उत्तराखंड- सैकड़ों अवैध धार्मिक स्थलों पर चली जेसीबी,हजारों एकड़ वन भूमि कब्जा मुक्त

..टूटीं तो सैकड़ों मजारें व मदरसे..लेकिन हल्द्वानी क्यों उबल गयी !

देखें आंकड़ा, मई 2023 के बाद कितनी अवैध मजारों, मदरसों व मंदिरों पर चला बुलडोजर

सरकार की नजरें मास्टरमाइंड व सरकारी अमले की चूक पर टिकीं

राख में दबी ‘चिंगारी” भांपने में कौन कर गया चूक!

अविकल थपलियाल

देहरादून। बीते नौ महीने में उत्तराखंड में सैकड़ों अवैध धार्मिक अतिक्रमण जमींदोज कर दिये गए।  छिटपुट घटनाओं को छोड़कर कहीं पर भी हल्द्वानी टाइप बवाल नहीं कटा।

इधर, 7 फरवरी को समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक पारित होने के ठीक अगले दिन हल्द्वानी के अति संवेदनशील इलाके वनफूलपुरा में अवैध धार्मिक स्थल को ढहाते हुए भारी  हिंसा हुई। उग्र भीड़ ने थाना व दर्जनों वाहन को आग के हवाले कर दिया।  हालात बेकाबू होते ही गोली चली। छह मौतें। फिर कर्फ्यू और अब स्थिति नियंत्रण करने की कोशिश। साथ ही बलवे की तह में जाकर सिस्टम में पनपी दरार व सजिशकर्ताओं को तलाशने के लिए हिंसा की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश भी।

जिस वनफूलपुरा इलाके में यह बवाल हुआ। वह लम्बे समय से हल्द्वानी का हॉट केक माना जाता रहा है। 2007 में भी यह इलाका सुर्खियां बना था। और बीते साल रेलवे की जमीन पर अवैध अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में चली कार्रवाई के दौरान भी वनभूलपुरा इलाके में तनाव पसर गया था। नैनीताल हाईकोर्ट के इस इलाके में रह रहे कई हजार परिवारों को हटाने सम्बन्धी आदेश के बाद स्थिति नाजुक हो गई थी।

जिला प्रशासन ने भी रेलवे की जमीन पर वर्षों से काबिज लोगों को हटाने का ताना बाना बुनते हुए इलाके में सुरक्षा सम्बन्धी ब्लू प्रिंट भी तैयार कर लिया था। वनभूलपुरा इलाके में अल्पसंख्यक समुदाय की बहुलता को देखते हुए प्रदेश के अंदर और बाहर राजनीतिक तापमान भी चरम पर पहुंच गया था।

इसी बीच, सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के रातों रात हजारों परिवारों को हटाने सम्बन्धी आदेश को पलटते हुए राहत दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से इन हजारों परिवारों के पुनर्वास से सम्बंधित सवाल भी दाग दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे अवैध अतिक्रमण से जुड़े मामले में राहत मिलने के बाद वनभूलपुरा में पसरा तनाव कुछ समय के लिए हट गया था। लेकिन भविष्य में बरसों से काबिज या “बसाए” गए परिवारों पर उजड़ने की तलवार भी बराबर लटक रही थी। इस संवेदनशील मुद्दे पर सीएम धामी ने भी कोर्ट के आदेश का पालन करने की बात कही थी।

वनभूलपुरा की रेलवे की जमीन पर काबिज परिवारों ने विस्थापन की आशंका को देखते हुए धरना प्रदर्शन का सहारा भी लिया था। इधर, एक साल से वनभूलपुरा में उठी चिंगारी राख में दबी हुई थी।

