कुलपति डॉ पीपी ध्यानी बनाम कुल सचिव सुधीर बुढ़ाकोटी.कुलपति ने कहा, शासन नया कुलसचिव नियुक्त करे. कुलपति ने विवि के ऋषिकेश परिसर को बंद कर दिया है। इसके जवाब में कुलसचिव ने स्वंय को उच्च शिक्षा मंत्री के कार्यालय से सम्बद्ध करते हुए शासन को पत्र लिख डाला। इस नाटकीय घटनाक्रम से शासन व उच्च शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है।
कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने कुलसचिव (registrar) सुधीर बुढ़ाकोटी के अधिकारों पर लगाई रोक। 14 दिसंबर को शासन को लिखे पत्र में कुलसचिव को हटाने की सिफारिश भी की। कहा कि कुलसचिव का पद पर बने रहना विवि के हित में नही है। लिहाजा इस पद पर नई नियुक्ति की जाय। उन्होंने कुलसचिव के पूर्व के कार्यकाल की जांच की भी मांग की। दोनों अधिकारी शासन को लिख रहे लगातार खत। इस हाईप्रोफाइल घटनाक्रम से विवि के कार्यों में लगातार विपरीत असर भी पड़ रहा है। उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत की साख भी दांव पर लग गयी है।
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति पीपी ध्यानी व कुलसचिव सुधीर बुढ़ाकोटी के बीच जारी जंग एक नये मुकाम पर पहुंच गई है। इस चर्चित प्रकरण की पूरी रिपोर्ट राजभवन व शासन को भेजी गई है।कुलपति ने कुलसचिव के तमाम अधिकारों पर रोक लगाते हुए शासन से हटाने की सिफारिश की है। उधर, कुलसचिव ने शासन को लिखे 10 दिसम्बर के अपने पत्र में कुलपति की समस्त कार्रवाई का उल्लेख करते हुए स्वंय के एक बार फिर उच्च शिक्षा मंत्री कार्यालय में अटैचमेंट होने की जानकारी दी है।
श्री देव सुमन विवि (shree dev suman university) कुलपति का आरोप है कि कुलसचिव मुख्यालय में मौजूद न रहकर कैम्प कार्यालय में मौजूद रहते हैं। कुलपति ने सरकारी वाहन के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए वाहन की सुविधा भी वापस ले ली थी। कुलपति ने 14 दिसम्बर के अपने ताजे आदेश में कुलसचिव के सभी सरकारी क्रियाकलापों व विवि परिसर ऋषिकेश व गोपेश्वर के सरकारी दौरे पर भी रोक लगा दी।
कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को लिखे पत्र में कुलसचिव सुधीर बुढ़ाकोटी को हटाने की सिफारिश की है। 14 दिसंबर के लिखे पत्र में कुलपति ने कुलसचिव की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठाए।
सुधीर बुढ़ाकोटी 27 नवंबर 2011 से 22 जनवरी 2013 तक श्रीदेव सुमन विवि में कुलसचिव रह चुके हैं। दूसरी बार 18 सितम्बर 2019 से 15 जून 2020 तक कुलसचिव रहे। इसके बाद उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया था। नवंबर में फिर से कुलसचिव की जिम्मेदारी दी गयी थी। कुलपति ने 9 दिसंबर को भी कुलसचिव को नोटिस भी दिया था।
कुलपति ने कुलसचिव के पदीय दायित्वों पर उंगली उठाते हुए कार्यकाल की जांच के भी आदेश दिए हैं। 14 दिसंबर के अपने पत्र में कुलपति ने कुलसचिव के पत्र पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उक्त पत्र से प्रतीत होता है कि श्री बुडाकोटी विश्वविद्यालय कुलपति के नियंत्रणधीन न होकर प्रत्यक्ष शासन के प्रतिनिधि के रूप में स्वतंत्र इकाई के रूप में क्रियाशील हैं जो कि विश्वविद्यालय अधिनियम की मूल भावना की स्पष्ट अहवेलना है। उनका विगत कार्यकाल सप्ष्टतया परिलक्षित करता रहा है कि उनके द्वारा पूरे सेवाकाल में अपने नियंत्रक अधिकारियों की अवमानना की गई है।
उधर, कुलसचिव का कहना है कि कैम्प कार्यालय ऋषिकेश से उन्हें विवि से जुड़े निर्माण, सम्पत्ति स्वामित्व,ट्रांसफर व नियुक्ति समेत तमाम कार्य करने होते है। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को लिखे पत्र में कुलसचिव सुधीर बुढ़ाकोटी ने कहा कि 2 दिसंबर को कार्यभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने कार्यों की जानकारी लेने के बाद 4 दिसंबर से कैम्प कार्यालय ऋषिकेश से कार्यों का संपादन शुरू कर दिया था।
इस बीच, कुलपति ने मौखिक आदेश से ऋषिकेश परिसर को बंद कर दिया है। कुलपति के आदेश के बाद मैंने सरकारी वाहन भी लौटा दिया है। लिहाजा 10 दिसंबर से वे देहरादून में प्रवास करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री के कार्यालय से सम्बद्ध हैं। कुलसचिव ने इस बाबत शासन से आदेश करने का भी अनुरोध किया है।
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