रेशम फेडरेशन मॉडल का अध्ययन करने दून पहुंचा दल

उत्तर प्रदेश में मॉडल लागू करने के लिए मांगे सुझाव

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन राज्य में एक कंप्लीट वैल्यू चेन मॉडल पर कार्य करते हुए रेशम उत्पादन, धागा निर्माण, डिजाइनिंग, पैकेजिंग और विपणन तक की समस्त प्रक्रियाएं स्वयं संचालित करता है। वर्तमान में फेडरेशन द्वारा निर्मित पहाड़ी शैली की टोपी, शॉल, स्टोल और वेस्टकोट की मांग प्रदेशभर के महाविद्यालय दीक्षांत समारोहों और अन्य विशेष आयोजनों में निरंतर बढ़ रही है।

उत्तर प्रदेश रेशम विभाग द्वारा उत्तराखंड के इस सफल मॉडल का अध्ययन करने एवं अपने राज्य में इसे लागू करने के उद्देश्य से पत्राचार किया गया था।

इसी क्रम में मंगलवार को आईएएस एवं निदेशक, रेशम विभाग उत्तर प्रदेश सुनील कुमार वर्मा के नेतृत्व में एक 7 सदस्यीय दल उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन मुख्यालय, देहरादून पहुंचा। इस अध्ययन भ्रमण का उद्देश्य उत्तराखंड में स्थापित पूर्ण मूल्य श्रृंखला की तकनीकी विशेषताओं को समझना था।

फेडरेशन के प्रबंध निदेशक आनंद शुक्ल ने दल को फेडरेशन की संस्थागत संरचना, व्यवसायिक मॉडल और संचालन प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी। उत्तर प्रदेश के निदेशक द्वारा यह जानने में रुचि दिखाई गई कि कैसे उत्तर प्रदेश रेशम संघ को एक सफल व्यावसायिक मॉडल में परिवर्तित किया जा सकता है।

उत्तराखंड फेडरेशन ने सुझाव दिया कि उत्तर प्रदेश राज्य को उसकी विविध भौगोलिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों के अनुसार पाँच क्षेत्रीय इकाइयों में बाँटकर सभी स्टेकहोल्डर्स को एक साझा मंच पर लाने की योजना बनाई जाए। साथ ही उत्तर प्रदेश में एक अम्ब्रेला ब्रांड विकसित कर परंपरागत बुनकरों को एकीकृत करने का सुझाव भी दिया गया।

इसके अतिरिक्त, राज्य में वर्तमान में अप्रयुक्त पड़ी रेशम से जुड़ी आधारभूत संरचनाओं का चरणबद्ध उपयोग कर दीर्घकालीन परियोजनाएं विकसित करने का भी परामर्श दिया गया।

उत्तर प्रदेश की टीम ने उत्तराखंड में स्थापित पूर्ण मूल्य श्रृंखला और ब्रांड ‘दून सिल्क’ की सफलता की सराहना की और इसे प्रेरणास्रोत बताया।

इस अवसर पर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के रेशम विभाग के अधिकारी, वैज्ञानिक, सहायक निदेशक और अन्य प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।

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