…तो दिल्ली में कब बैठेंगे अनुभवी रेजिडेंट कमिश्नर, चरमराया सिस्टम

पीसीएस के भरोसे बैठी राज्य सरकार की केंद्रीय मंत्रालयों में नहीं हो पा रही ठोस पैरवी

बीते कुछ साल से अधिकारियों की फौज के साथ दिल्ली में डेरा डालने पर मजबूर हैं सीएम

त्रिवेंद्र राज में पहले डिग्री कॉलेज के लेक्चरर मृत्युंजय मिश्रा और फिर पीसीएस अधिकारी इला गिरी को दे दी रेजिडेंट कमिश्नर कार्यालय की कमान

बाद में डिग्री कॉलेज के लेक्चरर व पूर्व अपर स्थानिक आयुक्त मृत्युंजय मिश्रा 2018 दिसंबर को भ्र्ष्टाचार के मामले में जाना पड़ा जेल

भारत सरकार व राज्य के मध्य की खास कड़ी होते हैं रेजिडेंट कमिश्नर

रेजिडेंट कमिश्नर आईएएस राधिका झा नहीं बैठती दिल्ली

मुख्य सचिव ओमप्रकाश भी चीफ रेजिडेंट कमिश्नर की जिम्मेदारी संभाल रहे

दिल्ली में यूपी के 86 बैच के वरिष्ठ व अनुभवी आईएएस प्रभात कुमार सारंगी हैं मुख्य रेजिडेंट कमिश्नर

खास रिपोर्ट/ अविकल थपलियाल/ अविकल उत्त्तराखण्ड

नई दिल्ली/देहरादून। उत्त्तराखण्ड के सीएम तीरथ सिंह रावत अधिकारियों के लाव लशकर के साथ दिल्ली का दौरा कर लौट आये। यह उनका एक हफ्ते के अवधि में दूसरा दिल्ली दौरा था। इस दौरान राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति समेत कमोबेश सभी मंत्रियों व संगठन से जुड़े बडे नेताओं से कई मुद्दों पर चर्चा की। वैसे सीएम बनने के बाद तीरथ सिंह रावत को केंद्र में सभी से मिलना भी था।

राज्य के मुख्य सचिव ओमप्रकाश समेत कई आलाधिकारी भी राज्य से जुड़े अहम मुद्दों की फाइलें लेकर बैठकों में मौजूद रहे।

दिल्ली स्थित उत्त्तराखण्ड स्थानिक आयुक्त कार्यालय

फरवरी के महीने में ठीक ऐसे ही पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी दिल्ली में कई मंत्रियों से राज्य के विकास से जुड़े अहम सवालों पर बैठकें की थी। और योजनाओं के लिए बड़ी धनराशि की घोषणा करवा देहरादून लौटे थे।

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने पूछा, क्या हुआ पिछले फैसलों का

इधर, रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सीएम तीरथ के साथ हुई हालिया बैठक में अधिकारियों से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ हुई देवबंद-रुड़की रेल लाइन की प्रगति के बाबत पूछा तो खामोशी छा गयी। रेल मंत्री गोयल ने बाकायदा त्रिवेंद्र के समय हुई बैठक की तारीख का जिक्र करते हुए पूछा कि उस समय लिए गए फैसलों के क्या हुआ? केंद्रीय मंत्री के रुख से सकपकाये राज्य के अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से उचित कदम न उठाये जाने की जानकारी दी।

केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने दिल्ली में 15 जून को हुई इसी बैठक में उत्त्तराखण्ड के आलाधिकारियों से पूछा था कि त्रिवेंद्र शासन में हुई बैठक के फैसलों के क्या हुआ

सूत्र बताते हैं कि रेल मंत्री पीयूष गोयल ने तीन महीने से अधिक समय के बाद भी प्रगति नहीं होने पर तत्काल उत्तर प्रदेश के अधिकारियों से बात की। और 10 मिनट बाद यूपी से जवाब आया कि जल्द ही देवबंद-रुड़की रेल लाइन की बाधाओं को दूर कर लिया जाएगा।

रेल मंत्री पीयूष गोयल की बैठक में यह मुद्दा उठने से साफ जाहिर हो गया कि डबल इंजन की सरकार में भी पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के समय लिए गए फैसले पर ठोस अमल नहीं हो पाया। रेल मंत्रालय की तरह अन्य मंत्रालयों से जुड़े मामलों की प्रगति का भी यही हाल होगा। इस बैठक में उत्त्तराखण्ड के कई बड़े अधिकारी भी मौजूद थे।

उत्त्तराखण्ड के बड़े अधिकारियों के बीते कुछ समय से बारम्बार दिल्ली दौड़ से स्थानिक आयुक्त कार्यालय की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

