Education- अब दून के चिंता शिविर में झलकी राजकीय शिक्षकों की चिंता

दून में आयोजित दो दिवसीय चिंता शिविर में शिक्षकों ने कई लंबित मसलों पर किया मंथन

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। एक तरफ धामी सरकार का पूरा सरकारी अमला प्रदेश के विकास को लेकर तीन दिन तक मसूरी के चिंतन शिविर में मसरूफ था तो दूसरी तरफ दून के मालदेवता में शिक्षक अपने चिंता शिविर में अपने ही लंबित मुद्दों पर उलझे हुए थे। शिक्षकों के दो दिवसीय इस चिंता शिविर का भी गुरुवार को हो समापन हुआ।

राजकीय शिक्षक संघ एससीईआरटी शाखा के अध्यक्ष डॉ अंकित जोशी की अध्यक्षता में आयोजित चिंता शिविर में शिक्षक हितों के विभिन्न अनसुलझे मुद्दों पर चिंता व्यक्त की गयी ।


चयन पर वेतन वृद्धि का वेतन आयोग की संस्तुति के बावजूद शिक्षकों को न मिल पाना

इस मुद्दे पर शिक्षकों का मानना है कि चयन पर एक वेतन वृद्धि शिक्षकों को मिलनी चाहिए । विभाग ने पहले चयन पर शिक्षकों को वेतन वृद्धि दी ही इसलिए क्योंकि इसका स्पष्ट प्रावधान है, इसीलिए लगभग सभी जनपदों के अधिकारियों ने चयन पर वेतनवृद्धि दी और अब वसूली के फ़रमान जारी कर दिए । शिक्षकों का मानना है कि नियमानुसार विभाग को अपने पहले रुख़ पर क़ायम रहना चाहिए और तत्काल वसूली के आदेश पर रोक लगानी चाहिए ।

शिक्षकों के साथ यात्रा अवकाश


ऐसा ही कुछ शिक्षकों के साथ यात्रा अवकाश के मसले पर भी हुआ । उच्च शिक्षा में तो यात्रा अवकाश आज भी देय है जबकि विद्यालयी शिक्षा में समाप्त कर दिया गया है ।
एससीईआरटी और डायटों हेतु शिक्षक शिक्षा संवर्ग का गठन भारत सरकार के दिशा निर्देश के अनुरूप होना चाहिए जिससे गुणवत्ता सर्वेक्षण हेतु जवाबदेह इन संस्थानों की स्वयं की गुणवत्ता बढ़े, इन संस्थानों द्वारा प्रदान किए जाने वाले प्रशिक्षण अधिक प्रभावी हो सकें ।

स्थानांतरण नीति


हरियाणा की स्थानांतरण नीति के स्थान पर स्थानांतरण अधिनियम में ही संशोधन करते हुए पिछले कोटिकरण को व्यावहारिक बनाते हुए समाहित किया जाए तब ऑनलाइन स्थानांतरण किए जाएं जिससे प्रदेश में ऐसी निष्पक्ष एवं पारदर्शी स्थानांतरण व्यवस्था का विकास हो सके जिसमें सेंधमारी की कोई भी गुंजाइश न रहे । स्थानांतरण नीति में सेंधमारी की संभावना अधिक है क्योंकि नीति का क़ानूनन आधार अधिनियम से कमजोर होता है ।
अकादमिक प्रशासनिक संवर्ग संबंधी शासनादेश को निरस्त किया जाना चाहिए व शिक्षकों तथा प्रधानाध्यापक एवं प्रधानाचार्यों को इन पदों पर पदोन्नत किया जाना चाहिए ।

समयबद्ध पदोन्नतियाँ न हो पाना


विभाग में समयबद्ध पदोन्नतियाँ न हो पाना शिक्षकों की सबसे बड़ी चिंता रही ।एलटी से प्रवक्ता पद पर 2269 पदों पर पदोन्नतियाँ न हो पाने से न केवल शिक्षकों का अहित हो रहा है बल्कि स्कूली शिक्षा उत्तराखंड में अध्ययनरत छात्र छात्राओं का भविष्य भी चौपट हो रहा है ।उत्तराखंड के राजकीय इण्टर कॉलेजों में 1386 प्रधानाचार्यों के पद हैं जोकि पदोन्नति के पद हैं तथा 912 हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक के पद भी पदोन्नति के हैं । हाई स्कूल व इण्टरमीडिएट दोनों ही स्तरों पर पदोन्नति के इन पदों में से 70 प्रतिशत से अधिक पद वर्तमान में रिक्त चल रहे हैं ।

