20 मई से शुरू होगी हेमकुंट साहिब की यात्रा
भारतीय सेना के 418 इंडीपेन्डेन्ट इंजीनियर कॉर्प के जवानों ने अटलाकोटी ग्लेशियर काटकर 4 फुट चौड़ा मार्ग बनाया
अविकल उत्तराखण्ड
जोशीमठ। सेना के जवानों ने 10 दिन की कड़ी मेहनत के बाद समुद्रतल से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सिखों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल हेमकुंट साहिब तक जमी बर्फ को काटकर रास्ता बना दिया।
शुक्रवार को सेना के जवान हवलदार मलकीत सिंह एवं हवलदार हरसेवक सिंह मार्ग से बर्फ हटाकर रास्ता बनाते हुए गुरूद्वारा हेमकुण्ट साहिब के प्रबंधक गुरनाम सिंह व अन्य सेवादारों के साथ मिलकर हेमकुण्ट साहिब पहुंच गए ।
भारतीय सेना के 418 इंडीपेन्डेन्ट इंजीनियर कॉर्प के जवानों द्वारा हेमकुण्ट साहिब से पहले अटलाकोटी ग्लेशियर को काटकर 4 फुट चौड़ा मार्ग बना दिया गया है। पावन स्थल श्री हेमकुण्ट साहिब में भी बर्फ है एवं सरोवर भी पूरी तरह से बर्फ से ढका है। कल से भारतीय सेना के जवान, ट्रस्ट सेवादारों के साथ मिलकर हेमकुण्ट साहिब से नीचे आने वाले मार्ग से बर्फ हटाने व मार्ग को दुरस्त करने के कार्य में जुट जाएंगे।
गुरूद्वारा श्री हेमकुंट साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि मौसम को देखते हुए भारतीय सेना के जवानों ने पूर्ण रूप से आश्वासन दिया है पैदल यात्रा मार्ग से बर्फ हटाने व मार्ग को चौड़ा करने का कार्य शीघ्र ही पूर्ण कर दिया जाएगा। इसके साथ ही प्रशासन की ओर से भी आश्वस्त किया गया है कि 20 मई 2023 से शुरू होने वाली यात्रा में किसी भी प्रकार व्यवधान व विघ्न नहीं आएगा एवं श्रृद्धालु सुखद ढंग से निर्विघ्न यात्रा करके गुरूघर का आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे।
उत्तराखण्ड राज्य में चारधाम यात्रा का आगाज हो चुका है। इसके साथ ही श्री हेमकुण्ट साहिब जी की यात्रा आगामी 20 मई 2023 से आरंभ होने जा रही है। पैदल यात्रा मार्ग से बर्फ हटाकर मार्ग बनाने का कार्य भारतीय सेना के जवानों ने 20 अप्रैल से शुरू कर दिया था।
Hemkunt sahib-हेमकुंड साहिब का शाब्दिक अर्थ “लेक ऑफ स्नो” हैं और यह दुनिया का सबसे ऊंचा गुरुद्वारा हैं जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से 4633 मीटर है। हेमकुंड साहिब पर्यटन स्थल बर्फ से ढके पहाड़ों पर स्थित है।
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