सचिव को पूर्व के जीओ का परीक्षण कराकर प्रकरण को कैबिनेट के सामने रखने के निर्देश
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। ऑडिट आपत्ति के नाम पर वन विकास निगम के कर्मचारियों व पेंशनर्स को दी गयी धनराशि की वसूली से मुख्य सचिव ओमप्रकाश भी सहमत नहीं है । उन्होंने सचिव को पूर्व में हुए शासनादेश का परीक्षण कराकर इस मामले को अतिशीघ्र कैबिनेट के सामने रखने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश की अध्यक्षता में शुक्रवार को सचिवालय में राज्य निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ, स्केलर संघ और वन निगम कर्मचारी संघ की शासन के अधिकारियों के साथ बैठक हुई।
बैठक में वन विकास निगम में ऑडिट आपत्तियों के नाम पर कर्मचारियों की जा रही वसूली, उत्तर प्रदेश के समय मिल रहा यात्रा भत्ता और मकान भत्ता, सेवा नियमावली के अनुसार दो वर्ष दैनिक सेवा का लाभ एसीपी में देने, स्केलर संवर्ग को तृतीय एसीपी का लाभ, न्यायालय के निर्णय के अनुसार 1 सितंबर 1991 से वरिष्ठता का लाभ आदि पर वार्ता हुई।
मुख्य सचिव ने कहा कि दो वर्ष दैनिक सेवा का लाभ वरिष्ठता में देने, 1991 से वरिष्ठता का लाभ तथा मकान किराया भत्ता देने को लेकर शीघ्र की कैबिनेट की वैठक प्रस्ताव लाया जाएगा। जबकि, समयमान वेतन के अनुसार एसीपी से पूर्व 24 वर्ष की सेवा पूरी करने पर उप लौगिंग अधिकारी का वेतनमान पा चुके कार्मिकों को तृतीय पद्दोनति वेतनमान को लेकर उन्होंने वन निगम को एक माह के अंदर निर्णय करने के निर्देश दिए।
बैठक में प्रमुख सचिव वन, सचिव वित/कार्मिक/उद्योग, अनुभाग अधिकारी वित्त/वन/उद्योग/कार्मिक, वन निगम के प्रबंध निदेशक विनोद कुमार, क्षेत्रीय प्रबंधक उमेश त्रिपाठी, राज्य निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गोसाईं, महासचिव वीएस रावत, स्केलर संघ के अध्यक्ष मान सिह राणा, टीएस बिष्ट, सतीश शर्मा, ललित शर्मा व हरदेव रावत उपस्थित थे।
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