प्रभारी प्रधानाचार्य व्यवस्था से शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर

विद्यालयों में प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक के कार्यों का दायित्व वरिष्ठ शिक्षकों द्वारा प्रभारी के रूप में निर्वहन किया जा रहा है, जिससे ऐसे शिक्षकों की शिक्षण की कार्यक्षमता पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है । इन कारणों से शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आ रही है जिसकी पुष्टि राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2021 और पीजीआई इंडेक्स 2020-21 में उत्तराखंड की कमजोर स्थिति कर रहा है । पीजीआई इंडेक्स भी उत्तराखंड शिक्षा विभाग के शासकीय प्रबंधन को कमजोर इंगित कर रहा है, जिसमें कि उत्तराखंड ने 360 में से 170 अंक अर्जित किए हैं ।

Now the concern of state teachers reflected in Doon’s anxiety camp

पदोन्नति के रिक्त पद भरे जाएं


पदोन्नति के रिक्त पदों को भरने का एक ही समाधान है कि विभाग वरिष्ठता का निर्धारण करने का निर्णय लेकर तत्काल पदोन्नतियां शुरू कर दे ।प्रवक्ता के पदों पर विभाग सरकार को अतिथि शिक्षकों को रखने का अस्थायी समाधान का सुझाव दे रहा है जबकि यह सभी के लिए अन्यायपूर्ण होगा । छात्र-छात्राओं के साथ, शिक्षकों के साथ और अतिथि शिक्षकों के साथ भी ।

कुछ सालों बाद जब अतिथि शिक्षक इन पदों पर नियमित होने का दावा करेंगे तो इसमें भी क़ानूनी अड़चन आएगी । पदोन्नति के पदों पर अस्थायी नियुक्ति को नियमित करने के लिए फिर से नियमावली में संशोधन की आवश्यकता होगी और एक नये विवाद का जन्म होगा । सभी शिक्षकों ने विभाग की अनिर्णयता पर एक स्वर में चिंता व्यक्त की और आशंका व्यक्त की कि कहीं न कहीं विभाग स्वयं रूटीन समस्याओं पर भी निर्णय न लेकर मामलों को न्यायालयों की शरण में डालता है ।

कोर्ट में लंबित वाद से समस्या बढ़ी

शिक्षकों का मानना है कि आख़िर कौन सा ऐसा विभाग है जिनके मामले न्यायालय में लंबित हों लेकिन अन्य विभागों के अधिकारी इसके बावजूद निर्णय लेते हैं जबकि शिक्षा विभाग में मामला न्यायालय में लंबित है बोलकर अनिर्णयता को पोषित किया जा रहा है । यदि विभाग वरिष्ठता के मसले पर निर्णय ले कर पदोन्नति कर देता और असंतुष्ट व्यक्ति न्यायालय जाता तो बात समझ आती है लेकिन वरिष्ठता का निर्धारण किए बिना ही विभाग का न्यायालय की शरण में जाना जानबूझ कर मसले को लंबित करना प्रतीत होता है ।


दो दिवसीय चिंता शिविर में सुरजीत कंडारी,मक्खन लाल शाह, मनोज किशोर बहुगुणा, विनोद मल्ल ब्लॉक मंत्री नौगाँव उत्तरकाशी, राजेश गैरोला संगठन मंत्री रायपुर ब्लॉक, आलोक रौथान ब्लॉक मंत्री रायपुर, विनय थपलियाल, मक्खन लाल शाह, भुवनेश पंत, रमेश पंत, नरेश जमलोकी, ओम प्रकाश सेमवाल,हरीश बड़ोनी, रंजन भट्ट, राकेश गैरोला, दिवाकर पैन्यूली, आदि उपस्थित रहे ।

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