डॉ अनीता रावत भाजपा सरकार में उच्च सम्पर्क के जरिये बनी थी यूटीयू की कुलसचिव, अब मूल उच्च शिक्षा विभाग में जाएंगी
हाईकोर्ट ने 17 अगस्त को कुलसचिव के काम करने पर लगाई थी रोक
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कुलसचिव पद से हटाने के किए आदेश
डॉ हरि सिंह को मिली कुलसचिव की अतिरिक्त जिम्मेदारी, फिलहाल डॉ अनीता रावत अन्य कक्ष में बैठेंगी
कुलसचिव पद की निर्धारित योग्यता नही रखती थी
बीटेक की डिग्री नहीं, 5 साल का प्रशासनिक अनुभव भी नही
जनहित याचिका दायर कर नियुक्ति को चुनौती दी थी दिवाकर चमोली ने
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून
अपनी ऊंची पहुंच के बदौलत ऋषिकेश महाविद्यालय में जूलोजी (जंतु विज्ञान) की प्रवक्ता से सीधे उत्तराखण्ड तकनीकी विश्विद्यालय देहरादून की कुलसचिव की कुर्सी तक पहुंची डॉ अनीता रावत आखिरकार अपने पद से हट गईं।
हाईकोर्ट नैनीताल की चौखट तक पहुंचे डॉ अनीता रावत की नियुक्ति मसले में शासन की काफी किरकिरी भी हुई।
कुलसचिव डॉ अनीता रावत की नियुक्ति को चुनौती देते हुए दायर एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए नैनीताल उच्च न्यायालय ने 17 अगस्त को नियुक्ति आदेश को स्थगित करते हुए अधिकार सीज कर दिए थे। और बतौर कुलसचिव काम करने पर रोक लगा दी थी। अब 20 अगस्त को अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने डॉ अनीता रावत को पद से हटाने सम्बन्धी आदेश पर हस्ताक्षर किए। जनहित याचिका अधिवक्ता दिवाकर चमोली ने दायर की थी।
दरअसल, नवंबर 2017 में डॉ अनीता रावत के यूटीयू का रजिस्ट्रार बनने के बाद से ही चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था। बताया जाता है कि उस समय एक ताकतवर नौकरशाह भी अनीता रावत की नियुक्ति के खिलाफ थे। उक्त नौकरशाह ने करीब दो महीने तक नियुक्ति फ़ाइल को लटकाए रखा। लेकिन ऊपर से मिले आदेश के तहत अनीता रावत की नियुक्ति कर दी गयी।
उच्च शिक्षा विभाग से एक साल के डेपुटेशन पर यूटीयू में कुलसचिव बनी डॉ अनीता रावत का डेपुटेशन बढ़ता रहा। यह भी कहा गया कि बिना उच्च शिक्षा विभाग की एनओसी NOC के डॉ अनीता रावत का डेपुटेशन बढ़ता रहा। यही नही कुलपति प्रोफेसर एन के चौधरी ने भी राज्यपाल को भेजी रिपोर्ट में कहा था कि डॉ अनीता रावत बीटेक पास नही है। नतीजतन मार्च 2020 में राज्यपाल ने डॉ अनीता रावत को एक महीने के अंदर हटाने के आदेश किये थे।
सत्ता के गलियारों से आ रही खबरों के मुताबिक सरकार डॉ अनीता रावत को रिलीव करने के मूड में नहीं हैं। एक उच्च पदस्थ व्यक्ति ने अपनी इस मंशा से मातहतों को भी अवगत करा दिया है। इससे यह लगता कि कुलसचिव की नियुक्ति की यह कानूनी जंग अभी और लंबी चल सकती है। डॉ अनीता रावत के सामने कानूनी जंग के अन्य विकल्प भी बचे हैं।
फिलहाल, अपर मुख्य सचिव के शुक्रवार को किये गए आदेश में डॉ हरि सिंह को कुलसचिव की जिम्मेदारी दी दी गयी है। कुलसचिव पद से हटी डॉ अनीता रावत की यूटीयू में ही दूसरे कक्ष में बैठने की व्यवस्था की गई है। भाजपा सरकार में उच्च पदस्थ लोगों की कृपा से कुलसचिव बनी डॉ अनीता रावत मूल उच्च शिक्षा विभाग में रिवर्स पलायन करेंगी या बड़े मोर्चे पर अदालती जंग लड़ेगी। अब इन्हीं कुछ फायर पॉइंट पर नजरें टिकी हैं।
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