रिस्पना नदी के किनारे अवैध निर्माण पर चला बुलडोजर

एनजीटी के आदेश के बाद काठ बंगला और बीर सिंह बस्ती में 59 अवैध निर्माण गिराए

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। सोमवार को एक बार फिर एमडीडीए के बुलडोजर ने रिस्पना नदी किनारे बनाए अवैध निर्माणों को ढहाने के लिए रफ्तार पकड़ी।

बीते दिनों भी प्रशासन ने अवैध निर्माणों को चिन्ह्ति कर कार्यवाही शुरू की थी, लेकिन तमाम संगठनों सहित कांग्रेस के विरोध के बाद अभियान की रफ्तार थम गई थी। प्रशासन ने सोमवार से फिर से एनजीटी के आदेशों के बाद चिन्ह्ति अवैध निर्माणों को ढहाने की कार्रवाई शुरू की। रिस्पना नदी के किनारे काठ बंगाला और बीर सिंह बस्ती में 59 अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया। यह सब वह निर्माण है जो 11 मार्च 2016 के बाद बनाए गए हैं।

एसडीडीए ने काठ बंगला क्षेत्र के 125 घरों को चिन्हित किया गया, जिनमें से आज 59 घरों पर कार्रवाई की गई। इनमें से कुछ घर ऐसे भी हैं, जिनके पास 2016 से पहले के कागजात हैं और उन घरों के कागजात देखने के बाद उन पर रोक लगा दी गई। एनजीटी के निर्देश पर रिस्पना नदी के किनारे साल 2016 के बाद किए गए निर्माण के सर्वे में कुल 524 अतिक्रमण चिह्नित किए गए थे। 89 अतिक्रमण नगर निगम की भूमि पर,12 नगर पालिका मसूरी और 11 राजस्व भूमि पर पाए गए थे।

नगर निगम के नियंत्रण में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए जिस भूमि को एमडीडीए के नियंत्रण में दिया था, उस पर 412 से अधिक अतिक्रमण होने की बात सामने आई थी। करीब एक महीना पहले देहरादून नगर निगम ने आपत्तियां की सुनवाई के बाद 74 अतिक्रमण की अंतिम सूची तैयार की थी और संशोधन के बाद चूना भट्टा, दीपनगर व बॉडीगार्ड बस्ती में कुल 64 निर्माण ध्वस्त किए गए थे। जबकि एमडीडीए की ओर से रिवर फ्रंट की जमीनों पर किए गए कब्जों को लेकर नोटिस तो काफी पहले भेजे थे।

आपत्तियों की जांच की जा रही थी और अब परीक्षण के बाद एमडीडीए की भूमि पर चिन्हित 250 अवैध निर्माण की सूची तैयार की गई है। एमडीडीए को आगामी 30 जून तक कार्रवाई कर एनजीटी के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।

एमडीडीए की कार्रवाही का स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध भी किया, लेकिन सरकार ने 2016 के बाद का आधार लिया है, वह ठीक नहीं है। बहुत से ऐसे लोग हैं, जो अपने घरों में बिजली पानी का कनेक्शन नहीं लगा पाए। उनके घरों के लिए अन्य प्रमाण पत्र के आधार पर छूट दी जानी चाहिए। वहीं, 2016 से पहले बने घरों के लिए कांग्रेस व अन्य संगठनों ने नेताओं ने विरोध करते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की । और एक मकान के कागजात पूरे होने और नोटिस न आने पर कड़ा विरोध करते हुए घर को बचाने का काम किया।
कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल ने मौके पर जाकर शासन-प्रशासन से वार्ता किया और समाधान के प्रयास किए।

वामपंथी संगठनों ने प्रशासन की कार्रवाई पर जताई आपत्ति, की निंदा

विभिन्न जनसंगठनों एवं राजनैतिक दलों ने बस्तियों को उजाडऩे की निन्दा की और उजड़े गए बस्तीवासियों का पुर्नवास एवं मुआवजा की मांग की है। जिलाधिकारी देहरादून के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में एनजीटी की आढ़ में चलाए जा रहे अतिक्रमण अभियान की कड़े शब्दों में निन्दा कर सरकार पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया है। कहा राज्य के बस्ती सुरक्षा कानून 2018 का सरकार एवं उसके विभाग खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों की सरेआम अवहेलना हो रही, जिसका खामियाजा गरीबों को भुगतना पड़ रहा है। यही नहीं कानून व्यवस्था की आढ़ में चल रहे सत्यापन की भी मार गरीबों पर पड़ रही है। सरकार को तत्काल गरीबों का उत्पीडऩ रोकते होगा और यह साबित करना होगा कानून सबके लिए बराबर है। इस अवसर पर जिला सचिव राजेंद्र पुरोहित, देहरादून सचिव अनंत आकाश, सीटू महामंत्री लेखराज, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, आयूपी अध्यक्ष नवनीत गुंसाई, बस्ती बचाओ आंदोलन के नरेंद्र सिंह, एसएफआई महामंत्री हिमांशु चौहान, भीम आर्मी के आजम खान आदि मौजूद थे।

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