कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या को अंजाम देने वाले विकास दुबे ने भी खादी का चोला पहना था। विकास दुबे बहुजन समाज पार्टी में सक्रिय रहा और पूर्व प्रधान के साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहा था। राजनेताओं के सरंक्षण से उसने खादी का चोला पहना और राजनीति में प्रवेश किया।
विकास दुबे का काला कारोबार प्रदेश में कानपुर देहात से लेकर इलाहाबाद व गोरखपुर तक फैला है। वह कोरोबारी तथा व्यापारी से जबरन वसूली के लिए कुख्यात है। प्रदेश में गुरुवार देर रात सबसे बड़ी आपराधिक वारदात को अंजाम देने वाला विकास दुबे हिस्ट्रीशीटर है और उसके ऊपर 25 हजार रुपया का ईनाम भी घोषित है। राहुल तिवारी नाम के एक शख्स ने विकास दुबे पर हत्या का केस दर्ज कराया था। जिसके बाद कल रात पुलिस की टीम विकास दुबे के गांव पहुंची थी। 25000 का ईनामी विकास दुबे पूर्व प्रधान, जिला पंचायत सदस्य तथा अध्यक्ष भी रहा है। इसके खिलाफ 60 में से 50 से अधिक केस हत्या के प्रयास के चल रहे हैं।
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का जघन्य आपराधिक इतिहास रहा है। बचपन से ही वह अपराध की दुनिया में अपना नाम बनाना चाहता था। उसने गैंग बनाया और लूट, डकैती, हत्याएं करने लगा। कानपुर देहात के चौबेपुर थाना क्षेत्र के विकरू गांव का निवासी विकास दुबे के बारे में बताया जाता है इसने कई युवाओं की फौज तैयार कर रखी है। विकास दुबे ने कम उम्र में ही जरायम की दुनिया में कदम रख दिया था। कई नव युवा साथियों को साथ लेकर चलने वाला विकास कानपुर नगर और देहात का वांछित अपराधी बन गया। चुनावों में अपने आतंक व दहशत के जोर पर जीत दिलाना पेशा बन गया।
अपराध की दुनिया में कदम आगे बढ़ा रहे विकास पर यूपी के कई जनपदों में 52 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हो चुके थे और उस समय पुलिस ने 25 हजार का इनाम घोषित कर दिया था। अपराध की वारदातों को अंजाम देने के दौरान विकास कई बार गिरफ्तार हुआ। एक बार तो लखनऊ में एसटीएफ ने उसे दबोचा था। कानपुर में एक रिटायर्ड प्रिंसिपल सिद्धेश्वर पांडेय हत्याकांड में इसको उम्र कैद हुई थी। वह जमानत पर बाहर आ गया था। पंचायत और निकाय चुनावों में इसने कई नेताओं के लिए काम किया और उसके संबंध प्रदेश की सभी प्रमुख पार्टियों से हो गए। राजनेताओं के सरंक्षण से राजनीति में एंट्री की और नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीत गया था।
उसके ऊपर कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र में ही 2000 में रामबाबू यादव की हत्याकांड में जेल के भीतर रह कर साजिश रचने का आरोप है। इसके अलावा 2004 में हुई केबल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या में भी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे आरोपी है। विकास दुबे ने 2018 में अपने चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला बोला था। उसने जेल में रहकर पूरी साजिश रची थी। जेल रहकर ही चचेरे भाई की हत्या करा दी। इसके बाद अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराया था।
शिवली थाने के बाहर की थी मंत्री की हत्या
वर्ष 2001 में प्रदेश की भाजपा सरकार में संतोष शुक्ला को दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री बनाया गया था। संतोष शुक्ला से विकास की पुरानी रंजिश चली आ रही थी तो कुछ भाजपा नेताओं ने उनके बीच समझौता कराने का प्रयास किया था। कानुपर की चौबेपुर विधानसभा क्षेत्र से हरिकृष्ण श्रीवास्तव व संतोष शुक्ला 1996 में चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में हरिकृष्ण श्रीवास्तव विजयी घोषित हुए थे। विजय जुलूस निकाले जाने के दौरान दोनों प्रत्याशियों के बीच गंभीर विवाद हो गया था। जिसमें विकास दुबे का नाम भी आया था। उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था। यहीं से विकास की भाजपा नेता संतोष शुक्ला से रंजिश हो गई थी। इसी रंजिश के चलते 11 नवंबर 2001 को विकास ने कानपुर के थाना शिवली के बाहर संतोष शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
मंत्री की हत्या में अदालत से बरी हुआ था विकास
शिवली थाने के बाहर राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या में आरोपित रहे विकास दुबे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। अदालत में हत्या का मुकदमा विचाराधीन था, इस दौरान विकास द्वारा वादी और गवाहों के धमाकाए जाने की शिकायतें पुलिस तक पहुंच रही थीं। बताया गया है कि अदालत में काफी लंबा ट्रायल हुआ लेकिन साक्ष्यों के अभाव और गवाहों के मुकर जाने से विकास दुबे पर आरोप सिद्ध नहीं हो सके और उसे बरी कर दिया गया था।
एसटीएफ ने किया था गिरफ्तार
इनामी बदमाश विकास दुबे को एसटीएम ने लखनऊ से गिरफ्तार करके स्प्रिंग फील्ड रायफल, 15 कारतूस व मोबाइल फोन बरामद कए थे। वर्ष 2000 में कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या में भी विकास का नाम आया था। इसके अलावा कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र में वर्ष 2000 में रामबाबू यादव की हत्या के मामले में विकास की जेल के भीतर रहकर साजिश रचने का आरोप लगा था। वर्ष 2004 में केबिल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। वर्ष 2013 में विकास को कानपुर पुलिस ने पकड़ा था, तब उस पर 50 हजार का इनाम था।
जिला पंचायत सदस्य पद पर 15 साल से कब्जा
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का वैसे तो कोई राजनीतिक इतिहास नहीं है लेकिन बसपा का समर्थन जरूर प्राप्त रहा है। बसपा शासन काल में विकास को खुला समर्थन मिला हुआ था। 2002 में बसपा सरकार के दौरान इसका सिक्का बिल्हौर, शिवराजपुर, रनियां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में खौफ था। इस दौरान विकास दुबे ने जमीनों पर कई अवैध कब्जे किए। इसके अलावा जेल में रहते हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने शिवराजपुर से नगर पंचयात भी लड़ा था और जीता भी था। इतना ही नहीं बिकरू समेत आसपास के दस से ज्यादा गांवों में विकास की दहशत कायम है, जिसके चलते आलम यह रहा कि विकास जिसे समर्थन देते, गांववाले उसे ही वोट देते थे। इसी वजह से इन गांवों में वोट पाने के लिए चुनाव के समय सपा, बसपा और भाजपा के भी कुछ नेता उससे संपर्क में रहते थे। दहशत के चलते विकास ने 15 वर्ष जिला पंचायत सदस्य पद पर कब्जा कर रखा है। पहले विकास खुद जिला पंचायत सदस्य रहे, फिर चचेरे भाई अनुराग दुबे को बनवाया और मौजूदा समय में विकास की पत्नी ऋचा घिमऊ से जिला पंचायत सदस्य हैं। कांशीराम नवादा, डिब्बा नेवादा नेवादा, कंजती, देवकली भीठी समेत दस गांवों में विकास के ही इशारे पर प्रधान चुने जाते थे। इन गांवों में कई बार प्रधान निर्विरोध निर्वाचित हुए, वहीं बिकरू में 15 वर्ष निर्विरोध ग्राम प्रधान चुना जाता रहा है।
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