आसान नहीं कामरेड कमला राम नौटियाल हो जाना: समर भंडारी


पुण्य तिथि पर किये गए याद कामरेड नौटियाल

उत्तरकाशी/देहरादून। कामरेड समर भंडारी ने कहा कि कामरेड कमला राम नौटियाल अदभुत जीवट के इंसान थे. उनके पास जनसाधारण की स्थितियों को संघर्ष से बेहतर बनाने का हठ था. जनसंघर्षों – जनांदोलनों से उभरे कम्युनिस्ट नेता का हमारे बीच से जाना अपूर्र्णीय क्षति नहीं है बल्कि सही मायनों में देखा जाय तो ऐसी क्षति है जिसकी भरपाई मौजूद हालात में दूर दूर तक दिखाई नहीं देती. निसंदेह कामरेड नौटियाल कम्युनिस्ट आन्दोलन के गौरवशाली विरासत के सच्चे प्रतिनिधि थे. यह कहना है भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव उत्तराखंड का० समर भंडारी का.

उन्होंने बताया कि कमला राम नौटियाल के कदम जनसंघर्षों के हर महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर पड़े हैं. किसानों के आन्दोलन, वनों के आन्दोलन और जनता के उन पर हक़ हकूकों की बहाली की ऐतिहासिक लड़ाई.

प्रगतिशील मंच के अध्यक्ष आर्किटेक्ट कृष्णा कुरियल ने बताया कि कोविड के नियमो का पालन करते हुए मंच बिगत वर्ष से यह कार्यक्रम ऑनलाइन कर रहा है और काम्रैड नौटियाल के विचारो को आगे बदने का कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि बिगत वर्षों में प्रगतिशील मंच द्वारा उत्तराखंड में उल्लेखनीय कार्य करने वाली हस्तियों ,चिकित्सकों , छात्र छात्राओं, पत्रकारों, नेताओ, आदि को सम्मानित किया जाता रहा है। उन्होंने सम्हारो में सभी वक्ता अतिथियों का स्वागत किया।

कार्यक्रम की शुरुआत उत्तराखंड की माशूर शास्त्रीय संगीत गायिका श्रद्धा पांडेय द्वारा बंकिमचंद्र चैटरजी के “वन्दे मातरम” गीत से किया गया।

उत्तराखंड भाषा संस्थान के सदस्य तथा वरिष्ठ लेखक महावीर रंवालता ने कहा की उत्तरकाशी की बात की जाए तो सत्तर से लेकर नब्बे का दशक वहां बेहद उथल-पुथल भरे समय के रुप में याद किया जा सकता है। सहसा विश्वास करना काफी मुश्किल हो जाता है कि समय के इस शांत दौर में पहाड़ के इस छोटे से कस्बे में महंगाई,शोषण, अत्याचार, मजदूर ,किसान व आमजन के पक्ष में आवाज उठी होगी। इस आवाज के सूत्रधार कामरेड कमला राम नौटियाल रहे।तिलोथ कांड,धरासू कांड जैसे कृत्य तत्कालीन सता व व्यवस्था के चेहरे उजागर करते हैं।कमला राम नौटियाल सदैव इनके पक्ष में खड़े होकर जीते जी तक इनकी आवाज बने रहे।अनेक बार जेल यात्राएं की, यातनाएं सही।

कामरेड कमला राम नौटियाल ने उतरकाशी का शायद ही कोई गांव छोड़ा हो जहां अपना लाल झंडा न लहराया हो। उनके साथी कार्यकर्ता उन्हें आज भी बड़े आदर के साथ उनके अद्भुत संघर्ष व शोषित लोगों के प्रति गहरे जुड़ाव व संवेदना के लिए याद करते हैं।इतना ही साहित्य व कला के प्रति उनमें गहरा लगाव व सम्मान रहा। सही मायने में कहा जाए तो उन्होंने सीमांत जनपद उतरकाशी को संघर्ष के तीर्थ के रुप में स्थापित किया।
मंच के संरक्षिका – श्रीमती कमला नौटियाल ने मंच के अध्यक्ष श्री के० सी० कुडियाल, संयोजक श्री आशीष थपलियाल, अंतर राष्ट्रीय समन्वयक श्री राजेश नौटियाल एवं तृप्ति गैरोला, श्रीमती श्रद्धा पाण्डेय, श्री जय प्रकाश राणा, सचिव नविन पन्युली, क्षेत्र पंचायत सदस्य दीपक नौटियाल, वन्दना गोयल, सी० ई० ओ०, जी० जी०, अर्थ शास्त्री – अंजन चक्रबर्ती, डा० त्रिभुवन, श्रीमती मंजू नौटियाल. पवन नौटियाल, और वक्ताओं का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर आशीष थपलियाल द्वारा किया गाया। कार्यक्रम में देश विदेश के लगभग १०० से अधिक लोगों ने शिरकत की।

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