जोशीमठ आपदा के प्रभावितों का झलका आक्रोश, उतरे सड़क पर

विस्थापन नीति व सर्वे का विरोध, लोस चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी

समस्याओं के हल को दिया 15 दिन का समय

हल, दरांती, कुदाल, कंडियों के साथ प्रभावितों की विशाल जनाक्रोश रैली

अविकल उत्तराखंड

जोशीमठ। जोशीमठ भू धंसाव से प्रभावित हजारों लोगों ने विस्थापन नीति समेत अन्य मुद्दों का विरोध करते हुए विशाल जनाक्रोश रैली निकाली। रविवार को आहूत रैली में प्रभावितों ने “जोशीमठ को बचाना है” के नारे लगाए। और हल, दरांती, कुदाल, कंडियों के साथ विरोध दर्ज कराया। पंद्रह दिन के अंदर समस्याओं का निराकरण न किए जाने पर लोकसभा एवं निकाय चुनावों के बहिष्कार की भी चेतावनी दी। और एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को अपने 15 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा।

जोशीमठ में भू धंसाव क्षेत्र की संदेहास्पद सर्वे और प्रशासन द्वारा प्रभावितों को बांटे गए विस्थापन एवं पुनर्वास प्रपत्रों पर स्पष्ट नीति के न होने पर इससे पूर्व 29 फरवरी को भी सभी विकल्प प्रपत्रों को बिना भरे ही तहसील प्रशासन जोशीमठ को सौंप दिया था। रविवार को सभी प्रभावितों ने मूल निवास स्वाभिमान संगठन के बैनर तले जोशीमठ नगर क्षेत्र में विशाल जनाक्रोश रैली निकालते हुए सरकार व एनटीपीसी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जुलूस तहसील परिसर में पहुंच एक जनसभा में तब्दील हुआ।

तहसील परिसर में पहुंच कर संगठन के मीडिया प्रभारी प्रवेश डिमरी के संचालन में हुए जन सभा में संगठन के पदाधिकारियों ने अपने संबोधन में जोशीमठ से अन्यत्र कहीं बाहर न जाने और जोशीमठ का ट्रीटमेंट किए जाने सहित 15 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा। साथ ही सरकार से 15 दिनों के अंदर समस्याओं के निराकरण पर ठोस निर्णय न लिए जाने पर लोकसभा चुनाव एवं निकाय चुनावों का पूर्ण रूप से बहिष्कार करने की भी चेतावनी दी है।

संगठन के अध्यक्ष पूर्व धर्माधिकारी आचार्य भुवन चंद्र उनियाल ने अपने संबोधन में कहा कि भू धंसाव के चलते यहां के लोगों में जोशीमठ से अन्यत्र विस्थापन किए जाने को लेकर जो विकल्प प्रपत्र बांटे गए हैं उन विकल्प प्रपत्रों में दिए गए सभी बिन्दुओं पर कोई भी स्पष्ट नीति के न होने से लोगों में अब असमंजस के साथ आक्रोश भी है। इससे पूर्व 29 फरवरी को भी एक विशाल सांकेतिक जनाक्रोश रैली के साथ तहसील परिसर में पहुंच कर तहसील प्रशासन को विकल्प प्रपत्रों को बिना भरे ही सौंपते हुए प्रपत्रों पर स्पष्ट नीति के न होने पर नाराजगी जताई थी।

पूर्व पालिकाध्यक्ष श्रृषि प्रसाद सती ने कहा कि जोशीमठ के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए हर व्यक्ति को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कार्य करना होगा, उन्होंने कहा कि बीते सप्ताह में भी जोशीमठ के मूल निवासियों ने अपना निर्णय देते हुए अपनी पुश्तैनी जगह को छोड़कर अन्यत्र कहीं न जाने के संदर्भ मेंB एसडीएम और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के माध्यम से भी अपनी सभी परिस्थितियों से अवगत कराते हुए 13 सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेज चुके है। आपदा प्रबंधन सचिव रणजीत सिन्हा एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी भेंट कर वार्ता के क्रम में जोशीमठ के पुस्तैनी निवासियों की विभिन्न समस्याओं से अवगत कराते हुए वार्ता भी कर चुके हैं।

उन्होंने कहा कि जोशीमठ में भू धंसाव से असुरक्षित जोनों के अलावा मूल/ पुस्तैनी लोगों के पास सुरक्षित जोनों में भी जोशीमठ में मारवाड़ी, गोंघ से लेकर औली तक रविग्राम में होसी, मनौटी, रौगढ, औली के सुरक्षित जोनों में भी अपनी भूमि मौजूद है, इसलिए उनका जोशीमठ से अन्यत्र कहीं विस्थापन किया जाना असंभव है।

इस अवसर पर भगवती प्रसाद नंबूरी, पूर्व सभासद राकेश नेगी, अमित सती, पुष्पा देवी, शमीर डिमरी ने भी सभा को संबोधित किया।

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