राजनीति – कर्नल कोठियाल के नाम के ऐलान के बाद रुके रुके से कदम

केजरीवाल की अन्य दलों के नेताओं की आप में स्वागत की अपील के बाद भी कोई हलचल नहीं

आप में शामिल होने के इच्छुक नेताओं को कर्नल कोठियाल का नाम स्वीकार्य नहीं

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। चुनाव से पहले सीएम उम्मीदवार की घोषणा कर आम आदमी पार्टी रणनीतिक चूक कर गयी। यही कारण रहा कि हल्द्वानी दौरे में भाजपा-कांग्रेस या अन्य दलों के कुछ नेताओं के आप पार्टी की ओर बढ़ रहे कदम ठिठक गए। और केजरीवाल की कुमाऊं में मौजूदगी के मौके पर दलीय सेंध की मुहिम कामयाब नहीं हुई।

हल्द्वानी दौरे पर अरविंद केजरीवाल ने अन्य दलों के नेताओं से आप पार्टी से जुड़ने की अपील भी की। हालांकि, कुछ महीने पहले पार्टी नेताओं ने भाजपा-कांग्रेस के कुछ विधायकों के आप पार्टी में शामिल होने का दावा कर सनसनी भी मचाई थी। यह कहा था कि चुनाव से छह महीने पहले ऐसे विधायक अपने पद से इस्तीफा देकर आप में शामिल होंगे।

चूंकि, इस दावे की अवधि भी बीत चुकी है। इधर, केजरीवाल के अगस्त में देहरादून दौरे पर कर्नल कोठियाल को सीएम उम्मीदवार घोषित करने के बाद पलटी मारने को आतुर नेता भी खामोश बैठ गए।

अरविंद केजरीवाल ने लगभग सवा साल पहले 2020 उत्त्तराखण्ड की सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर राजनीतिक हलचल मचा दी थी। इस घोषणा के बाद भाजपा से हरक सिंह रावत व कांग्रेस से किशोर उपाध्याय के आप पार्टी में जाने की अफवाह भी तेजी से उड़ी।

उत्त्तराखण्ड के कुछ नेताओं की केजरीवाल से गुपचुप बैठकों की खबरों से भी सत्ता के गलियारे सरगर्म रहे। अपने-अपने दलों में परेशान चल रहे  नेता भी नफा नुकसान का आंकलन करने में जुटे हुए ही थे । इसी बीच महीने भर पहले कर्नल कोठियाल को बतौर सीएम चेहरे का ऐलान कर दिया गया।

केजरीवाल की इस घोषणा के बाद कुछ नामों के सामने कोठियाल को अपना नेता स्वीकार करने का भारी राजनीतिक संकट खड़ा हो गया। यही नहीँ, अन्य दलों में दूसरी-तीसरी पांत के नेता भी कोठियाल को नेता के तौर पर स्वीकार नहीं कर पा रहे।

इसका सीधा असर केजरीवाल के हल्द्वानी दौरे पर भी नजर आया। पार्टी के रणनीतिकारों को उम्मीद थी कि इस दौरे कुछ ठीक ठाक वजूद वाले नेता आप का हाथ थामेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

हल्द्वानी दौरे पर केजरीवाल ने एक बार फिर दूसरे दलीय नेताओं के लिए पार्टी का दरवाजा खुला रखने की बात कही। केजरीवाल के इस आग्रह को स्वीकारते हुए निकट भविष्य में कितने बड़े-छोटे नाम आम आदमी पार्टी का रुख करते हैं, इसी पर आप पार्टी की चुनावी गणित टिकी हुई है।

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