सुप्रीम कोर्ट- आल वेदर रोड की चौड़ाई 10 मीटर करने की जंग में उलझा केंद्र

सुप्रीम कोर्ट में चीन की तैयारी व सामरिक जरूरतों का दिया हवाला, सुनवाई जारी

आल वेदर रोड के चौड़ीकरण पर सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी

अक्टूबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने सड़क की चौड़ाई घटाकर 5.5 मीटर कर दी थी

सिटीजन फार ग्रीन दून की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में नौ बार ही चुकी है सुनवाई

अविकल उत्त्तराखण्ड

नई दिल्ली। केंद्र सरकार चीन सीमा पर सामरिक जरूरतों का हवाला देते हुए चारधाम आल वेदर रोड को 10 मीटर चौड़ा करने की जंग लड़ रही है।

सिटीजन फार ग्रीन दून की  याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने आल वेदर रोड की चौड़ाई 5.5 मीटर से बढ़ाकर 10 मीटर करने की गुहार लगाई है।

सड़क चौड़ीकरण को लेकर सैन्य मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में अपने तर्क पेश किए हैं।  तर्क के समर्थन में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि उत्त्तराखण्ड की सीमा चीन से लगी है। लिहाजा, सैन्य महत्व के इस मार्ग पर आर्मी के हैवी उपकरणों टैंक, राकेट लांचर, बड़े ट्रक व मशीन गन ले जानेके लिए सड़क को 10 मीटर चौड़ा किये जाने की आवश्यकता है।

मंगलवार को हुई सुनवाई में जज चंद्रचूड़ के आल वेदर रोड से जुड़ी पर्यावरणीय आशंकाओं के बाबत पूछे गए एक सवाल के जवाब में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सामरिक दृष्टिकोण से सेना ऋषिकेश से धरासू-गंगोत्री तक सैन्य साजो सामान ले जाना जरूरी है। इस मार्ग के चौड़ीकरण के लिए सरकार को कोई समस्या नहीँ है।राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नही किये जाने के अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल की दलील न्यायधीश चंद्र चूड़ सहमत नजर आए।

सुनवाई के दौरान NGO के वकील कोलिन गोंसाल्वेज ने कहा कि सेना रोड का चौड़ीकरण नहीं  चाहती लेकिन बड़ी राजनीतिक पावर चारधाम यात्रा के लिए 900 किमी. की आल वेदर रोड का निर्माण कर रही है। इस रोड के जरिये चारों धामों को जोड़ा जाएगा। अधिवक्ता कोलिन गोंसाल्वेज ने कोर्ट में संवेदनशील हिमालयी राज्य उत्त्तराखण्ड में इस साल आयी बेमौसमी भारी आपदा व भू स्खलन का भी जिक्र किया।

गोंसाल्वेज ने कहा कि इस 900 किमी के चारधाम हाईवे के निर्माण के समय सेना की कोई राय नहीं ली गयी थी। इसका निर्माण केवल चारधाम यात्रा के विकास के लिए किया जा रहा है। और अब केंद्र सरकार सैन्य आवश्यकताओं का हवाला देते हुए सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर से 10 मीटर किये जाने की वकालत की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट में जारी बहस के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि बॉर्डर रोड संगठन चारधाम डबल लेन का निर्माण कर रहा है। सेना की आवश्यकताओं के लिए इस रोड का निर्माण इसलिए भी किया जा रहा है कि चीन सीमा के निकट सड़क, रेल व हेलीपैड का निर्माण कर रहा है। ऐसे में भविष्य में होने वाले सामरिक जंग में भारतीय सेना कमजोर नहीं पड़ेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सीमा पार हो रही निर्माण व सैन्य हलचलों से सम्बंधित तथ्य भी पेश करने को कहा।

गौरतलब है कि चारधाम आल वेदर रोड को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाई पावर कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में दो दर्जन से अधिक सदस्य शामिल है। हाई पावर कमेटी के सदस्यों के बीच चारधाम रोड के चौड़ीकरण को लेकर भारी मतभेद देखे गए हैं। हाई पावर कमेटी के चेयरमैन रवि चोपड़ा व अन्य सदस्यों के बीच कई बार तनातनी भी हो चुकी है। चोपड़ा ने अपनी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट में सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर रखने की बात कही थी।

संस्था ने दिसंबर महीने में पर्यावरण व हिमालयी इलाके में ऑल वेदर रोड के निर्माण से हो रहे नुकसान का हवाला देते हुए जनहित याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में नौ बार सुनवाई हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों धनंजय वाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत व विक्रम सिंह की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है।

सोमवार से शुरू हुई सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।

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