बिना वन विभाग व प्रशासन की मिलीभगत के अवैध कटान सम्भव नहीं-कांग्रेस
अविकल उत्तराखंड/देहरादून। चकराता वन प्रभाग के कनासर रेंज व पुरोला के टौंस वन प्रभाग में अवैध पेड़ कटान का मामला गर्माता जा रहा है। चकराता में अमूल्य देवदार के स्लीपर मिलने से विभागीय अधिकारियों पर भी शक की सुई उठ रही है। सरंक्षित प्रजाति के पेड़ काटे जाने का कांग्रेस ने विरोध करते हुए कहा कि बिना मिलीभगत के अवैध कटान सम्भव नहीं। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने बयान जारी करते हुए कहा कि एक और जहाँ प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण के नाम पर करोड़ों रुपये वृक्षारोपण के नाम पर बहा रही है वही दूसरी और प्रदेश के चकराता वन प्रभाग के कनासर रेंज व पुरोला के टाॅस वन भाग में भी संरक्षित प्रजाति के देवदार व कैल के वृक्षों का अन्धाधुंध अवैध कटान प्रकाश में आया है, जो बहुत ही चिंता का विषय है, आखिर वन विभाग और स्थानीय प्रशासन कहा सोया हुआ था। संरक्षित प्रजाति के वृक्ष काटे जाते रहें और वन विभाग कुंभकरण की नींद क्यों सोता रहा? यह जांच का विषय है, स्थानीय जनता का मानना है कि वन विभाग व प्रशासन कि मिलीभगत से ही घटना को अंजाम दिया गया।
माहरा ने कहा कि एक और सरकार पर्यावरण का पाठ पढा रही है और वृक्षारोपण के नाम पर हर साल करोड़ों रूपये खर्च कर रही है, मगर वृक्षारोपण का कार्यक्रम केवल फोटो खिंचवाने तक ही सीमित हो गया है बाद में रोपित वृक्षों की कोई सुध नही लेता है, पर्यावरण संरक्षण के नाम पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है, वहीं दूसरी और चकराता और पुरोला जैसे अवैध कटान भ्रष्टाचार का जीता जागता सबूत है, केवल अधिकारियों का स्थानान्तरण कर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है यह बहुत ही गंभीर मामला है, इस मामले में वहां के डीएफओ व रेंजर पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा जाना चाहिए, क्योंकि इनकी शह के बिना इतना बडा अवैध कटान सम्भव नही है।
करन माहरा ने कहा कि राज्य की राजधानी देहरादून में ही लगातार मनमाने तरीके से वृक्षों का कटान हो रहा है, सहस्त्रधारा रोड पर पर्यावरण प्रेमी लगातार कटान का विरोध कर रहे थे पर्यावरण प्रेमी हाईकोर्ट तक मामले को लेकर गये मगर फिर भी स्थानीय प्रशासन के कान पर जूॅ नही रेंग रही है, यही कुमाउ मण्डल हो मेें भी है जगह जगह पेडों का अन्धाधुंध कटान हो रहा है विकास के नाम पर सरकार स्वंय यह खेल कर रही है जबकि वैकल्पिक रास्ते मौजूद हैं पैडों के अवैध कटान से बचा जा सकता है और विकास भी हो सकता है। मगर सरकार पर्यावरण विषेषज्ञों के सुझाव पर ध्यान नही दे रही है व वन माफिया के इसारे पर काम कर रही है। इसी से वन माफियाओं के हौसले बुलंद है व चकराता और पुरोला जैसे अवैध कटान सामने आ रहे है, चकराता के कनासर रेंज में बताया जा रहा है कि 250वर्ष पुराने संरक्षित पेड़ तक काट दिए गये, जो बहुत ही चिंता का विषय है।
माहरा ने कहा कि इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कर पता लगाया जाए कि वन माफिया को आखिर किसका संरक्षण प्राप्त है, जिसकी छत्रछाया में संरक्षित प्रजाति के पेडों का और अन्य वृक्षों का अवैध कटान बेखौफ किया जा रहा है। तत्काल दोषियों को ढूँढकर कानून के दायरे में लाया जाए, जिससे वन माफिया के नेटवर्क को ध्वस्त कर पर्यावरण को नुकसान पहुॅचनों वाले दोषियों को सजा दी जा सके।
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