दिल्ली रेजिडेंट कमिश्नर कार्यालय के मायने

दरअसल, केंद्र व राज्य से जुड़े मुद्दों को दिल्ली के स्तर से मंजूरी दिलाने के लिए स्थानिक आयुक्त कार्यालय की अहम जिम्मेदारी होती है। रेजिडेंट कमिश्नर (स्थानिक आयुक्त) ही केंद्र व राज्य के बीच एक अहम कड़ी होता है। केंद्र व राज्य से जुड़ी विकास योजनाओं में आ रही किसी भी प्रकार की बाधाओं को दूर करने में रेजिडेंट कमिश्नर का अनुभव व कार्यकुशलता ही बेहतर रिजल्ट का आधार बनती है। केंद्रीय मंत्रालयों में नियम-कानून व धन आवंटन की वजह से अटकी योजनाओं को मुकाम तक पहुंचाने में रेजिडेंट कमिश्नर  की सूझ बूझ व कौशल ही काम आता है।

अनुभवी अधिकारी ही केंद्रीय मंत्रालयों से समय समय पर वार्ता कर अड़चनों को दूर करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसीलिए, हर राज्य दिल्ली में ऐसे वरिष्ठ व सीनियर अधिकारी की नियुक्ति करता है जो केंद्रीय सचिवों समेत अन्य अधिकारियों के सामने मजबूत राज्य के पक्ष को मजबूती से रख सके।

यूपी के 86 बैच के आईएएस सारंगी हैं मुख्य रेजिडेंट कमिश्नर

उत्तर प्रदेश के मुख्य स्थानिक आयुक्त प्रभात कुमार सारंगी 1986 बैच के आईएएस हैं। अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी सारंगी ही उत्तर से जुड़े मसलों की दिल्ली में मजबूत पैरवी करते हैं। सारंगी दिल्ली में ही रहते हैं। इनसे पूर्व उत्तर प्रदेश के रेजिडेंट कमिश्नर भूरेलाल तो भारत सरकार के सचिवों से सिर्फ फोन पर ही मसले सुलझा लिया करते थे। 1970 बैच के ias भूरेलाल 1991 में कल्याण सिंह के जमाने में दिल्ली में रेजिडेंट कमिश्नर थे। हालांकि, कल्याण सिंह उन्हें उत्तर प्रदेश में गृह सचिव बनाना चाहते थे। लेकिन उन्होंने रेजिडेंट कमिश्नर बनाये रखमे का ही अनुरोध किया।

1986 बैच के ias Up के resident कमिश्नर पी के सारंगी

उत्त्तराखण्ड के संदर्भ में बिल्कुल उलट ही कहानी है। 2017 से पहले प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों ने रेजिडेंट कमिश्नर की कुर्सी संभाली थी। लेकिन 2017 के बाद तो डिग्री कॉलेज के लेक्चरर मृत्युंजय मिश्रा को अपर स्थानिक आयुक्त बना दिया गया था।

इधर, मौजूदा समय में उत्त्तराखण्ड की पीसीएस अधिकारी इला गिरी स्थानिक आयुक्त कार्यालय में यह जिम्मेदारी निभा रही हैं। इला गिरी सहायक रेजिडेंट कमिश्नर के पद पर हैं। जूनियर स्तर के अधिकारी से राज्य के मुद्दों पर केंद्र में तैनात वरिष्ठ व अनुभवी आईएएस के सामने ठोस पैरवी की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसके अलावा 2002 बैच की आईएएस राधिका झा रेजिडेंट कमिश्नर हैं। राधिका झा उत्त्तराखण्ड में सचिव हैं और देहरादून सचिवालय में कामकाज निपटाती हैं। जबकि यूपी के रेजिडेंट कमिश्नर सारंगी दिल्ली में ही रहते हैं।

2002 बैच की आईएएस राधिका झा, रेजिडेंट कमिश्नर।

यही नहीं, 1987 बैच के आईएएस ओमप्रकाश उत्त्तराखण्ड के मुख्य सचिव बनने से पहले ही  मुख्य स्थानिक कमिश्नर का चार्ज भी संभाले हुए हैं। दिल्ली स्थानिक आयुक्त कार्यालय में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे आईएएस ओमप्रकाश व राधिका झा देहरादून से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं। इस नाते दोनों वरिष्ठ अधिकारियों को दिल्ली में भी आवास-वाहन की सुविधा मिल रही है। आईएएस ओमप्रकाश तो 2020 मुख्य सचिव बन चुके हैं।

लिहाजा, पीसीएस अधिकारी इला गिरी ही दिल्ली के स्थानिक आयुक्त कार्यालय में रहकर अपनी भूमिका को अंजाम दे रही है। इस पद पर पीसीएस अधिकारी की नियुक्ति के बजाय अगर सीनियर आईएएस को परमानेंट बैठाया जाता तो बार बार सीएम व अधिकारी दिल्ली दौड़ से बच सकते थे। पूर्व में भी वरिष्ठ रेजिडेंट कमिश्नर की दिल्ली स्थानिक आयुक्त कार्यालय में तैनाती रही है (देखें सूची)। उस दौर में मुख्यमंत्री सिर्फ योजना आयोग की वार्षिक बैठक में राज्य के विभिन्न विभागों का प्रेजेंटेशन देने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की फौज साथ ले जाते थे। ताकि योजना आयोग से उत्त्तराखण्ड को अतिरिक्त पैसा मिल सके। पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी अपने अधिकारियों का बेहतर उपयोग करना जानते थे।

