कार्बेट में घायल बाघिन का डॉक्टर के पैनल ने सर्जरी से किया इनकार
अपने ही शावकों को खा गयी थी बाघिन
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की कालागढ़ रेंज में शिकारियों के जाल में फंसी बाघिन को अब जिंदगी भर शरीर में दफन स्नार्ट के साथ रहना होगा। विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों के एक पैनल ने कहा है कि सर्जरी से जांच के बाद बाघिन की जान खतरे में है।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व दुनिया में बाघों के मुक्त आवागमन के लिए जाना जाता है। मई में शिकारियों के चंगुल में एक बाघिन के फंसने की बात सामने आने के बाद वन विभाग के अधिकारी सकते में आ गए थे ।
विभाग में इस बात को लेकर हड़कंप मच गया था कि इस इलाके में शिकारी कहां से सक्रिय हो गए l
उत्तराखंड वन विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि बाघिन की सर्जरी को लेकर देश के जाने-माने पशु चिकित्सकों का एक पैनल गठित किया गया था। जिसकी रिपोर्ट मुख्यालय को मिल गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर फिलहाल बाघिन का ऑपरेशन किया जाता है तो उसकी जान को खतरा हो सकता है।
डॉ. सिन्हा ने कहा, “बाघिन को रेस्क्यू सेंटर से वन क्षेत्र में कब छोड़ा जाएगा, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता, हालांकि बाघिन पूरी तरह से स्वस्थ है और सामान्य जीवन जी रही है।
बाघिन के पेट में फंसे तार को हटाने के लिए वन विभाग द्वारा विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों का एक पैनल बनाया गया था।
पैनल में जीबी पंत विश्वविद्यालय के सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ के के दास, डॉ पराग निगम और एचओडी डॉ. प्रदीप मलिक, वन्यजीव स्वास्थ्य प्रबंधन विभाग शामिल हैl
कॉर्बेट के निदेशक डॉ. धीरज पांडे ने बताया कि बाघिन को डॉक्टरों की निगरानी में ढेला के बचाव केंद्र में रखा गया है।
अधिकारी ने कहा, ‘बाघिन की उम्र करीब सात से आठ साल है. बाघिन को उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ा जाएगा या नहीं, इसका फैसला उच्च स्तरीय मंथन के बाद किया जाएगा।
गौरतलब है कि रेस्क्यू सेंटर में ही बाघिन ने जुलाई में तीन शावकों को जन्म दिया था, लेकिन जन्म देने के पांचवें दिन बाघिन ने खुद तीनों शावकों को खा लिया।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के इतिहास में यह पहली बार है जब इस तरह की दुर्लभ घटना दर्ज की गई।
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