निर्दलीय विधायक उमेश कुमार को जान का कोई खतरा नहीं-खुफिया रिपोर्ट

हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में पूछा, आपराधिक केस वाले कितने लोगों को सुरक्षा दी है राज्य सरकार ने

वाई प्लस सुरक्षा,बलात्कार का मुकदमा, दल बदल कानून का उल्लंघन, चुनावी शपथ पत्र में सभी मुकदमो का उल्लेख न करना , ईडी जांच , विदेशी मुद्रा रखने व चैंपियन से जुबानी जंग को लेकर निर्दलीय विधायक उमेश कुमार सुर्खियों में

पुलिस का काम जनता की सुरक्षा करना

जुलाई के दूसरे सप्ताह तक सुरक्षा लेने वालों की सूची कोर्ट को दे राज्य सरकार

अविकल उत्तराखण्ड

नैनीताल। खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार को वाई प्लस सुरक्षा देने के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि सरकार ने कितने लोगों को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी है। और जुलाई के दूसरे सप्ताह तक ऐसे ऐसे लोगों का रिकार्ड पेश करने को कहा है।

निर्दलीय विधायक उमेश को वाई प्लस सुरक्षा दिए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार से पूछा है कि ऐसे कितने लोगों को सुरक्षा प्रदान की गई जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।

कोर्ट ने सरकार को ऐसे लोगों का पूरा रिकॉर्ड जुलाई दूसरे सप्ताह तक पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी भगत सिंह ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि विधायकों की सुरक्षा के नाम पर उन्हें एक सुरक्षाकर्मी दिया जाता है।

इसके अलावा यदि किसी विधायक को जान का खतरा है तो उन्हें एक अतिरिक्त सुरक्षा कर्मी दिया जाता है। किसी विधायक को सुरक्षा कवर देने से पहले एलआईयू द्वारा रिपोर्ट विभाग को दी द जाती है।

उन्होंने उमेश कुमार के मामले का उदारहण देते हुए कहा कि उन्हें सुरक्षा देते वक्त अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का पालन किए बिना उनके प्रार्थनापत्र के आधार पर उन्हें वाई प्लस सुरक्षा प्रदान की गई है। यही नहीं, उनके पास अपनी पर्सनल एस्कॉर्ट भी है।

2018 में गिरफ्तार उमेश कुमार

याचिकाकर्ता का कहना था कि स्थानीय खुफिया इकाई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उनके जीवन को कोई खतरा नहीं है। इसलिए उनकी वाई प्लस सुरक्षा हटाई जाए। ऐसे ही कितने लोगों की सुरक्षा में पुलिस लगी है जबकि उनको किसी से कोई खतरा नहीं है। यह पुलिस का दुरुपयोग है। पुलिस का कार्य जनता की सुरक्षा करना है।

गौरतलब है कि विधायक उमेश कुमार पर बलात्कार समेत कई मामलों में मुकदमे दर्ज है। चुनावी शपथ पत्र में ऐसे मुकदमे छुपाने सम्बन्धी एक मामले में गवाही भी चल रही है।

इस बीच, विदेशी मुद्रा रखने सम्बन्धी मामले में ईडी की जांच के दायरे में भी विधायक उमेश कुमार का नाम है। बीते दिनों पूर्व विधायक प्रणव चैंपियन ने वीडियो जारी कर निर्दलीय विधायक उमेश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए थे। बदले में उमेश कुमार ने भी चैंपियन को घेरने की कोशिश की।

दोनों के बीच हुई जुबानी जंग गली मोहल्लों से लेकर सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है।

खानपुर से चुनाव जीतने के बाद उमेश कुमार दल बदल कानून के उल्लंघन के मामले में भी फंस गया है। दल बदल से जुड़ा यह मामला स्पीकर ऋतु खंडूडी व हाईकोर्टमें लंबित है। एक साल बीतने को हजे लेकिन स्पीकर ऋतु खंडूडी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई।

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 2018 में उमेश कुमार को ब्लैकमेलिंग व राजद्रोह के आरोप में जेल में डाल दिया था। इससे पहले पूर्व सीएम निशंक ने उमेश कुमार पर इनाम घोषित करने के साथ तड़ीपार भी कर दिया था। लेकिन अब यह दोनों पूर्व सीएम भी अपनी सरकार होते हुए उमेश कुमार का बाल बांका नहीं कर पा रहे हैं। भाजपा के केंद्रीय नेताओं की भी उमेश कुमार जो शह मिलने की चर्चा भी आम है। कैलाश विजयवर्गीज व पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी से उमेश कुमार के काफी मधुर सम्बन्ध बताए जाते हैं।

लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में उमेश कुमार ने प्रणव चैंपियन की पत्नी को हरा दिया। इसके बाद से ही चैंपियन और उमेश के बीच जुबानी जंग जारी है। उमेश कुमार को कई प्रदेशस्तरीय भाजपा/कांग्रेस नेताओं और अधिकारियों का खुला समर्थन भी मिल रहा है। इस बात से चैंपियन खासे उद्वेलित भी है। और समय समय पर नाराजगी भी प्रकट करते रहते हैं।

दल -बदल कानून के उल्लंघन पर साल भर बाद भी स्पीकर ऋतु खंडूड़ी का किसी नतीजे पर नहीं पहुंचना भी कई सवाल खड़े कर रहा है।

इस बीच, उमेश कुमार के चुनाव जीतने के बाद भी हरिद्वार निवासी भगत सिंह ने उमेश कुमार की वाई श्रेणी की सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी ने राज्य सरकार को घेरते हुए पूछ लिया कि ऐसे कितने लोगों को सुरक्षा प्रदान की हुई है जिन पर आपराधिक केस चल रहे हैं।

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