उत्तराखंड के चार मेडिकल कॉलेज से शामिल हुए 100 प्रतिभागी
अविकल उत्तराखंड
डोईवाला। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जौलीग्रांट में बॉयोएथिक्स पर पांच सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हो गया है। उत्तराखंड में नैतिक अनुसंधान प्रथाओं को बढ़ाना इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के क्लिनिकल रिसर्च विभाग, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) की ओर से इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि एनजेआईएलओएमडी, आईसीएमआर से डॉ. किरन कटोच और एसआरएचयू के कुलपति डॉ. राजेन्द्र डोभाल ने किया। डॉ. किरन कटौच ने प्रतिभागियों से कार्यशाला में सीखे गये ज्ञान को व्यवहारिकता में लाने की बात कही।
एसआरएचयू के कुलपति डॉ. राजेन्द्र डोभाल ने कहा कि यह पहल बॉयोएथिक्स के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान करते हुए शैक्षणिक और व्यावसायिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की एसआरएचयू की प्रतिबद्धता को दोहराता है। नैक से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय के रूप में, एसआरएचयू उत्तराखंड के पहले एनएबीएच-संबद्ध्ता प्राप्त शिक्षण अस्पताल के रूप में आज शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और ग्रामीण विकास की अवधारणा पर आगे बढ़ रहा।
कार्यशाला में विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों से परस्पर सवंाद के साथ ही व्यावहारिक अभ्यास भी कराया। इस दौरान अनुसंधान नैतिकता सिद्धांतों, नैतिकता समितियों की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां, अच्छे नैदानिक अभ्यास (जीसीपी) दिशानिर्देश, और नैतिक दुविधाओं जैसे प्रमुख विषयों की विस्तार से जानकारी दी गयी। कार्यशाला में उत्तराखंड के चार मेडिकल कॉलेजों से 100 प्रतिभागी शामिल हुए। इस अवसर पर महानिदेशक (शैक्षणिक विकास) डॉ. विजेन्द्र चौहान, प्राचार्य एचआईएमएस डॉ. अशोक कुमार देवरारी, अनुसंधान निदेशक डॉ. बिंदू डे, आईसीएमआर प्रमुख बंगलुरु डॉ. रोली माथुर उपस्थित थे।
Total Hits/users- 30,52,000
TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245