधाओं का विस्तृत तुलनात्मक ब्यौरा पेश किया। आंकड़ों के जरिए यह बताने की कोशिश की गई कि उत्तर प्रदेश के समय और राज्य बनने के बाद उत्तराखण्ड ने कई क्षेत्रों में प्रगति की है। राज्य गठन के समय चंद हजार के वार्षिक बजट के एक लाख करोड़ से अधिक होने को भी उपलब्धि के तौर पर दर्शाया गया।
संसदीय कार्यमंत्री ने पूरे विश्वास के साथ राज्य गठन के समय उच्च शैक्षणिक व चिकित्सा संस्थान, स्कूल, अस्पताल, सड़क, पानी, बिजलीघर आदि की कुल संख्या बताने के साथ इन क्षेत्रों में हुई प्रगति का तुलनात्मक लेखा जोखा भी पेश किया गया।

उधर, विपक्षी दल ने शिक्षा, स्वास्थ्य,सड़क समेत अन्य मूल भूत सवालों पर अपनी भड़ास निकालने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। कमीशनखोरी, अवैध खनन और शराब के मुद्दे पर भी खूब तीर चले।
कांग्रेस विधायक तिलकराज बेहड़ ने तो देहरादून को ही स्थायी राजधानी बनाये जाने की बात कह दी। और कहा कि पहले गैरसैंण के लिए सड़क मार्ग व अन्य सुविधाएं जोड़ी जाय।
रोड मैप पर जारी चर्चा के अंतिम दिन भाजपा विधायक बृजभूषण गैरोला ने अवश्य प्रदेश के विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों व ऊंचाई का जिक्र करते हुए चरणबद्ध विकास की रणनीति का जिक्र किया। सदन में जारी महाभारत के बीच विधायक गैरोला का यह होमवर्क सुकून दे गया।

इस विशेष सत्र में विधायक शहजाद ने पलायन के लिए नेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए केदारनाथ से भाजपा विधायक आशा नौटियाल के देहरादून के आवास का जिक्र करते ही सदन में हंसी का फव्वारा फूट पड़ा।
हालांकि, आशा नौटियाल ने सफाई देते हुए कहा कि उनका आवास उखीमठ ही है। लेकिन यह सत्य है की विभिन्न दलीय नेताओं ने दून, हल्द्वानी व अन्य मैदानी इलाके में भी घर बनाये हुए हैं। युवाओं के पलायन के अलावा नेताओं का यह पलायन भी बीते 25 साल की करुण क्रंदन करती कहानी कह गया।
रजत जयंती साल के विशेष सत्र में सीएम धामी समेत कमोबेश सभी सदस्यों ने पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी के योगदान को बढ़ चढ़ कर याद किया। यही नहीं , हरिद्वार-नजीबाबाद व अन्य इलाकों में सड़क परिवहन के लिए बनाए गए पुलों के लिए पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी को भी सराहा गया।

सदस्यों ने यह भी बताया कि बीते 25 साल की प्रगति में सभी का योगदान रहा। इस तीन दिनी सत्र में राज्य निर्माण का सेहरा पहनने को भी कांग्रेस व भाजपा खेमे में होड़ मची रही। नेता विपक्ष आर्य ने कहा कि कांग्रेस के समर्थन से ही अटल सरकार केंद्र में राज्य गठन का फैसला ले सकी। जबकि सत्र के अंतिम दिन संसदीय कार्यमंत्री सुबोध उनियाल ने 1/2 अक्टूबर 1994 को लालकिले में पहुंचे राज्य आंदोलनकारियों पर पथराव की घटना का जिक्र कर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। केंद्र की तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार और प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं पर निशाना साधा गया।
बहरहाल, राष्ट्रपति के आत्म समीक्षा सम्बन्धी जागरूक करने वाले सम्बोधन के बाद उत्तराखण्ड विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र में खूब उतार चढ़ाव देखने को मिले। बीते 25 साल के पन्ने भी अपने अपने हिसाब से पलटे गए। भ्र्ष्टाचार व अधिकारियों की निरंकुशता का मुद्दा भी छाया रहा।
इन 25 साल में हुए घोटालों पर भी खूब हाथ सेके गए। आधी आबादी को नौकरी व पंचायत में आरक्षण देने पर भी श्रेय लूटने की जमकर कोशिश हुई।
हालिया, मुनिकी रेती, ढालवाला शराब के ठेके व चौखुटिया की स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर जारी आन्दोलन को लेकर भी सिस्टम पर आक्रमण किये गए।आपदा पर सरकार की चौकन्नी निगाह को भी भाजपा खेमे ने बार बार उकेरा।

कुल मिलाकर सभी ने अपनी अपनी कही। भाजपा विधायक विनोद चमोली, नेता विपक्ष आर्य, प्रीतम सिंह समेत कई अन्य मंत्री-विधायक तय अवधि से कहीं अधिक बोलकर दलीय एजेंडा फिक्स कर गए। अक्सर विपक्ष को कम समय मिलने की शिकायत रहती है लेकिन स्पीकर खण्डूड़ी ने विपक्ष को खूब समय दिया। और तय दस मिनट के बाद मिले अतिरिक्त समय को अनुभवी विपक्षी नेताओं ने खूब भुनाया भी। उनके आरोप व घेराव से सदन में सत्ता पक्ष की बेचैनी भी झलकी।

सत्र के अंतिम दिन स्पीकर ऋतु खण्डूड़ी ने पूर्व स्पीकर, डिप्टी स्पीकर, पूर्व सीएम, सदस्यों व जनता को याद करते हुए ई- विधानसभा की बेहतर होती प्रणाली का जिक्र किया। विकसित 2047 भारत का उल्लेख करते हुए जनता की कसौटी पर खरा उतरने की बात भी कही।
इस सत्र में भाजपा के मंत्री विधायक एकमत से सीएम धामी के कार्यकाल और नीतियों की खुली प्रशंसा करते नजर आए। जमरानी, सौंग बांध को लेकर हुई प्रगति व यूसीसी, नकल व दंगा रोधी कानून समेत अन्य क्षेत्रों के विकास कार्यों का बढ़ चढ़ कर उल्लेख किया गया। जबकि कांग्रेस खेमा भाजपा की कमियों और सिस्टम की लापरवाही को उजागर करने में जुटा रहा। इस जंग को 2027 विधानसभा चुनाव की पूर्व रिहर्सल भी माना गया।
बेशक इन तीन दिनों के विशेष विधानसभा सत्र में कई घण्टों तक चर्चा हुई। शहीद आंदोलनकारियों को नमन किया गया। लेकिन राज्य निर्माण की मजबूत आंदोलनकारी ताकत उत्तराखण्ड क्रांति दल का एक भी सदस्य विधानसभा में नहीं था।

पहली, दूसरी और तीसरी निर्वाचित विधानसभा में उक्रांद के विधायक सदन की शोभा बढ़ाते रहे। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में जनता ने उक्रांद को बहुत पीछे धकेल दिया।
25 साल के रोडमैप पर हुई चर्चा बिना क्षेत्रीय दल उक्रांद के अभाव में खल गयी…

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