बल्ल ,कैबिनेट विस्तार में आड़े आ रहा कोरोना
बल्ल ,कई राज्यों में हुआ राजनीति का खेल भरे पूरे कोरोना में
बल्ल, हिमाचल में हुआ cabinet विस्तार कोरोना काल में
बल्ल ,उत्त्तराखण्ड में न नौ मैन तेल होगा न राधा नाचेगी..कोरोनकाल में
व्यंग्य/बोल चैतू/पहाड़ी की ठूंठ से बल्ल चैतू की लाइव रिपोर्ट ठैरी
पता नही बल्ल उत्त्तराखण्ड में ही क्यों नही हो रहा मंत्रिमंडल विस्तार भुला चैतू। पर अब होगा भी तो किसके लिए। बल्ल सुनने में आ रहा कि सीएम साहब का फिर पूरा मूड बन गया है मंत्री बनाने को। बल्ल अखबार तो यही कह रहे हैं। बल्ल अखबार तो मार्च 2017 से यही ख़ुशख़बरी बार-बार दे विधायकों की धड़कन बढ़ा रहे हैं रे…
पहले भी कई बार बन चुका है सीएम साहब का मूड। कह भी चुके हैं कि मार्च में फाइनल ही हो गया था मंत्री बनाना। लेकिन कमबख्त कोरोना जो कैसे आ गया बल्ल। फिर प्रवासी भी आ गए तब्ब रे। फिर क्या करना था प्राथमिकता बदल गयी। अब दिल्ली, मुंबई आदि शहरों में काम पर लगे पहाड़ियों के लिए स्वरोजगार देखना था या फिर मंत्री बनाना। फंड फूंख रे चैतू। तू भी तब्ब एक ही रट लगा रहा मंत्री-मंत्री।
अब मार्च से देख ले तू करीबन करीबन ढाई लाख भाई बंद आये होंगे अपने उत्त्तराखण्ड के गांव। कई तो बल्ल 15-20 साल बाद आये। कोरोना नौकरी खा गया बल्ल उनकी। अब हमारे बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री पानी-बिजली का किराया ही नही दे पा रहे। जब नेताओं के खीसे में ही पैसा नही तो ये जो देसी टाइप पहाडी हो गए उनके लिए तो नौकरी देखनी ही पड़ेगी।
जब इतने बड़े नेता कंगाल हो रखे है, अदालत जा रहे है ..कहाँ से देंगे बल्ल लाखों रुपया। इनके पास रुप्पली होती तो दे नहीं देते फटाक से। इतनी बेइज्जती क्यों सहते। कोरोना ने सभी को गरीब बना दिया। हे, पितरों बल्ल इन नेताओं को कुछ दे दो । सारा देश और विश्व देख रहा कि ये कितने फटेहाल हो गए।
जब बड़े लोगों की यह हालत हो गयी तो दिल्ली-मुम्बई वाले कितने गरीब हो गए होंगे।
देख बल्ल चैतू, प्रवासी हमारे ही तो हैं। बल्ल इस कोरोना आपदा को बल्ल अवसर में बदल देना है। अब इन्वेस्टर्स समिट में आये धन्ना सेठों ने कितने उद्योग लगाकर कितना रोजगार दिया। इसकी गुणा-भाग बंद कमरे में कर लेंगे। पर तू ये बता जिनकी नौकरी छूट गयी उनके लिए भी तो कुछ करने दे रे। मंत्री तो बनते रहेंगे।
अब देख रे चैतू कोरोना बहुत बढ़ रहा है। अस्पताल के बेड फुल हो गए और ऑक्सीजन सिलिंडर भी कम पड़ रहे है।quarantine center की दशा भी सुधारनी है। बल्ल ये देखना जरूरी है कि मंत्री बनाना।
बात त ठिक च आपकी। पर कोरोना महाराष्ट्र , मध्यप्रदेश में भी तो है। उत्त्तराखण्ड से ज्यादा। वहां तो रातों रात सरकार बनवा ली थी। तब्ब कोरोना कहाँ गया। कई विधायक इधर उधर जा रहे थे बल्ल। राजस्थान में भी तो उलट पुलट कर दिया था बल्ल कोरोनकाल में। कई दिन तक हाथ में सेनेटाइजर और मास्क पहने गहलौत डटे रहे बल्ल। बैठकी चलती रही बल्ल रात रात। तब्ब इनके लिए कहाँ गया था कोरोना, सोशल डिस्टेंसिनग। फिर जीत ठैरी गहलोत की। बल्ल पायलट भी झेल गए कोरोना आंधी में तब्ब।
महाराष्ट्र में तो भयंकर कोरोना सूनामी में अपने ही भगत दा ने सुबह सुबह बल्ल फडणवीस को शपथ दिला थी बल्ल। पंवार कोरोना में गोटी बिछाते रहे बल्ल। फिर पंवार की जीत भी ठैरी। कोरोना में ही मध्यप्रदेश में कमलनाथ की कुर्सी खिसका दी बल्ल। बड़े बड़े राजनीतिक आयोजन हो गये बल्ल कोरोना काल में।
तो उत्त्तराखण्ड में 5 मिनट की शपथ क्यूं नही हो सकती बल्ल जब पूरा मूड ही बन गया जो ठैरा। पड़ोसी हिमाचल में नही है बल्ल कोरोना। पर वहां तो बन गए बल्ल मंत्री। महीने भर ठैरा बल्ल हिमाचल मंत्री मंडल विस्तार।
मंत्री बनकर भी क्या कर लेगा बल्ल तू चैतू। ठैरा का ठैरा ही रहेगा बल्ल । फंड फूंख मंत्री-मंत्री। बल्ल कईं मंत्री रुणा छन बल्ल छकिकी। रोते रोते रुमाल भीग गए बल्ल।
बल्ल चैतू हमारे लिए ही है ठैरा कोरोना । कब तक ठैरा रहेगा कोरोना और कब तक ठैरे रहेंगे बल्ल विधायक। रे चैतू बल्ल तू तूने सुना है बल्ल कि… न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी,….। गाओ रे गाओ रे .. कोरोना जा जा जा..कोरोना जा जा जा
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