कहीं गैरसैंण भी पौड़ी न बन जाय, तो कमिश्नर-डीआईजी बैठेंगे अपने मण्डल में?

सीएम को लेने होंगे कड़े फैसले

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। दो दिन पहले तक गैरसैंण में हुए लाठीचार्ज के मुद्दे पर सरकार पर चौतरफा हमले हो रहे थे।सीएम त्रिवेंद्र की मजिस्ट्रेटी जांच के बावजूद पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन की आग थी। इसके अलावा महंगाई व बेरोजगारी के सवाल पर भी विपक्ष आंदोलित था।

चार मार्च के बजट पेश करने के साथ ही सीएम त्रिवेंद्र ने प्रशासनिक फैसला लेते हुए गैरसैंण को तीसरी कमिशनरी बनाने की घोषणा कर दी। सरकार के इस मूव ने बजट पर होने वाली चर्चाओं पर भी थोड़ा असर डाला।

प्रदेश में बजट पर निगाहें गड़ाए लोग कमिश्नरी के मुद्दे पर उलझ गए। सीएम के इस फैसले से लाठीचार्ज के दर्द पर भी अल्प विराम लगा। हालांकि,लाठीचार्ज को लेकर आम जन बेहद गुस्से में है। लेकिन गैरसैंण के मण्डल बनने से बहस का मुद्दा फिलवक्त दूसरी दिशा में मुड़ गया है।

पौड़ी कमिशनरी को लेकर आम जनता का अनुभव बहुत ही कड़वा रहा है। कमिश्नर समेत अन्य अधिकारियों कैम्प कार्यालय देहरादून हो गया। पौड़ी से कोई सरोकार नही। कई अन्य कार्यालय देहरादून शिफ्ट हो गए। और पौड़ी कमिशनरी वीरान हो गयी। यह सब अपने राज्य के गठन के बाद ही हुआ।

हालांकि, सीएम ने कुछ समय पहले देहरादून के कमिश्नरी कैम्प कार्यालय का दौरा कर कुछ आदेश किये थे। लेकिन जमीन पर बहुत कुछ खास नहीं दिखा।

सुदूरवर्ती गैरसैंण मंडल का हाल भी कभी कहीं पौड़ी की तरह नहीँ हो जाय। लिहाजा, गैरसैंण में कमिश्नर, डीआईजी समेत अन्य आला अफसरों को नियमित तौर ओर बैठने के पुख्ता इंतजाम करने होंगे। चमोली,रुद्र प्रयाग,अल्मोड़ा व बागेश्वर के फरियादियों को अपने कमिश्नर व अन्य अधिकारियों की तलाश में न भटकना पड़े।कैम्प कार्यालय पर ताला जब तक ताला नहीं लगेगा तब तक जनता को  न्याय नहीं मिलेगा।

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सीएम त्रिवेंद्र का बड़ा ऐलान, गैरसैंण होगी प्रदेश की तीसरी कमिश्नरी

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