हाईकोर्ट ने सरकार से मानव-वन्य जीव संघर्ष रोकने के लिए किये गए उपायों पर दो सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
अविकल उत्तराखण्ड
अल्मोड़ा/नैनीताल। एक ओर गुरुवार की दोपहर नैनीताल हाईकोर्ट प्रदेश में बढ़ रहे मानव वन्य जीव संघर्ष के बाबत सरकार से जवाब तलब कर रही थी, तो दूसरी तरफ गुरुवार की ढल रही शाम को गुलदार ने एक और मासूम को निवाला बना लिया।
यह दुखद खबर अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी ब्लॉक के क्वैराली गांव से आईं। स्थानीय निवासी रमेश सिंह का 11 वर्षीय पुत्र आरव सिंह को घर के आंगन से होकर दूसरे कमरे में जा रहा था। इसी बीच, पास ही घात लगाकर बैठे गुलदार ने बच्चे पर हमला कर जंगल की ओर ले गया।
शोर मचाने पर गांव वाले गुलदार के पीछे भागे। घटनास्थल से करीब 50 मीटर दूरी पर आरव का क्षत-विक्षत शव मिला। आरव प्राथमिक स्कूल नैनी में कक्षा 5 में पढ़ता था।
उल्लेखनीय है कि 22 नवंबर को पौड़ी जिले के पाबौ ब्लॉक में गुलदार ने एक मासूम को निवाला बना लिया था। इस गुलदार को अब पिंजरे में कैद कर लिया गया है।
The High Court surrounded the government on human-wildlife conflict, on the other hand, Guldar took the life of an innocent
हाईकोर्ट ने सरकार से किया सवाल- मानव-वन्य जीव संघर्ष रोकने के लिए क्या किया
नैनीताल। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को मानव – वन्य जीव संघर्ष रोकने के लिए अब तक किये गए उपायों पर दो सप्ताह के अंदर रिपोर्ट पेश करें। सरकार को विशेषज्ञ की अध्यक्षता में कमेटी बनाने के निर्देश भी दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने पौड़ी गढ़वाल की सामाजिक कार्यकर्ता अनु पंत की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रत्येक दो सप्ताह में एक्सपर्ट्स से वार्ता की जाए। इस मुद्दे पर अब अगली सुनवाई 27 अप्रैल 2023 को होगी।
याचिका में कहा गया है कि प्रदेश में हर साल गुलदार के हमले में लगभग 60 लोग मारे जाते हैं। 2020 में तेंदुए के हमले में 30 लोग मारे गए थे, जबकि 85 लोग घायल हुए थे। याचिकाकर्ता के अनुसार इससे पहाड़ों में पलायन भी बढ़ रहा है। पलायन आयोग ने भी माना है कि 2016 में जंगली जानवरों के हमले में छह प्रतिशत लोग को गांव छोड़ने पर मजबूर हुए।
हाईकोर्ट के निर्देश
1- नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रमुख वन संरक्षक की अध्यक्षता में दो सप्ताह के भीतर एक समिति गठित करने के निर्देश दिए.
2- समिति में इस क्षेत्र में व्यवहारिक अनुभव रखने वालों के अलावा उन लोगों को भी शामिल करें जहां मानव वन्य जीव संघर्ष बड़े पैमाने पर होते हैं। इनमें रामनगर, कोटद्वार व अन्य पहाड़ी क्षेत्र शामिल हैं।
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