उत्तराखंड से मिट्टी के लगातार कटाव ने मैदानी इलाके को उपजाऊ और पहाड़ों को कंगाल कर दिया – जड़धारी
ग्राफिक एरा में बीज दिवस के उपलक्ष पर कन्वेंशन
‘वैज्ञानिक हाइब्रिड बीजों का गुलाम बना रहे हैं‘- जड़धारी
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। अंतर्राष्ट्रीय बीज दिवस के उपलक्ष पर ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में जैव विविधता सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन आज बीज बचाओ आंदोलन के नेता विजय जड़धारी ने कहा कि उत्तराखंड से मिट्टी के लगातार कटाव ने मैदानी क्षेत्रों को उपजाऊ और पहाड़ों को कंगाल कर दिया है।
अंतर्राष्ट्रीय बीज दिवस के उपलक्ष पर विश्वविद्यालय में बायोडायवर्सिटी कन्वेंशनः सीड, सॉइल एंड मिलेट्स विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया है। सम्मेलन का उद्देश्य राज्य में मिट्टी, बीज और मिलेट्स का संरक्षण करना है। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए श्री जड़धारी ने कहा कि खेती व्यापार नहीं हमारी संस्कृति हैं। पुराने बीजों को बचाना एक चुनौती है।
बीजों का भी अपना वंश होता है, उसे उजाड़ना एक अपराध है। कोरोना ने लोगों को कृषि और मिलेट्स की अहमियत बता दी। मिलट्स पौष्टिक होने के साथ इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए बेहतरीन हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जंगली जानवर और मौसम खेती के सबसे बड़े दुश्मन हैं और सरकार को इसके लिए कुछ कदम उठाने चाहिए। बीजों की मूल वैरायटी बहुत शक्तिशाली होती हैं। किसी भी तरीके के बदलाव को ये सह सकती हैं। बीजों के जीनोम में बदलाव करके वैज्ञानिक कंपनियां हमें हाइब्रिड बीजों का गुलाम बना रहीं हैं।
आई एम आई की कोषाध्यक्ष श्रीमती बिनीता शाह ने कहा कि उत्तराखंड में मिट्टी, बीज और मिलेट्स का संरक्षण पर्वतीय क्षेत्रों के विकास का आधार है। जरूरत है कि हम मडुवा जैसे एक अनाज पर नहीं बल्की हर तरह की मलेट्स पर ध्यान दें। सरकार को जमीन के उपयोग पर पॉलिसी बनानी चाहिए ताकि पलायन की वजह से खाली पड़ी पहाड़ों की जमीन पर खेती की जा सके। इससे अनाज के साथ जमीन की फर्टिलिटी को भी रिवाइव किया जा सकता है।
विश्वविद्यालय के प्रो. चांसलर डॉ. जे. कुमार ने कहा कि ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में 2017 में शुरू हुआ स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च के साथ किसानों की समस्याओं के समाधान ढूंढने का काम भी करता आया है। कृषि के क्षेत्र में स्टार्टअप्स की जरूरत है।
उत्तराखंड की पारंपरिक बारह अनाजा कृषि पद्वत्ति के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज मिट्टी की फर्टिलिटी की अहमियत जानते थे। हमें इस धरोहर को आगे ले जाना है। माउंट वैली डेवलपमेंट अथॉरिटी के नवप्रभात ने सम्मेलन के उद्देश्य और महत्व पर प्रकाश डाला।
विश्वविद्यालय के डायरेक्टर जनरल डॉ. एच. एन. नागराजा, वाइस चांसलर डॉ. आर. गौरी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। संचालन डॉ. हिमानी बिंजोला ने किया। इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन विश्वविद्यालय माउंट वैली डेवलपमेंट अथॉरिटी के साथ मिलकर कर रहा है।
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