…और वन विभाग के जेनसेट को लाद ले गयी विजिलेंस की टीम
लिख कर देने के बावजूद सम्बंधित वन विभाग नहीं ले गया था जेनसेट-हरक सिंह
कोविडकाल में अस्पताल के संचालन के लिए फौरी तौर पर की गई थी जेनसेट की व्यवस्था-हरक सिंह
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। ..तो वन विभाग के दो जेनसेट की बरामदगी के लिए हल्द्वानी विजिलेंस टीम ने पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के बेटे के मेडिकल संस्थान व पेट्रोल पंप पर छापा मारा।
विजिलेंस ने शंकरपुर स्थित मेडिकल संस्थान व छिद्दरवाला पेट्रोल पंप से जेनसेट की बरामदगी की और ट्राली में लादकर ले गए। यह दोनों प्रतिष्ठान पूर्व मंत्री हरक के परिजनों के हैं।
यह जेनसेट पूर्व मंत्री और मौजूदा कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत के बेटे के संस्थान में कैसे पहुंच गया। यह कहानी कोविडकाल से शुरू होती है। कोविडकाल में शंकरपुर स्थित अस्पताल को चलाने का फैसला किया गया। अस्पताल में इमरजेंसी हालात से निपटने के लिए दो जेनसेट की व्यवस्था की गई।
तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह के विभाग के एक डीएफओ किशन सिंह ने एक जेनसेट शंकरपुर अस्पताल पहुंचा दिया।
बुधवार की दोपहर जब विजिलेंस की टीम ने शंकरपुर स्थित मेडिकल संस्थान में छापा मारा। तो इस जनरेटर की कहानी भी सामने आई। दरअसल, भाजपा शासनकाल में यह जनरेटर कार्बेट पार्क के लिए खरीदा गया था। उस समय हरक सिंह वन मंत्री थे।
इस बाबत, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि जब उन्होंने यमुना कालोनी स्थित सरकारी आवास छोड़ा तो राज्य सम्पत्ति विभाग अपना सामान ले गया। लेकिन वन विभाग के अधिकारी इस जनरेटर को नहीं ले गए। हालांकि, इस जेनसेट की वापसी के लिए सम्बंधित विभाग को पत्र भी लिखा गया था।
इस बीच, डीएफओ किशन सिंह एक मामले में जेल चले गए। और जेनसेट की वापसी की प्रक्रिया थम गई।
बदले राजनीतिक घटनाक्रम के तहत भाजपा ने हरक सिंह को पार्टी से निकाल दिया। हरक सिंह कांग्रेस में चले गए।
बुधवार को विजिलेंस टीम ने जनरेटर की खरीद फरोख्त से जुड़े कागजों की पड़ताल की। इस दौरान हरक सिंह भी मौजूद रहे। पता चला कि यह सरकारी खरीद जांच पड़ताल के बाद विजिलेंस की टीम जनरेटर को एक ट्राली में लादकर ले गयी। दो साल से यह जनरेटर पूर्व मंत्री हरक सिंह के बेटे के मेडिकल संस्थान में घरघरा रहा था। इसके अलावा पेट्रोल पंप का जेनसेट भी विजिलेंस की टीम अपने साथ ले गयी।
बहरहाल, विजिलेंस के छापे में हरक सिंह के परिजनों के संस्थान व पेट्रोल पंप के बाबत विशेष जानकारी जुटाई गई है।
लोकसभा चुनाव को लेकर हरक सिंह की सरगर्मी को देखते हुए आने वाले दिनों में सीबीआई,विजिलेंस व ईडी की जांच का शोर भी तेजी से सुनाई देने की उम्मीद है। पूर्व मंत्री हरक सिंह कर्मकार कल्याण घोटाला,अवैध पेड़ कटान व स्टिंग प्रकरण में सीबीआई और विजिलेंस की जांच का सामना कर रहे हैं।
इधर, हरक सिंह रावत का कहना है कि पाखरो टाइगर सफारी निर्माण में कोई घोटाला नहीं हुआ है। टाइगर सफारी बनने से कोटद्वार सभी पर्यटकों का सैलाब उमड़ना तय था। इससे कार्बेट से जुड़े रामनगर की बिजनेस लाबी को खतरा पैदा हो रहा था। लिहाजा, केंद्र व राज्य की भाजपा सरकार रामनगर की लाबी के दबाव में जांच कर परेशान करने की कोशिश कर रही है।
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सीबीआई के बाद विजिलेंस ने बजायी कांग्रेस नेता हरक सिंह के घर की घण्टी
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