केंद्रीय मंत्रालयों में अखिल भारतीय सेवा के  काफी अनुभवी व वरिष्ठ अधिकारी तैनात होते हैं। उनके सामने तथ्यों को रखने के लिए विशेष व ठोस होमवर्क की जरूरत होती है। पूर्व में उत्त्तराखण्ड सरकार ने भी दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती की है। लेकिन 2017 के बाद जूनियर की तैनाती व स्थानिक आयुक्त राधिका झा के दिल्ली में नहीं रहने से राज्य से जुड़े मुद्दों की पैरवी भी प्रभावित हुई है। अगर दिल्ली में वरिष्ठ आईएएसअधिकारी की तैनाती होती तो केंद्र व राज्य के बीच बेहतर तालमेल रहता।

कोरोना लॉकडौन में कसौटी पर खरा नहीं उतरा स्थानिक आयुक्त का कार्यालय

दिल्ली में मौजूद रेजिडेंट कमिश्नर का कार्यालय उस राज्य का राजधानी में दूतावास माना जाता है। संकट में अपने राज्य की जनता की सहायता करना भी उसका कर्तव्य बन जाता है। लेकिन संकटकाल में प्रवासियों को स्थानिक आयुक्त कार्यालय से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल आया।
2020 में जब कोरोना संक्रमण की वजह से देश भर में लॉकडौन चल रहा था। और उत्त्तराखण्ड का प्रवासी अपने राज्य लौटना चाह रहा था। ऐसे में उत्त्तराखण्ड प्रवासियों को स्थानिक आयुक्त कार्यालय से अपेक्षित सहयोग नही मिला। लॉकडौन में प्रवासियों की सहायता के अलावा अन्य कार्यों के लिए स्थानिक आयुक्त कार्यालय में भेजी गई लाखों की धनराशि का भी मौके पर विशेष उपयोग नही किया गया। अव्यवस्था का आलम बना रहा। इस बाबत अन्य राज्यों से दिल्ली पहुंच रहे कई प्रवासियों के लिए भोजन व्यवस्था व आवागमन की कोई सुविधा नहीं मिली। उस समय प्रवासियों ने नाराजगी में तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सरकार की आलोचना करते हुए पीड़ादायक वीडियो भी जारी किए थे।

डिग्री कालेज के लेक्चरर भी बने अपर स्थानिक आयुक्त

त्रिवेंद्र राज में नियमों का ताक पर रख डिग्री कॉलेज के लेक्चरर डॉ मृत्युंजय मिश्र को दिल्ली में अपर स्थानिक आयुक्त बना दिया गया। चूंकि, उस समय सीएम के करीबी आईएएस ओमप्रकाश का मृत्युंजय मिश्रा पर वरद हस्त था। लिहाजा, पार्टी के अंदर भी कोई भी इस महत्वपूर्ण कुर्सी पर मिश्रा की नियुक्ति पर सवाल नहीं उठा सका। समय का फेर देखिये जल्द ही भ्र्ष्टाचार के कुछ मामलों के सामने आने के बाद मृत्युंजय मिश्रा को जेल जाना पड़ा।2018 में हुई विजिलेंस जांच में तत्कालीन आयुर्वेद विवि के कुलसचिव को गिरफ्तार किया गया।

डॉ मृत्युंजय मिश्रा

मिश्रा पर धोखाधड़ी व भ्र्ष्टाचार की कई धाराओं में मुकदमा दर्ज है। विजिलेंस जांच में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार व देहरादून में करोड़ों की संपत्ति मिली थी। पूर्व अपर स्थानिक आयुक्त मृत्युंजय मिश्रा चार दिसम्बर 2018 से जेल में है।

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद दिल्ली में तैनात रहे स्थानिक आयुक्त

1-श्रीमती ज्योति राव पांडे IAS
2-श्री एन एन वर्मा IAS
3-श्रीमती विनीता कुमार IAS
4- श्री डीके कोटिया IAS
5- श्री राजीव गुप्ता IAS
6-श्री अनूप वधावन IAS
7-श्रीमती अंजलि प्रसाद IAS
8- श्री एस के मुट्टू IAS
9-श्री आलोक जैन IAS
10-श्री ओम प्रकाश IAS
11-श्री शत्रुघ्न सिंह IAS
12-श्रीमती राधिका झा IAS
13- श्री एस डी शर्मा ARC
14- श्री मृत्युंजय मिश्रा ARC
15- श्रीमती इला गिरी PCS(ARC)

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