चारधाम- धामी का विरोध करेंगे लेकिन मोदी से गुफ्तगू की जुगत

पीएम मोदी 5 नवंबर को आएंगे केदारनाथ

चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महापंचायत समिति त्रिवेंद्र के बाद सीएम धामी के घोर विरोध करेंगे तीर्थ पुरोहित

आज से चारों धाम में फिर से शुरू होगा आंदोलन

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र को दिखा चुके हैं काले झंडे

सीएम धामी पर वादाखिलाफी का आरोप

धामी ने 30 अक्टूबर तक देवस्थानाम बोर्ड भंग करने का दिया था भरोसा

अविकल उत्त्तराखण्ड

केदारनाथ। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के विरोध के बाद अब तीर्थ पुरोहित सीएम पुष्कर सिंह धामी का केदारनाथ आगमन पर घोर विरोध करेंगे। लेकिन पीएम मोदी से वार्ता की कोशिश करेंगे। महापंचायत के इस फैसले के बाद पीएम मोदी के 5 नवंबर के केदार दौरे को लेकर सरगर्मी बढ़ गयी है।

महापंचायत का कहना है कि केदार के पुनर्निर्माण में स्थानीय लोगों से सलाह मशविरा किये बगैर जगह जगह तोड़ फोड़ की जा रही है। पीएम मोदी से इस सबन्ध में वार्ता की कोशिश की जाएगी।

मंगलवार से चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महापंचायत समिति नये सिरे से आंदोलन शुरू करने जा रही है। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सीएम धामी ने अपने वादे के मुताबिक चारधाम देव स्थानाम बोर्ड को भंग न कर वादाखिलाफी की है।

हाईपावर कमेटी के सदस्य लक्ष्मी प्रसाद जुगरान का कहना है कि 11 सितम्बर को सीएम आवास में हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने 30 अक्टूबर तक चारधाम देवस्थानाम बोर्ड को भंग करने का वादा किया था। यही नहीं 5 अक्टूबर को केदारनाथ आने पर भी उन्होंने उचित हल निकालने की बात कही थी।

चारधाम देवस्थानाम बोर्ड के मुद्दे पर गठित हाईपावर कमेटी में बद्रीनाथ धाम से शामिल किए गए सदस्यों पर भी महापंचायत को गहरी आपत्ति है। महापंचायत का कहना है कि 11 सितम्बर की बैठक में चारों धाम से 2-2 तीर्थ पुरोहितों को कमेटी में शामिल करना था। लेकिन महापंचायत की ओर से दिए गए नामों को दरकिनार कर बद्रीनाथ धाम से दो के बजाय तीन सदस्य रख दिये गए।

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के केदारधाम में जमकर विरोध हुआ

महापंचायत के पदाधिकारी इस बात से भी नाराज है कि हाईपावर कमेटी के अध्यक्ष मनोहरकान्त ध्यानी ने बिना कोई मीटिंग बुलाये ही सरकार को रिपोर्ट सौंप दी। यही नहीं, रिपोर्ट सौंपने के बाद 25 अक्टूबर को हाईपावर कमेटी के सदस्यों के नाम की अधिसूचना जारी की गई।

महापंचायत ने 11 सितम्बर को दिया था पत्र

महापंचायत का यह भी कहना है कि चारधाम यात्रा में ई पास की जिम्मेदारी देवस्थानाम बोर्ड को दी गयी। जिससे हजारों यात्रियों को परेशानी हुई और उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। सरकार के इस फैसले से चारधाम रूट में काम कर रहे लोगों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा।

हाई पावर कमेटी ने रिपोर्ट पहले सौंप दी और सदस्यों के नाम का आदेश 25 अक्टूबर को निकाला। रिपोर्ट सौंपने से पहले कमेटी की।कितनी बैठकें हुई इस पर भी संशय बना हुआ है। कई सदस्यों को उनको कमेटी में शामिल किए जाने की आधिकारिक सूचना भी नही मिली

इधर, 1 नवंबर को पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, मंत्री धन सिंह रावत, मदन कौशिक व मेयर सुनील उनियाल गामा को केदार धाम में काले झंडे दिखाए गए। महापंचायत के उग्र आंदोलन को देखते हुए प्रशासनिक मशीनरी के पीएम मोदी के दौरे को लेकर हाथ पांव फूले हुए हैं।

महापंचायत का कहना है कि देव स्थानाम बोर्ड को भंग करते हुए चारों धाम में 21 नवंबर 2019 से पहले की स्थिति बहाल की जाय।

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