हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सरकार को दिए निर्देश
चीफ जस्टिस की डबल बैंच का फैसला
अविकल उत्तराखंड
नैनीताल। कई साल से ठंडे बस्ते में पड़ा लोकायुक्त के गठन का मामला फिर गर्मा गया है। आपराधिक केस वाले आरोपियों को सरकारी सुरक्षा के मामले में हाईकोर्ट सरकार को कड़े निर्देश दे ही चुकी है। और अब मंगलवार को हाईकोर्ट की डबल बैंच ने उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति पर गंभीर रुख अपनाया है। बैंच ने सरकार को आदेश दिया है कि आठ सप्ताह में राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति की जाए। यह फैसला चीफ जस्टिस विपिन सांघवी और जस्टिस राकेश थपलियाल की डबल बैंच ने दिया है।
इस मामले में हल्द्वानी गौलापार निवासी रवि शंकर जोशी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने अभी तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की, जबकि संस्थान के नाम पर वार्षिक 2 से 3 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। जनहित याचिका में कहा गया कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश में लोकायुक्त द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा रही है लेकिन उत्तराखंड में तमाम घोटाले हो रहे हैं। छोटे से छोटा मामला हाईकोर्ट में लाना पड़ रहा है।
जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि वर्तमान में राज्य की सभी जांच एजेंसी सरकार के अधीन हैं, जिसका पूरा नियंत्रण राज्य के राजनीतिक नेतृत्व के हाथों में है। कि वह बिना शासन की पूर् विजिलेंस विभाग भी राज्य पुलिस का ही हिस्सा है, जिसका सम्पूर्ण नियंत्रण पुलिस मुख्यालय, सतर्कता विभाग या मुख्यमंत्री कार्यालय के पास रहता है। जनहित याचिका में कहा गया कि भाजपा ने 2017 के चुनाव में वादा किया था कि सत्ता में आते ही लोकायुक्त का गठन किया जाएगा।इससे पहले बीसी खंडूड़ी की सरकार के समय में एक शक्तिशाली लोकायुक्त गठन की दिशा में काम किया गया था। इसके दायरे में मुख्यमंत्री और सभी मंत्रियों को भी शामिल किया गया था। उनके सत्ता के हटने के बाद यह विधेयक विधानसभा में ही पेंडिग है। 2012 से 2017 तक कांग्रेस सत्ता में रही पर इस विधेयक की सुध नहीं ली।
भाजपा ने 2017 के चुनाव में इसे लागू करने का वादा किया था। लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद भी कोई फैसला नहीं किया गया । अब हाईकोर्ट के निर्देश के बाद धामी सरकार दो महीने में सशक्त लोकायुक्त का गठन करती है या नहीं, यह देखने वाली बात होगी। (एजेंसी)।
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