कार्यालय खोलने पर कर्मचारी संघ नाराज,कहा कोरोना फैलने का खतरा

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की ऑनलाइन बैठक में देहरादून में कर्फ्यू के बावजूद आफिस खोलने पर जतायी हैरानी

बोले, देहरादून में ही हैं अधिकतर आफिस। डीएम दून के आदेश पर तीखी प्रतिक्रिया

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। सरकार के लभी कार्यालय बन्द करने और फिर खोलने के मुद्दे पर ताजी कर्मचारी संयुक्त परिषद ने गहरा रोष जताया।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के कार्यकारी महामंत्री अरुण पांडे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि आज परिषद की हाई पावर कोर कमेटी की एक ऑनलाइन आपात बैठक की गई. बैठक में कोविड-19 महामारी के बढ़ते प्रकोप पर राज्य कर्मियों के लिए सरकार व प्रशासन द्वारा लिए गए निर्णयों पर चर्चा की गई.


बैठक में इस बात पर आश्चर्य जताते हुए रोष व्यक्त किया गया कि एक तरफ जहां देहरादून के विभिन्न क्षेत्रों में जिलाधिकारी द्वारा कोविड-19 के प्रभाव को रोकने के लिए कर्फ्यू लगाया गया है, वहीं दूसरी ओर राज्य के कर्मियों को कार्यालय आने के लिए निर्देशित किया गया है। यह सर्वविदित है कि देहरादून में ही अधिकांश राज्य अथवा केंद्र के कार्यालय स्थापित है।

यदि उन कार्यालयों में कार्मिक अपनी उपस्थिति देने लगेंगे तो अवश्य ही इन स्थानों पर कोविड के फैलने की अपार संभावनाएं हैं। बैठक में इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया गया कि एक तरफ देहरादून व आसपास के चिकित्सालयों में गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए स्थान नहीं मिल रहा है वहीं दूसरी ओर यदि प्रदेश के कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति के कारण उनके संक्रमित होने से बड़ी संख्या में रोगी अस्पतालों की ओर दौड़े तो फिर ऐसे स्थित में उसको संभालना असंभव हो जाएगा, किंतु राज्य सरकार के अधिकारी इन सब से आंख मूंदकर अनावश्यक रूप से कार्यालय खोलकर कोविड-19 के संक्रमण को बढ़ावा देने में अपना योगदान कर रहे हैं।

शासन के निर्णय के बाद देहरादून के डीएम ने दिए कार्यालय खोलने के आदेश


बैठक में इस बात पर भी रोष व्यक्त किया गया कि माह जनवरी से ही कार्मिकों एवं पेंशन धारकों से गोल्डन कार्ड की कटौती प्रारंभ कर दी गई है किंतु उस गोल्डन कार्ड का कोई भी लाभ प्रदेश के कार्मिकों व पेंशन धारकों को प्राप्त नहीं हो रहा है। यहां तक की वह अस्पताल भी इलाज करने से मना कर दे रहे हैं जिन की सूची राज्य स्वास्थ्य अभिकरण द्वारा जारी की गई है। ऐसी स्थिति में मांग की गई कि या तो गोल्डन कार्ड की व्यवस्था तत्काल सुधारी जाए अन्यथा की स्थिति में माह अप्रैल के वेतन से गोल्डन कार्ड की कटौती बंद कर दी जाए।

प्रभारी सचिव पंकज पांडेय ने 28 अप्रैल को दो आदेढ़ किये। पहला कार्यालयों को 1 मई तक बन्द रखने का फैसला। और दूसरा, कार्यालयों को 29 अप्रैल से खोलने सम्बन्धी आदेश। इस रौलबैक से शासन को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म भी बहुत है।

बैठक में यह भी मांग की गई कि राज्य के उन कार्मिकों को 50 लाख के बीमे का कवर प्रदान किया जाए जोकि आवश्यक सेवा के अंतर्गत आने वाले विभागों में अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं। क्योंकि वर्तमान में तमाम सारे विभागों में आवश्यक सेवा के कारण कार्मिकों को अपनी सेवा पर उपस्थित होकर कार्य करना पड़ रहा है एवं उनमें से बड़ी संख्या में कार्मिक संक्रमित होकर उससे प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही उनके संक्रमित होने के कारण उनके परिवार में भी संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।

बैठक में माननीय मुख्यमंत्री जी से यह मांग की गई कि वर्तमान में बढ़ रहे कोविड-19 संक्रमण के दृष्टिगत प्रदेश के समस्त राज्य के राजकीय कार्यालय कम से कम 10 दिन के लिए बंद किए जाएं क्योंकि वैज्ञानिक आधार पर यह तथ्य स्थापित हुआ है कि कॉविड का संक्रमण 14 दिन के बाद ही नीचे आना शुरू होता है।इस तथ्य के दृष्टिगत कम से कम 14 दिन नियमानुसार लगातार कार्यालय बंद रखे जाने पर ही इस चेन को तोड़ा जा सकेगा ।आज की बैठक में ठाकुर प्रह्लाद सिंह, एनके त्रिपाठी ,अरुण पांडे ,एसपी भट्ट, जगमोहन नेगी, गुड्डी मटूरा ,आर पी जोशी ,गिरिजेश कांडपाल ,तनवीर अहमद ,पीके शर्मा , ओमवीर सिंह ,इंद्र मोहन कोठारी ,हर्ष मोहन नेगी ,कुंवर सामंत,बाबू खान इत्यादि कर्मचारी नेताओं द्वारा प्रतिभा किया गया।

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