नगर निगम का अब्दुल मलिक को नोटिस

लेकिन बीते 30 जनवरी 2024 को नगर निगम हल्द्वानी ने अब्दुल  मलिक को नोटिस भेज कर राख में दबी चिंगारी को हवा दे दी। नोटिस में मलिक के बगीचे में 1 फरवरी तक अवैध अतिक्रमण (मदरसा /नमाज स्थल) हटाने को कहा गया। यह निर्माण नजूल की भूमि पर किया गया था। नगर निगम से वार्ता भी हुई। कोई हल नहीं निकला।

नतीजतन, चार फरवरी को अतिक्रमित स्थान सील किया गया। इसके विरोध में अब्दुल
मलिक ने नैनीताल हाईकोर्ट की शरण ली। आठ फरवरी को हाईकोर्ट में चली सुनवाई के बाद 14 फरवरी की सुनवाई की नयी डेट मिली। और इसी दिन 8 फरवरी की शाम नगर निगम, पुलिस प्रशासन अवैध  अतिक्रमण को हटाने पहुंच गई।
एक दिन पहले यूसीसी विधेयक पारित हुआ। लम्बे समय से अल्पसंख्यक समुदाय में यूसीसी को लेकर विशेष हलचल देखी जा रही थी।

साल भर पहले रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण को लेकर वनफूलपुरा इलाका उबल ही चुका था। लेकिन स्थानीय सिस्टम से जुड़े जिम्मेदार अधिकारी गर्म हवा को महसूस नहीं कर पाए। उन्हें लगा कि पूर्व में हटाये गए सैकड़ों अवैध कब्जे की तरह वनफूलपुरा को भी आसानी से मुक्त करा लिया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

कार्यालय नगर निगम हल्द्वानी -काठगोदाम
नैनीतालरोड, हल्द्वानी पिनकोड- 263139
STTALAGAND
(www.Nagarnigamhaldwani.in) toll free no- 8882610000 E-Mail-haldwaninagarnigam@gmail.com दूरभाष 05946-220035
पत्राक :- 2255
दिनाक:- 30/01/2024
नोटिस
(अन्तर्गत नजूल नीति 2009 एवं 2021 तथा नगर निगम अधिनियम 1959)
श्री अब्दुल मलिक मलिक का बर्गाचा मदरसा
विशयः- नजूल भूमि पर निर्माणाधीन अवैध नमाज स्थल भवन एवं कथित मदरसा भवन हटाने के सम्बन्ध में।
उपरोक्त विषयक के कम में विभागीय जाँच से यह तथ्य संज्ञान में आया है, कि आपके द्वारा वनभूलपुरा मलिक का बगीचा नामक क्षेत्र में नजूल भूमि पर अवैध रूप से बिना अनुज्ञा नमाज स्थल भवन निर्माणाधीन एवं कथित मदरसा भवन का निर्माण कर अवैध संचालन किया जा रहा है।
अतः नजूल भूमि 2009 एवं 2021 के सुसंगत प्रावधानों एवं नगर निगम अधिनियम 1959 के सुसंगत प्रावधानो के अन्तर्गत आपको आदेशित किया जाता है, कि उक्त दोनों भवन दिनांक 01.02. 2024 तक ध्वस्त कर नजूल भूमि रिक्त कर दें, अन्यथा उक्त समय के बाद निगम द्वारा बल पूर्वक ध्वस्त करते हुये, तथा कब्जा प्राप्त करते हुये वैधानिक कार्यवाही की जायेगी।
theutt सहायक नगर आयुक्त नगर निगम हल्द्वानी-काठगोदाम ।

इधर,जेसीबी चली और कई अराजक तत्वों ने मौके का फायदा उठाकर जमकर आगजनी की। जहां इस हिंसक घटना के दौरान पुलिस प्रशासन की हल्की तैयारी की कलई खुली। वहीं, पथराव व आगजनी के तांडव ने बलवाइयों की सधी ‘तैयारी’ पर साफ मुहर भी लगा दी।

खुले तौर पर नजर आयी इस “तैयारी”के बाद धामी सरकार का मानना है कि हल्द्वानी हिंसा एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है। इसका पर्दाफाश किया जाएगा। मास्टरमाइंड गिरफ्तार होंगे।

