निर्वाचन आयुक्त और सचिव को हटाने तथा मुख्यमंत्री से माफी की मांग
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। भाकपा (माले) के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले से साफ हो गया है कि राज्य में पंचायत चुनावों को मखौल बना दिया गया है। उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा कि नगर निकायों के मतदाताओं को पंचायत चुनाव लड़ने देना उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम का उल्लंघन है।
मैखुरी ने बताया कि भाकपा (माले) और अन्य वामपंथी दलों — भाकपा और माकपा — ने पहले ही इस उल्लंघन पर निर्वाचन आयोग को आगाह किया था, लेकिन उनकी बात अनसुनी कर दी गई। अब उच्च न्यायालय के फैसले ने वामपंथी दलों के रुख को सही ठहराया है।
उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से पूछा कि राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार और सचिव राहुल गोयल किसके इशारे पर अधिनियम की धज्जियां उड़ा रहे थे? उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने की है, लेकिन शीर्ष अधिकारी ही इसमें सबसे बड़े दोषी निकले।
भाकपा (माले) ने मांग की कि निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार और सचिव राहुल गोयल को तत्काल हटाया जाए। साथ ही, टिहरी समेत अन्य स्थानों पर एक जैसे मामलों में अलग-अलग कार्रवाई करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई हो। नगर निकाय और पंचायत दोनों में नाम रखने वाले प्रत्याशियों के नामांकन रद्द किए जाएं।
मैखुरी ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री धामी को जनता से माफी मांगनी चाहिए कि न केवल उनकी सरकार पंचायत चुनाव समय पर नहीं करा सकी, बल्कि अब जब चुनाव हो रहे हैं, तो उनके अधिकारी खुलेआम अधिनियम का उल्लंघन कर रहे हैं।
उन्होंने सुझाव दिया कि जब पूरा पहाड़ आपदा से जूझ रहा है, ऐसे में चुनाव कराने के फैसले पर पुनर्विचार किया जाए और यह सुनिश्चित हो कि चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हों।

