आक्रोश- रेस्क्यू टीम पर पथराव, ढेला चौकी में आग लगाने का प्रयास
जंगली जानवरों व बंदरों से हो रहे नुकसान पर आयोजित जन सम्मेलन में उबले लोग
अविकल उत्तराखण्ड
रामनगर। जंगली जानवरों व बंदरों से इंसानों फसलों व मवेशियों को सुरक्षा देने आदि मांगों को लेकर संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा ग्राम कानिया में जन-सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में जंगली जानवरों का आतंक चरम पर है। उत्तराखंड में टाइगर की संख्या बढ़कर 560 व तेंदुए की संख्या 3 हजार से भी ज्यादा है। अब यह विलुप्त प्रजाति नहीं रह गए हैं।
इनके आतंक के कारण लोग न घर में सुरक्षित हैं और न बाहर। लिहाजा, टाइगर, तेंदुए व जंगली सूअर को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1973 की संरक्षित प्रजाति सूची से बाहर कर हिंसक जानवरों के आबादी क्षेत्र में आने पर इन्हें पकड़ने या मारने का अधिकार मुख्य जीव प्रतिपालक की जगह रेंज स्तर के अधिकारी या जन प्रतिनिधि को दिया जाना चाहिए।
वक्ताओं ने कहा कि सरकार उत्तराखंड में जंगली जानवरों की संख्या को सीमित करे। इन्हें विदेश भेजा जाए तथा दक्षिण अफ्रीका की तर्ज पर जंगली जानवरों की संख्या सीमित करने के लिए बैलेंस हंटिंग की अनुमति दी जाए।
सम्मेलन में जंगली जानवरों से सुरक्षा व मुआवजे की राशि बढ़ाने आदि मांगों को लेकर 10 सूत्रीय मांग पत्र भी पारित किया गया। कंडी सड़क को आम यातायात हेतु खोले जाने, वन ग्राम, गोट, खत्ते व गुर्जर खत्तों को राजस्व ग्राम का दर्जा देने व वनाधिकार कानून, 2006 के तहत प्रस्तुत दावों को स्वीकार करने तथा किसान आंदोलन के समर्थन में प्रस्ताव भी पारित करते हुए निर्णय लिया गया कि वन कानूनों में बदलाव व सुरक्षा के लिए उत्तराखंड के सांसद एवं विधायकों को मांग पत्र देते हुए 22 फरवरी से उनके कार्यालयों पर धरना-प्रदर्शन भी किया जाएंगे।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को भी मांग पत्र दिया जाएगा। समिति से जुड़े ललित उप्रेती ने कहा कि जनता पिछले 3 महीने से कार्बेट पार्क क्षेत्र में आदमखोर बाघ को पकड़े या मारे जाने की मांग कर रही है। लेकिन इसके दौरान ही देखते-देखते चार मौतें हो गई हैं। उन्होंने कहा कि तीन दिन के भीतर यदि आदमखोर को पकड़ा या मारा नहीं गया तो संघर्ष समिति को मजबूर होकर अनिश्चितकाल के लिए कॉर्बेट पार्क बंद करने का निर्णय लेना पड़ सकता है। सम्मेलन को चाफी की हेमा जोशी, भीमताल की भावना तिवारी, काशीपुर के मनोज डोबरियाल, सल्ट के अजय जोशी, अंजू देवी, तुलसी बेलवाल, प्रेम राम, महिला एकता मंच की ललिता रावत, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र की बिंदु गुप्ता, भाकपा माले के कैलाश पांडे, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी, चिंताराम, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता धर्मपाल, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के तरुण जोशी, इंकलाबी मजदूर केंद्र के रोहित रूहेला, महेश जोशी, संजय मेहता, तारा बेलवाल, वन गूजर नेता मौ. सफी, जनवादी लोकमंच के हेम, आइसा के सुमित कुमार, रेखा, देवीलाल, आनंद नेगी, पनीराम, सोबन तड़ियाल, ललित मोहन व समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार आदि ने संबोधित किया।
गुस्साए ग्रामीणों का रेस्क्यू टीम पर पथराव, ढेला चौकी में आग लगाने का प्रयास
शनिवार को बाघ के हमले में मारी गई कलावती की मौत के बाद ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। गुस्साए ग्रामीणों ने रविवार सुबह बाघ को रेस्क्यू का प्रयास कर रही वन विभाग की टीम पर पथराव कर वनकर्मियों को दौड़ा दिया।
आरोप है कि अक्रोशित ग्रामीणों ने ढेला रेंज कार्यालय पर भी आगजनी का प्रयास किया। जिसके बाद रेंज अधिकारी ने अग्निशमन विभाग की एक गाड़ी को चौकी की सुरक्षा के लिए मौके पर तैनात करवा दिया। जानकारी के अनुसार बीते दिवस बाघ के हमले में हुई मौत के बाद वन विभाग की टीम ने बाघ को पकड़ने के लिए मौके पर पिंजरे लगाने की कार्यवाही की थी। रविवार की सुबह वनकर्मियों की टीम पशु चिकित्सक दुष्यंत कुमार की मदद से बाघ को ट्रेंक्यूलाइज करने के अभियान में लगी हुई थी। इसी बीच गुस्साए ग्रामीणों ने विभागीय टीम पर पथराव करना शुरू कर दिया। पथराव होते ही वन विभाग की टीम मौके से भाग खड़ी हुई। मौके पर ग्रामीणों ने बाघ पकड़ने के लिए लगाए गए पिंजरों को भी क्षतिग्रस्त करने का प्रयास किया। वनकर्मियों ने ग्रामीणों के गुस्से से बचने के लिए ढेला रेंज कार्यालय में शरण ली तो ग्रामीण ढेला रेंज कार्यालय भी पहुंच गए। रेंजर अजय ध्यानी ने बताया कि ग्रामीणों ने ढेला रेंज कार्यालय पर आगजनी का भी प्रयास किया। वनकर्मियों की टीम पर पथराव की सूचना मिलते ही मौके पर कोतवाल अरुण कुमार सैनी, एसएसआई मौ. यूनुस, मनोज नयाल, दीपक बिष्ट आदि के नेतृत्व में भारी पुलिस बल व अग्निशमन वाहन पहुंच गया। जिसके बाद ग्रामीणों को तितर बितर किया गया। घटना के बाद पशु चिकित्सक बाघ के रेस्क्यू ऑपरेशन को बीच में ही छोड़कर वापस रामनगर आ गए। जबकि वन विभाग की टीम मौके पर बाघ को पकड़ने का प्रयास कर रही है।
दूसरी ओर, बाघ के हमले का शिकार हुई कलावती के शव का पोस्टमार्टम करवाकर शव रविवार को परिजनों की सुपुर्दगी में दे दिया गया है। जिसके बाद परिजनों ने कड़ी सुरक्षा के बीच शव का अंतिम संस्कार कर दिया। वन विभाग की ओर से ढेला रेंज अधिकारी अजय ध्यानी तथा कोतवाल अरुण कुमार सैनी ने रविवार को ही मृतका के परिजनों को प्राथमिक मुआवजा राशि का चेक सौंप दिया है।
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