इसके बाद कहानी में कितने ट्विस्ट आये। सब सामने है। आगजनी के दौरान ही नजूल की अतिक्रमित जमीन पर बना धार्मिक स्थल जमींदोज कर दिया गया। पथराव व आगजनी के खौफनाक मंजर के बीच पुलिस-पत्रकार समेत कई घायल हुए।

सीएम धामी ने भी दंगाइयों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेते हुए अवैध अतिक्रमित धार्मिक स्थल पर नया थाना बनाने का ऐलान कर दिया। साथ ही हल्द्वानी में आरोपियों की गिरफ्तारी का दौर जारी है। मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक से आगजनी में हुए नुकसान की भरपाई के किये ढाई करोड़ की वसूली का नोटिस भेजा है। गौरतलब है कि अब्दुल मलिक ने रेलवे की जमीन के अतिक्रमण के मुद्दे पर कब्जेदारों की कानूनी सहायता करने में अहम भूमिका निभाई थी। 

आखिर वनभूलपुरा की “तैयारी” पर नजरें कैसे खा गई धोखा

वनभूलपुरा की हिंसा के बाद शुरुआती 48 घण्टे तक स्थानीय खुफिया तंत्र के फेल होने की खबरें खूब सामने आई। लेकिन बाद में साफ हुआ कि खुफिया तंत्र ने बेहद संवेदनशील वनभूलपुरा में अवैध अतिक्रमण तोड़े जाने से पहले क्षेत्र के ड्रोन सर्वे के अलावा पर्याप्त सुरक्षा बल होने के बाबत आगाह किया  था।

हल्द्वानी में जब्त हथियार

खुफिया विभाग की इस रिपोर्ट पर अमल करने के बजाय प्रशासन  शाम के समय अपर्याप्त पुलिस बल के साथ वनभूलपुरा में जा डटा। पथराव होते ही उग्र भीड़ के तेवरों ने पुलिस बल को डिफेंसिव होने पर मजबूर कर दिया।

मौके का फायदा उठाकर बलवाइयों ने थाना फूंक दिया। पुलिस बल ही बुरी तरह घिर गया। इस बलवे के बाद पुलिस, प्रशासन व नगर निगम के अलमबरदारों की भूमिका पर भी कई सवाल उठ रहे हैं।

जांच रिपोर्ट के बाद कुछ अधिकारी नप सकते हैं। फिलहाल, हल्द्वानी नगर निगम के अंडर ट्रांसफर चल रहे एक बड़े अधिकारी को अन्यत्र भेजा जा चुका है। इसके अलावा पुलिस प्रशासन के कुछ अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो रही है।

रुद्रपुर 2011 की याद हुई ताजा

हल्द्वानी हिंसा दो सम्प्रदायों के बीच न होकर पुलिस प्रशासन की अवैध अतिक्रमणकारियों से सीधी मुठभेड़ का नतीजा मानी जा रही है। जबकि 2011 में रुद्रपुर के दंगों में चार लोग मारे गए थे।  और 8 फरवरी 2024 को हल्द्वानी हिंसा में छह लोगों की मौत हुई। वनफूलपुरा इलाके में अभी कर्फ्यू जारी है। लाइसेंसी हथियार थाने में जमा कर दिए गए हैं। तीन दर्जन आरोपी जेल में हैं। कुछ और बड़े नामों की गिरफ्तारी होनी बाकी है।  हल्द्वानी से सटे रुद्रपुर, दून व हरिद्वार के संवेदनशील इलाकों में पुलिस-प्रशासन को अलर्ट मोड़ पर रखा गया है। पीएसी के अलावा केंद्र से अर्द्धसैनिक बलों की चार कम्पनियां तनावग्रस्त इलाके में  तैनात कर दी गई है।

