साहिर जन्मदिन स्पेशल-मैं पल दो पल का शायर हूँ
आईएएस ललित मोहन रयाल
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस होने के साथ-साथ उपमहाद्वीप के मकबूल शायर साहिर लुधियानवी सहित हमारे बड़े भाई साहब का भी जन्मदिन है। ‘मैं पल दो पल का शायर’ और ‘कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है’ जैसे दार्शनिक गीत लिखने वाले साहिर ने बड़े ही उम्दा नगमे लिखे। तत्कालीन समाज में स्त्रियों की दशा को लेकर उन्होंने ‘औरत ने जनम दिया मर्दों को’ जैसा स्पष्टवादी नजरिए भरा गीत लिखा।
साहिर ने जहां एकओर ‘ये महलों ये तख्तों ये ताजों की दुनियां, मिल भी जाए तो क्या है’ जैसे फानी गीत लिखे तो दूसरी ओर उन्होंने ‘वो सुबह कभी तो आएगी’ जैसे आशावादी गीत भी लिखे। ‘जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहां हैं’ इंकलाबी शायरी ‘जाने वो कैसे लोग थे जिनके…’ और ‘चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं’ तहदार गीत लिखने वाले साहिर के गीतों में एक गहन अंतर्दर्शी आवाज सुनने को मिलती है।
‘मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया’ ‘अभी ना जाओ छोड़कर दिल अभी भरा नहीं’,’ ‘तेरे प्यार का आसरा चाहता हूं’ ‘मांग के साथ तुम्हारा’ ‘जिंदगी भर ना भूलेगी वो बरसात की रात’ जैसे नगमे लिखने वाले साहिर के गीतों को मानो छूकर देखा जा सकता है। ‘उड़े जब-जब जुल्फें तेरी’ ‘मेरे दिल में आज क्या है’ ‘तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई.’जैसे रोमानी गीत लिखने वाले साहिर के लिरिक्स में बहुत सी गूंजें और स्वर-विस्तार मिलते हैं।
बारीक बुनावट वाली संवेदना में साहिर अद्वितीय रहे जिसकी चलते उनकी हिस्से सबसे ज्यादा वैराइटी के गीत आए। उनके थमने, थामने और थाहने के मिजाज वाले गीतों की एक छोटी सी सूची पर नजर डाल सकते हैं-
जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा
ये दिल तुम बिन लगता नहीं हम क्या करें
कह दूं तुम्हें या चुप रहूं
किसका रस्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदाई
आजा तुझको पुकारे मेरा प्यार
अभी ना जाओ छोड़कर दिल अभी भरा नहीं
तेरे चेहरे से नजर नहीं हटती
तुम अगर साथ देने का वादा करो
हम आपकी आंखों में।
अमृता प्रीतम की सुप्रसिद्ध रचना ‘रसीदी टिकट’ में साहिर के स्वभाव पर एक अलग ही नजरिया देखने को मिलता है।
एक बात और…पिता की जीवनी लिखते समय कवर- पेज का विचार हमने साहिर की पहली रचना ‘तल्ख़ियां’ से लिया।
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