कोरोना…पहाड़ी छोरा… मोबाइल…जंगल..पुलिस..5 घण्टे और फिर….

6 सितम्बर 2020 -घर से निकले कीर्तिखाल के पहाड़ी छोरे की कहानी

अविकल उत्त्तराखण्ड

गुमखाल, पौड़ी गढ़वाल। रहस्य, रोमांच,घबराहट ..मुस्तैदीऔर दहशत की यह सच्ची कहानी कुछ ऐसी है-
रविवार, दोपहर 1 बजे के लगभग। कोटद्वार के मित्र व अधिवक्ता अवनीश नेगी का व्हाट्सएप्प meesege आता है। मैसेज पढ़कर गुस्सा भी आया और आश्चर्य भी हुआ कि उत्त्तराखण्ड के गांव से भी युवा जरा सी बात पर घर छोड़ दे रहे हैं।

छोरा प्रियांशु व गुमखाल पुलिस

सूचना में लिखा था कि कीर्तिखाल निवासी 12वीं class का प्रियांशु रावत मोबाइल खेल रहा था। घर वालों ने डांटा तो वह लगभग 10 बजे घर छोड़कर भाग गया। कहाँ गया किधर गया कुछ पता नही। पहाड़, जंगल पता नही किधर निकल गया। मैसेज के साथ प्रियांशु की फ़ोटो भी लगी थी। घर वालों की सांसे अटकी। तलाश में इधर उधर भागने लगे।

यह भी पता चला उसको गुमखाल में देखा गया लेकिन उसके बाद नही दिखा। मैसेज पढ़ते ही मैंने 1.10 पर तत्काल DM पौड़ी धीराज गर्ब्याल और ASP प्रदीप राय को farward कर दिया। अगले ही पल दोपहर 1.11बजे whatsapp पर DM गर्ब्याल जी का संदेश उभरा…कोई मोबाइल नंबर? मैंने अवनीश से कोई contact नंबर मांगा। थोड़ी देर में परिजनों से जुड़े तीन मोबाइल नंबर मिले और उन्हें DM साहब को फारवर्ड कर दिए। प्रशासन तत्काल एक्शन में आया। गुमखाल पुलिस चौकी को फ़ोन किये गए। घर से निकले प्रियांशु की तलाश में गुमखाल की पुलिस पार्टी लगा दी गयी।

घर से निकलते ही कुछ देर चलते ही…प्रियांशु रावत के बारे में यह संदेश वायरल हो गया।

दरअसल, प्रियांशु का मोबाइल on था और वह गुमखाल से जंगल के बीच होते हुए कोटद्वार की ओर बढ़ रहा था। एएसपी प्रदीप राय के निर्देश पर गुमखाल पुलिस चौकी प्रभारी सिरसवाल ने प्रियांशु का मोबाइल को सर्विलांस पर लगवा दिया।

देहरादून से प्रियांशु की मोबाइल लोकेशन पर नजर रखी जा रही थी। और पल पल की खबर तलाशी अभियान में जुटी पुलिस को दी जा रही थी। गुमखाल पुलिस सड़क व जंगल के रास्ते मोबाइल की लोकेशन तक पहुंचने की जुगत में थी। प्रियांशु सड़क मार्ग के अलावा बीच बीच में चीड़ के जंगल की पगडंडियों का सहारा भी ले रहा था।

करीब 3 घंटे की मेहनत के बाद पुलिस ने देवीखाल के पास ग्राम कैथला में प्रियांशु को ट्रेस कर लिया। प्रियांशु करीब 15 किलोमीटर पैदल चल चुका था।अब बीच जंगल में पुलिस सीधे प्रियांशु के सामने खड़ी थी। बादल-बारिश और कोहरे के बीच जंगल जंगल करते हुए कोटद्वार जा रहा प्रियांशु पल भर को अवाक रह गया। वह समझ ही नही पाया कि पुलिस उस तक कैसे पहुंच गई। जॉगिंग ट्रैक पहनकर निकले प्रियांशु के सामने घर वापसी का ही रास्ता बचा था।

गुमखाल बाजार से कोटद्वार की तरफ जाते हुए दो रास्ते आते हैं। बायीं ओर lansdown और दायीं तरफ कोटद्वार का रास्ता। बोर्ड में साफ लिखा है। प्रियांशु दायीं ओर कोटद्वार के लिए निकला। लेकिन वह गुमखाल से सतपुली की तरफ नही गया। उस रुट पर वह आसानी से ट्रेस हो जाता।

लेकिन पुलिस-प्रशासन के त्वरित एक्शन और आधुनिक तकनीक सर्विलांस से गुस्सेबाज पहाड़ी छोरा धर लिया गया। गुमखाल चौकी लाया गया। फुटवा खिंची और घर वालों के सुपुर्द कर दिया गया।

3.42 पर DM गर्ब्याल जी का संदेश आता है कि लड़का मिल गया उसे गुमखाल पुलिस चौकी ला रहे है। यह संदेश गुमखाल पुलिस ने DM साहब को भेजा था।

कुछ देर बाद प्रियांशु की गुमखाल के मुस्तैद पुलिस कर्मियों के साथ फोटो भी आ गयी।परिजनों के अलावा सभी ने राहत की सांस ली।

पुलिस-प्रशासन की चुस्ती से कोई अनहोनी होने से बच गयी। लड़का कहीं भी छलांग लगा सकता था। इधर पहाड़ उधर खाई।

लेकिन कोरोना के गंभीर संकट के समय 6 सितम्बर 2020 की उत्त्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल की यह घटना यह भी सोचने को मजबूर कर गयी कि एक डांट पर युवाओं में इतना बड़ा कदम उठाने का दुस्साहस आखिर कहां से आ रहा है। शांत पहाड़ में ऐसे नखरीले छोरे छोरियों की संख्या बढ़ना एक नया सामाजिक खतरा भी बनता जा रहा है। वैसे अंत भला तो सब भला। शुक्रिया पौड़ी जिला प्रशासन शुक्रिया।

शुक्रिया, DM पौड़ी, ASP प्रदीप राय व गुमखाल की सतर्क पुलिस।

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