उत्तराखण्ड में दस महीने से हटाये जा रहे हैं अवैध कब्जे

ऐसा नहीं है कि उत्तराखण्ड में पहली बार अवैध धार्मिक स्थल हटाये गए। सीएम के निर्देश पर मई 2023 से सैकड़ों अवैध धार्मिक अतिक्रमण हटाये गए। लगभग छह महीने पहले रामनगर के कार्बेट इलाके में अल्पसंख्यक समुदाय ने विरोध दर्ज कराया था। लेकिन प्रशासन ने आपसी बातचीत के जरिये मामले को तूल नहीं पकड़ने दिया। जबकि हल्द्वानी में सरकारी मशीनरी जल्दबाजी में नजर आयी।

इधर, यह तर्क भी दिया जा रहा है कि सात फरवरी को विधानसभा में यूसीसी बिल पारित होने के बाद एक हिस्से का  अंदरूनी माहौल गर्म था ही। लिहाजा, सरकारी पक्ष को  कुछ दिन  (कोर्ट में सुनवाई भी जारी थी) और रुकने के बाद अवैध मदरसा व नमाज स्थल तोड़ने का अभियान चलाना चाहिए था।

बीते 11 महीने में 526 मज़ारें , 49 मंदिर, 3 मस्जिद, 5 मदरसों को ढहाया. 3287 एकड़ वन भूमि अतिक्रमण मुक्त

इसके अलावा शाम के बजाय सुबह के उजाले में जेसीबी चलती तो उग्र भीड़ को काबू करने में पुलिस प्रशासन को काफी समय मिलता। और अन्य अवैध निर्मित धार्मिक स्थलों की तरह वनफूलपुरा में भी जेसीबी शांत भाव से अपना काम कर जाती। और बलवाई भी अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाते।  लेकिन वनफूलपुरा में जेसीबी चलने के कुछ समय बाद अंधेरा हो गया। और स्थानीय गलियों से वाकिफ बलवाइयों ने जमकर ‘भड़ास’ निकाल दी।

देखें, उत्तराखण्ड में कितने अवैध धार्मिक स्थल टूटे

बीते साल 2023 के मई महीने में सरकारी,नजूल व वन भूमि पर निर्मित सैकड़ों अवैध अतिक्रमण तोड़े गए। सीएम धामी के इस विशेष अभियान के तहत मई 2023 से जनवरी 2024 के बीच 526 मज़ारें , 49 मंदिर, 3 मस्जिद, 5 मदरसों को हटाया गया है। साथ ही 3287 एकड़ वन भूमि अतिक्रमण से मुक्त की गई।

इस अभियान की बागडोर संभाल रहे आईएफएस डॉ पराग धकाते का कहना है कि दस महीने में सैकड़ों अवैध निर्माण पर बुलडोजर चला। लेकिन कहीं भी कोई अप्रिय स्थिति सामने नहीं आयी।

डॉ धकाते का तर्क अपनी जगह ठीक है। लेकिन हल्द्वानी में गलत टाइम और पुख्ता प्रबंध में हुई चूक ने भारी नुकसान कर दिया। वनफूलपुरा के मुद्दे पर पर्दे के आगे- पीछे खेल करने वालों की तलाश जारी है। मजिस्ट्रेटी जॉच बैठा दी गयी है। कुमाऊं आयुक्त दीपक कुमार की जांच रिपोर्ट देर सबेर सामने आ ही जाएगी। वनभूलपुरा इलाके में लोगों के घर छोड़कर जाने की खबरें भी सामने आई हैं।

इधर, वनफूलपुरा की “बहकी बयार ” को सूंघने में हिमालयी भूल करने वाले सिस्टम के कारिंदों के बाबत ठोस फैसले का भी जनता शिद्दत से इंतजार कर रही है….

वनभूलपुरा के घरों में ताले!

देखें, हल्द्वानी हिंसा से जुड़ी विस्तृत खबरें

हल्द्वानी हिंसा – वनफूलपुरा में मुक्त अतिक्रमण स्थल पर पुलिस चौकी स्थापित

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