राज्य सरकार ने लोकायुक्त के गठन के लिए हाईकोर्ट से 6 महीने मांगे थे
अविकल उत्तराखण्ड
नैनीताल। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को लोकायुक्त की नियुक्ति करने के लिए तीन माह का अंतिम मौका दिया है।
शुक्रवार को हल्द्वानी निवासी रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने यह भी कहा कि जब तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक कर्मचारियों को लोकायुक्त कार्यालय से वेतन नहीं दिया जाए।
हालांकि, राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए 6 माह का अतिरिक्त समय देने और कर्मचारियों को उसके कार्यालय से वेतन देने की मांग की थी। लेकिन खण्डपीठ ने कहा कि सरकार चाहे तो अन्य विभाग से कार्य लेकर उन्हें भुगतान कर सकती है।
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि लोकायुक्त कार्यालय में कुल 26 कर्मचारियों में से नौ कर्मचारी रेरा में कार्य कर रहे हैं। इनको वहीं से वेतन दिया जाता है जबकि 17 कर्मचारी लोकायुक्त कार्यालय में हैं जिन्हें लोकायुक्त कर्यालय से वेतन दिया जाता है।
जनहित याचिका में कहा है कि राज्य सरकार लोकायुक्त कार्यालय के सालाना खर्चे पर 2 से 3 करोड़ खर्च कर रहा है। याचिका में कहा गया कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की तरफ से भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जा रही है।
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