कोरोना कर्फ्यू के पहले दिन ने 2020 की कडुवी यादों को कर दिया ताजा
अविकल उत्त्तराखण्ड
… फिर वही दिन। 2021 के कोविड काल का पहला कर्फ्यू। दुकानों के शटर गिरे। सन्नाटा। गलियों में टहलते लोग। सड़क पर पुलिस के वाहन
लाउडस्पीकर से लोगों को चेताते हुए। कहीं-कहीं बैरिकेडिंग कर वाहनों की जांच । और जो दुपहिया ले सड़क पर तफरीह के लिए निकल आये उन्हें पुलिस किनारे खड़ा करती हुई।
2020 के मार्च महीने से लगे कर्फ्यू के सीन ताजा हो गए। सरकारी मशीनरी स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए रविवार को सिर जोड़कर बैठी रही। आदेश जारी हुए। संक्रमितों को कोविड किट दिए जाएंगे। अस्पतालों की मौजूदा हकीकत का जायजा भी लिया गया।
उत्त्तराखण्ड आंदोलन में पहली बार करफू की मार झेल चुकी पहाड़ की जनता 2020 के कोरोना कर्फ्यू को देख जीना सीख गई। आम जन घरों और छतों पर देखे गए। घंटाघर से राजपुर रोड का नजारा आम दिनों से अलग नजर आया।
हालांकि, NDA परीक्षा की वजह से निजी वाहनों को नहीं छेड़ा गया। इस लिहाज से सड़क पर अन्य दिनों से काफी कम वाहन भी नजर आए। लेकिन होटल, ढाबे पूरी तरह बन्द होने से परीक्षार्थियों व अभिभावकों को परेशानी भी झेलनी पड़ी। कर्फ्यू की वजह से घरों में खांस रहे कई मरीज दवा के लिए बाहर नहीं निकल सके। किसी जानकार से दवाखाने से दवाई लाने की मनुहार भी खूब हुई। इक्का दुक्का सब्जी व रद्दी लेने वाले गलियों की ओट में कमाई की जुगत में जुटे रहे।
एक दिन की इस बंदी में भूख से व्याकुल लावारिस डॉग्स बेचैन दिखे। दिन गुजरते ही ये व्याकुल डॉग्स गली मुहल्लों से गुजर रहे वाहनों पर भौंकते हुए दूर तक पीछा करते देखे गए। आने वाले कल में अगर कोरोना संक्रमण काबू में नही आया तो लावारिस जानवरों का भोजन प्रबंध 2020 की तरह फिर एक चुनौती पेश करेगा।
चूंकि, 2021 के इस पहले कोविड कर्फ्यू में प्रशासन ने कोई अतिरिक्त शक्ति नहीं बरती लेकिन उत्त्तराखण्ड को बीते साल की पूरी कहानी याद आ गयी।
सांझ ढलते ही पहले कर्फ्यू के निस्तेज हो चुके सूरज ने स्वंय को शाखों व बिल्डिंग की ओट में कर लिया। शराब की दुकान बंद होने के कारण शौकीन लोग सूरज छिपते ही दो पेग के लिए दोस्तों के मोबाइल की घण्टियाँ बजाने लगे। आने वाले कल की नजाकत को देखते हुए सुरापान के मतवाले पहले ही स्टॉक जमा करने की बात भी करते दिखे। 2020 के एकदम लगे लॉकडौन में शौकीन लोगों के दिलों पर बहुत बुरी बीती थी। लॉकडौन खुलते ही शराब की दुकानों के बाहर कई किलोमीटर लंबी लाइन लग गयी थी। ये मंजर कभी भुलाया नहीं जा सकता।
बीते 48 घण्टे में हुई बारिश व बर्फबारी के असर अंधेरा घिरते ही नजर आने लगा। फरफराती हवा ने बदली ठंडक का अहसास कराया। कर्फ्यू के दिन 12 संक्रमितों की मौत ने फिर बेचैनी बढाई। शादियों के कैंसिल होने की खबर ने अहसास करयां की 2021 की डगर 2020 से भी कठिन है। कोरोना की इस दूसरी लहर व कर्फ्यू के पहले दिन ने एक बार फिर पुरानी दास्तां सुना दी …..क्यों भुला चैतू…
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