अविकल उत्तराखंड
देहरादून। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में संस्थापक अध्यक्ष डॉ कमल घनशाला ने तिरंगा फहराते हुए कहा कि जय जवान और जय किसान के नारे को सार्थक करने के लिए किसानों के बच्चों को भी शिक्षा क्षेत्र में सुविधाएं देनी जरूरी हैं।
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में ध्वजारोहण के बाद समारोह को सम्बोधित करते हुए डॉ कमल घनशाला ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पूरी दुनिया को अहसास करा दिया है कि भारत तकनीकों के मामले में कितना आगे है। इस ऑपरेशन में जिस तरह भारत ने अपनी क्षमता और शक्ति दिखाई है उसके बाद देश को विदेशों से युद्ध के सामान के ऑर्डर मिलने लगे हैं। अब भारत बदल गया है। आज का भारत न केवल अपनी गौरवशाली परंपराओं पर गर्व करता है, बल्कि आधुनिक तकनीकी प्रगति के साथ विश्व मंच पर अपनी सशक्त पहचान बना रहा है। अत्याधुनिक हथियारों से लेकर साइबर युद्धक क्षमता तक, हमारी सेनाएं हर चुनौती का डटकर सामना करने में सक्षम हैं।

डॉ घनशाला ने राष्ट्रसेवा की दिशा में ग्राफिक एरा के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ग्राफिक एरा काफी शहीद सैनिकों के बच्चों और अपने चतुर्थ क्षेणी कर्मचारियों के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रहा है। जय जवान जय किसान के नारे को सार्थक करने के लिए अब छोटी काश्त वाले किसानों के बच्चों को भी शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि ग्राफिक एरा ने हाल ही में अमेजॉन जैसी वैश्विक कंपनी में 30 छात्रों को प्लेसमेंट दिलाकर एक नया कीर्तिमान रचा है। अमेजॉन के साथ हुए विशेष टाई-अप से 5000 से अधिक छात्र विशेष ट्रेनिंग के अवसर का लाभ उठाकर देश और दुनिया में भारत का नाम रोशन करेंगे। उन्होंने आजादी की लड़ाई में नेताजी सुभाष चंद्र बोस और तमाम अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का उल्लेख करते हुए आह्वान किया कि नई पीढ़ी को इनके संघर्ष और बलिदानों के बारे में बार बार बताया जाना चाहिए जिससे बच्चे उनसे देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा ले सकें।
स्वतंत्रता दिवस पर कुलपति डॉ नरपिंदर सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान ही आज़ादी की नींव है, जिस पर हमारा वर्तमान और भविष्य टिका है। उन्होंने कहा कि हमारे वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान देकर हमें स्वतंत्र भारत का सूरज दिखाया, अब हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम उस आज़ादी को ज्ञान, सद्भाव तथा जिम्मेदारी के साथ और सशक्त बनाएं।

इस अवसर पर संस्थापक अध्यक्ष ने शानदार प्रदर्शन के लिए एनसीसी कैडेट्स को एक लाख रुपये नकद पुरस्कार दिया और देशप्रेम पर आधारित बेहतरीन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के लिए श्रीयांश नवानी, प्रतिष्ठा शर्मा, वैभव जोशी, वंश खंकरियाल, आदित्य जोशी आदि की टीम को 21 हजार रुपये का पुरस्कार दिया गया। एनसीसी परेड का नेतृत्व सीनियर अंडर ऑफिसर विनायक ठाकुर और अंडर ऑफिसर वरूण अधिकारी ने किया। प्रो-चांसलर डॉ राकेश शर्मा, पूर्व चांसलर डॉ एस आर खंडूजा और अनेक पदाधिकारी, शिक्षक और छात्र छात्राएं समारोह में शरीक हुए। समारोह का संचालन डॉ एम पी सिंह ने किया।
ये गर्व और नये संकल्पों का वक्त है: डॉ राखी
देहरादून,। ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की वाइस चेयरपर्सन डॉ राखी घनशाला ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में हमारे देश की सैन्य, कूटनीतिक और राजनीतिक क्षमताओं को देखकर दुनिया आश्चर्यचकित है। यह हमारे लिए गर्व करने और देश के लिए नये संकल्प लेने का वक्त है।
ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी परिसर में राष्ट्रध्वज फहराने के बाद डॉ राखी घनशाला स्वतंत्रता दिवस समारोह को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने युवाओं से नव निर्माण में पूरी क्षमता से जुटने का आह्वान किया और शिक्षकों से छात्र छात्राओं को नवीनतम तकनीकों से जोड़ने के साथ ही सदाचार, सेवा, संस्कार और राष्ट्रहित में समर्पित होने की भावना विकसित करने का संकल्प लेने को कहा। डॉ राखी ने कहा कि हमें मिलकर ऐसे भारत का निर्माण करना है जिसमें प्रेम, सद्भाव, शिक्षा, स्वास्थ्य और उन्नति के समान अवसर हों।

इस अवसर पर कुलपति डॉ अमित आर. भट्ट ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों ने अदम्य साहस, त्याग और बलिदान से हमें आज़ादी का अनमोल उपहार दिया है। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम आजाद देश को ज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी की शक्ति से नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि ग्राफिक एरा के छात्र- छात्राएं केवल अकादमिक उत्कृष्टता में ही नहीं, बल्कि नए विचारों और रचनात्मक समाधानों के माध्यम से समाज और राष्ट्र के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
डॉ राखी घनशाला ने बेहतरीन प्रदर्शन के एनसीसी और एनएसएस के कैडिटों को एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान किया। इसके साथ ही देशभक्ति के गीतों की प्रभावशाली प्रस्तुति के लिए अनुकृति गुंसाई, कृतिका कौंडिल्य, निकीता गुंसाई और ब्रह्मास ग्रुप के सदस्यों को 21 हजार रुपये का पुरस्कार दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ हिमानी बिंजोला ने किया।

